साक्षात्कार: कांग्रेस को याद करने लगे हैं लोग: शैलजा

Selja Kumari

प्रश्न- क्षेत्र वासियों से कैसा रिस्पांस मिल रहा है?

उत्तर- देखीए, मैं नहीं मेरे साथी भी क्षेत्र का दौरा कर रहे हैं, हमें भरपूर समर्थन मिल रहा है। खुशी और हैरानी की बात यह है कि आज भी लोग 5 पहले हमारे 10 साल के शासन काल में हुए कार्यांे को गिनवाते हैं और साथ में यह भी बतातें हैं कि पिछले पांच साल में केवल जुमलेबाजी हुई है जबकि क्षेत्र में एक ईंट नई नहीं लगाई गई है। लोग कांग्रेस को याद करने लगे हैं।

प्रश्न- आपने अपने भाषण में आरोप लगाया कि पांच साल में मोदी सरकार ने केवल जुमलेबाजी की, जबकि भाजपा कहती है कि उन्हें केवल पांच साल मिले हैं जबकि कांग्रेस ने 70 साल देश पर राज किया है, क्या कहेंगी?

उत्तर- ऐसा है, राजीव गांधी पांच साल में कितना कुछ कर गए थे! शेरशाह सूरी कितना कुछ कर गए थे, इतिहास याद करते हैं। आज आपके हाथ में मोबाइल है और आप कंप्यूटर से किस तरह पत्रकारिता इतनी आसानी से कर सकते हैं, यह क्रांति राजीव गांधी की देन है। जबकि आज मोदी सरकार क्या क्रांति लेकर आई है। पांच साल बाद आज ये एक भी बात याद नहीं कर रहे हैं, जो इन्होंने अपने मैनेफैस्टो में कही थी। पांच साल में यदि इन्होंने एक भी वायदा पूरा किया होता तो क्या ये अपनी उपलब्धि नहीं गिनवाते! क्या कारण है कि ये नोटबंदी, जीएसटी इत्यादि यदि इनकी उपलब्धि होती तो इनका नाम क्यूं नहीं ले रहे हैं! आज मोदी सरकार क्यों किसी दूसरे देश का नाम लेकर वोट मांग रही है। भारतीय सेना के पीछे छुप कर वोट मांग रहे हैं। आपकी अपनी क्या उपलब्धि है?

प्रश्न- चुनाव में विकास, विजन की बात न करके जातिवाद, क्षेत्रवाद या मजहब को लाया जा रहा है, क्या देश के लोकतंत्र के लिए यह सही है?

उत्तर- ये भाजपा की आदत है, कि जब चुनाव आता है तो ये कभी जाति के नाम पर, कभी पर्सनल अटैक कभी रोना रोएंगे कि मुझे ये कह दिया मुझे वो कह दिया। अगर इन्होंने जमीन पर कुछ कार्य किया होता तो ये वो गिनवाते। फिर डरामा शुरू कर देंगे। इतना डरामा और इतनी एक्टिंग करने की जरूरत क्या है?

प्रश्न- कांग्रेस ने वायदा किया है कि सत्ता में आने पर गरीबों को 72000 रुपए सालाना दिया जाएगा। विपक्ष आरोप लगा रहा है कि ये झूठा वायदा है, कांग्रेस के पास कोई रोडमैप नहीं कि ये पैसा कैसे आएगा?

उत्तर- भाजपा पहले ही हार मान चुकी है, उन्हें विश्वास नहीं होता। हमने कोई 15 लाख नहीं कहे। हमने कोई जुमले नहीं दिए। हमने पूरी कैल्कूलेशन की है, ग्राउंड पर काम किया है, फिर ये वायदा किया है। और इस वायदे को सरकार बनते ही डिलीवर करेंगे। कांग्रेस ने पूरा प्लॉन किया है कि कहां से बचत करनी है और कहां से इंकम जैनरेट करनी है। जब आप लाखों-करोड़ रुपए धनाढ्य लोगों का माफ कर सकते हो और बहुत से आपके दोस्त देश का पैसा लेकर आप की नाक के नीचे से विदेश भाग सकते हैं, तो क्या कांग्रेस देश के गरीब लोगों के लिए 3 से 3.5 लाख करोड़ रुपया बचत नहीं कर सकती। सरकार ढंग से चलाएंगे, इनकी तरह राफेल वाले सौदे नहीं करेंगे। इन्होंने जनता के पैसे का क्या किया, आप देखें जो जहाज सवा पांच सौ करोड़ का था इन्होंने 1600 करोड़ में खरीदा, तो इन्होंने इतना पैसा देश का जाया होने दिया है, जिसका हिसाब जनता लेगी।

प्रश्न- पूरे प्रदेश में सरसों की खरीद नहीं हो रही, किसान सड़कों पर है। यदि कांग्रेस की सरकार बनती है तो क्या किसानों की खरीद संबंधी समस्याएं दूर होंगी, आपके पास क्या कांकरीट प्लॉन है?

उत्तर- बिल्कुल कांग्रेस, गरीब और किसानों की पार्टी है। लेकिन मोदी सरकार ने किसानों को भी धोखा दिया है। स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट इन्होंने अपने मैनेफेस्टो में लागू करने की बात कही थी लेकिन नहीं लागू की। कहा था कि आमदनी डबल कर देंगे, कैसे करेंगे! इनके पास कोई प्लॉन न था, न होगा, इनके पास केवल जुमले हैं। आज किसान फिर बंपर पैदावार करके मंडियों में भटकता फिर रहा है, मंडियों में भुगतान नहीं हो रहा। इस सरकार ने किसानों और आढ़तियों का सारा सिस्टम तहस-नहस कर दिया है। इन्होंने किसानों के हित निजी कंपनियों को बेच दिए हैं, जबकि कांग्रेस आएगी तो किसान को उसकी फसल का पूरा दाम और समय से मिलेगा। किसानों की खुशहाली कांग्रेस लाएगी इसका पूरा रोडमैप तैयार है।

प्रश्न- भाजपा के बेटी पढ़ाओ, बेटी बचाओ के नारे का कितना असर हुआ?

उत्तर- ये केवल नारा बन कर रह गया, आप देखें कि निर्भया फंड का कितना इस्तेमाल हुआ। ये देश को बताएं कि उस पैसे का क्या हुआ। बेटी पढाओ-बेटी बचाओ एक अच्छी शुरूआत हो सकती थी लेकिन यह भी अन्य नारों की तरह जुमला साबित हुआ है। बेटियां आज सुरक्षित नहीं हैं। इन्होंने महिला आरक्षण बिल क्यों नहीं पास करवाया। इतने बिल जबरदस्ती पास करवाए हैं भाजपा ने लेकिन महिला आरक्षण बिल क्यों नहीं पास करवाया! इनकी महिलाओं के उत्थान के प्रति कोई प्रतिबद्धता नहीं है केवल खोखले स्लोगनों से कुछ नहीं होता।

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