…जब सच्चे सतगुरू जी का हुक्म बना दवाई

Saint Dr. MSG

प्रेमी मिस्त्री बिगला सिंह इन्सां पुत्र श्री गुरदेव सिंह गांव झाड़ों तहसील सुनाम जिला संगरूर पंजाब हाल आबाद उपकार कॉलोनी, गांव शाह सतनाम जी पुरा, जिला सरसा से पूजनीय हजूर पिता संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां की अपने पर हुई अपार रहमतों का वर्णन इस प्रकार करता है :-

सन् 2013 की बात है, मैं अपनी लड़की के पास के गांव काहनेके में था। मैं खेत को पानी लगाने गया तो मेरी दाई टांग खेत में मेरी जांघ तक धंस गई। मैंने टांग को बाहर खींचने की कोशिश की, बहुत जोर लगाया, परंतु टांग बाहर न निकली। मैंने हाथों से मिट्टी खोद-खोद कर हटाई, फिर मैंने टांग खींची तो टांग बाहर निकल आई। मैंने टांग पर भार देने की कोशिश की, चलने की भी कोशिश की, परंतु मुझसे चला नहीं गया। फिर मैंने अपने सतगुरू द्वारा बख्शे नाम का सुमिरन करना शुरू कर दिया। एक घंटे के सुमिरन के उपरांत टांग में हिलजुल हुई। मैं बड़ी मुश्किल से वहां से धीरे-धीरे चलता हुआ, रास्ते में बार-बार सांस लेता, ठहरता हुआ दो किलोमीटर पर अपने घर पहुंचा। चलते समय मुझे इतना दर्द होता था, ऐसे लगता था आज प्राण ही निकल जाएंगे। उसके उपरांत मैंने बठिंडा में एक डॉक्टर को टांग दिखाई तो उसने पूरा चैकअप करके कहा कि दार्इं टांग का कूल्हा बदलना पड़ेगा। मैं अपने घर की गरीबी के कारण कूल्हा नहीं बदला सका।

मैंने 6 महीने अलग-अलग डॉक्टरों तथा वैदों से दवाईयां खाई परंतु टांग को कोई फर्क नहीं पड़ा। जब मैं टांग पर वजन देता था तो टांग में दर्द होता था। मैं डेरा सच्चा सौदा सरसा में दिसम्बर में लगने वाले आंखों के मुफ्त जांच तथा आॅपरेशन कैंप पर सेवा करने के ख्याल से पहुंच गया। जब पूजनीय हजूर पिता संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां कैंप में आए तो पूजनीय हजूर पिता जी ने सेवादारों तथा मरीजों को संबोधित होते हुए वचन फरमाया, ‘‘जो मरीज हैं, वह एक-एक करके खड़े हो जाओ।’’ मैं आया तो सेवा करने था परंतु मैं भी मरीजों के साथ खड़ा हो गया। पिता जी ने वचन फरमाया, ‘‘भाई! कोई दु:ख तकलीफ है तो बताओ।’’ सभी मरीज कहने लगे कि ठीक हैं पिता जी।

मैंने अपने हृदय में पिता जी को प्रार्थना की कि पिता जी! मेरा कूल्हा ठीक कर दो। मुझे यह बदलवाना न पड़े। मैं पक्का सेवा में आया करूंगा तथा आप जी के दिशा-निर्देश के अनुसार मानवता की सेवा किया करूंगा। बस! मुझे ठीक कर दो जी। कुल मालिक सतगुरू हजूर पिता जी ने सभी मरीजों को आशीर्वाद दिया। और वचन फरमाया, ‘‘भाई! दवाई लेकर जाना।’’ मैंने पिता जी के पावन वचनोंनुसार कैंप में अपना चैकअप करवाकर मुफ्त दवाई भी ले ली। मेरी टांग में तो उसी दिन दर्द कम हो गया। मैंने वचनानुसार वह दवाई सुमिरन करके खाई। मेरा दर्द घटता-घटता बिल्कुल ही खत्म हो गया। उसके बाद मुझे याद ही नहीं रहा कि कभी मेरी टांग में दर्द भी था। सतगुरू जी ने अपनी दया-दृष्टि और पावन वचनों से मेरा कूल्हा ठीक कर दिया।

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