Grain: अनाज पर युद्ध की छाया

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Grain: रूस ने काला सागर अनाज समझौता रद्द कर दिया है, जिससे इथियोपिया, सोमालिया और केन्या जैसे देशों के लिए खाद्य संकट पैदा हो सकता है। विशेष बात यह है कि रूस द्वारा समझौता रद्द करने से पूर्व यूक्रेन ने क्रीमिया पर आक्रमण कर दिया था। रूस ने दावा किया है कि पश्चिमी देशों द्वारा इसकी पालना नहीं करने के चलते समझौता रद्द किया गया है और इस हमले का समझौते को वापिस लेने से कोई लेना-देना नहीं है। रूस का यह भी कहना है कि समझौते के मुताबिक पश्चिमी देश गरीब देशों को अनाज नहीं भेज रहे थे, इसलिए ये समझौता रद्द करना पड़ा है। Russia

अगर पश्चिमी देश नियमों का पुन: पालन करते हैं तो रूस दोबारा समझौते में शमिल हो जाएगा। वास्तविक्ता जो भी हो, लेकिन यह तथ्य है कि युद्ध की परिस्थितियों के दौरान गरीब देशों और नागरिकों को समस्याएं से जूझना पड़ता है। दरअसल, रूस की अनुमति से यूक्रेन काला सागर के रास्ते अनाज निर्यात करता है, जिससे गरीब देशों को भोजन मुहैया हो रहा था। सोमालिया की राजधानी मोगादिशु में बारिश की कमी के चलते लोगों को दिक्कतों से दो-चार होना पड़ रहा है। कई अफ्रीकी देश दशकों से सूखे से त्रस्त हैं। पश्चिमी देशों को भी रूस की आपत्तियों को स्पष्ट कर इस समस्या का समाधान कर अपनी जिम्मेदारी निभानी चाहिए। Grain

यह मानवीय संवेदनाओं से जुड़ा हुआ मामला है, इसीलिए रूस और पश्चिमी देशों दोनों का कर्तव्य बनता है कि वे काला सागर अनाज समझौते को पुन: बहाल करने के प्रयास करें। नि:संदेह, युद्ध में सेनाएं अपने-अपने देशों के लिए लड़ती हैं, बावजूद इसके जनता के हितों को अनदेखा नहीं किया जा सकता। अतीत में कई युद्धों का एकमात्र उद्देश्य मानव अधिकारों की रक्षा करना था, इसलिए युद्ध में मूलभूत आवश्यकताओं को प्राथमिकता दी जानी चाहिए। भारत-पाकिस्तान के बिगड़ते रिश्तों के बावजूद जीवनदायी जल का मामला टकराव से परे है। भूकंप और बाढ़ जैसी प्राकृतिक आपदाओं के दौरान भी भारत पाकिस्तान को हर संभव मदद मुहैया करवाकर एक मिसाल कायम कर चुका है। Grain

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