किसी ने आशा तो किसी ने निराशावादी बताया आम बजट

Budget Sachkahoon

सच कहूँ/संजय मेहरा गुरुग्राम। मंगलवार को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा पेश किए गए आम बजट (Budget) पर लोगों की राय भिन्न है। किसी ने बजट को आशावादी तो किसी ने निराशावादी बताया। किसी ने इसे सिर्फ कुछ पूंजीपतियों को लाभ पहुंचाने वाला बताया तो किसी ने इसे देश के हर नागरिक के अनुकूल बताया। बजट पर हमने कुछ खास लोगों से बात की, प्रस्तुत है बातचीत के अंश:

बजट में 25 साल के विकास का खाका : ओमप्रकाश धनखड़

आम बजट (Budget) को भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष ओमप्रकाश धनखड़ ने आगामी 25 साल के विकास का बजट बताया है। उन्होंने इसे आत्मनिर्भर भारत का बजट बताते हुए कहा कि यह बजट किसानों की आय बढ़ाने, गरीबों को विकास की धारा में लाने, बेरोजगारों को रोजगार देने और बेघरों को छत देने वाला है। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि यह बजट देश की व्यवस्था को और मजबूत करने वाला बजट साबित होगा। इस बजट से साफ है कि गरीबों के जीवन स्तर को बेहतर बनाने के लिए मोदी जी संकल्पित हैं। ओमप्रकाश धनखड़ ने कहा कि वर्ष 2022-2023 के इस बजट में किसानों को एमएसपी के माध्यम से 2.7 लाख करोड़ रुपये देने का फैसला एतिहासिक है। एमएसपी पर किसानों की फसलों की रिकार्ड तोड़ खरीद हो सकेगी।

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अनेक क्षेत्रों को मजबूती देगा बजट: सुधीर सिंगला

गुरुग्राम के विधायक सुधीर सिंगला ने कहा कि आम बजट (Budget) देश के हर नागरिक के लिए खास है। हर वर्ग का विशेष ख्याल इस बजट में रखा गया है। चाहे शिक्षा का क्षेत्र हो या रक्षा का, चाहे रेलवे हो या अन्य कोई क्षेत्र, सभी के लिए इस बजट में प्रावधान किए गए हैं। यह बात उन्होंने मंगलवार को घोषित किए गए बजट पर अपनी प्रतिक्रिया में कही। विधायक सुधीर सिंगला ने कहा कि कोरोना महामारी के समय में भी सरकार ने बजट को हर आदमी के हित को ध्यान में रखते हुए ही बनाया है। प्राइवेट इन्वेस्टमेंट और विकास को बढ़ावा देने के लिए बजट में पूंजीगत खर्च को 35.4 प्रतिशत बढ़ाकर 7.50 लाख करोड़ रुपये किया गया है।

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डिजिटल यूनिवर्सिटी शिक्षा ढांचा करेगी मजबूती: नवीन गोयल

पर्यावरण संरक्षण विभाग भाजपा हरियाणा प्रमुख नवीन गोयल ने मंगलवार को पेश किए गए आम बजट (Budget) पर अपनी प्रतिक्रिया में कहा कि देश में शिक्षा के क्षेत्र में बड़ी घोषणा वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने की है। डिजिटल यूनिवर्सिटी बनाने की यह घोषणा देश के शिक्षा ढांचे को मजबूत करेगी। अब छात्र शिक्षण संस्थानों तक नहीं बल्कि संस्थान छात्रों तक पहुंचेंगे। इसके साथ ही अन्य कई बड़ी घोषणाएं करके देशवासियों को राहत देने का काम किया गया है।

 

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यह बजट भविष्य का बजट है : अरविंद कुमार

भारत सरकार में एसटीपीआई के महानिदेशक अरविंद कुमार ने कहा कि यह बजट भविष्य का बजट है। बजट में डिजिटल इंडिया और टेक्नोलॉजी इनेबल डेवलपमेंट पर जोर दिया गया है। बजट 2022 में डिजिटल क्षेत्र पर काफी फोकस दिया गया है। हर क्षेत्र में डिजिटल सेवाओं और सुविधाएं शुरू होंगी। इसमें किसानों को डिजिटल सेवाएं देने के साथ ही डिजिटल करेंसी से लेकर डिजिटल यूनिवर्सिटी, ई-पासपोर्ट, डिजिटल शिक्षा, स्वास्थ्य के क्षेत्र में डिजिटल एप्लीकेशन, बैंकिंग और पोस्ट-आॅफिसेज में ऑनलाइन सुविधाएं जैसी बड़ी घोषणाएं शामिल हैं। एपीआई आधारित कौशल क्रेडेंशियल्स के माध्यम से कौशल उप-स्किल, रिस्किल के लिए डिजिटल इकोसिस्टम को विकसित करने के लिए डिजिटल पुश द्वारा इस सेक्टर में नौकरियों का सृजन भारत को आत्मनिर्भर बनाएगा।

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अंतिम व्यक्ति तक लाभ पहुंचाने वाला है बजट: डा. पायल

एम3एम फाउंडेशन की ट्रस्टी डॉ. पायल कनोडिया ने बजट पर प्रतिक्रिया में कहा कि बजट में की गई घोषणाओं ने लाइन में खड़े अंतिम व्यक्ति के लिए संसाधन उपलब्ध और सुलभ बनाने के लिए महत्वपूर्ण सभी पहलुओं को शामिल किया गया है। सक्षम आंगनबाड़ी और पोषण 2.0 कार्यक्रम न केवल दो लाख आंगनबाड़ियों को लाभ प्रदान करेगा, बल्कि स्वस्थ और समृद्ध भारत के लिए समाज के प्रत्येक वर्ग के विकास को भी सुनिश्चित करेगा। आॅनलाइन लर्निंग ने भारत में शिक्षा के क्षेत्र को बदल दिया है। स्कूली बच्चों के लिए 200 टीवी चैनल, पीएम ई-विद्या की पहुंच का विस्तार और स्किलिंग के लिए आॅनलाइन पोर्टल जैसी घोषणाएं निश्चित रूप से डिजिटल लर्निंग के भविष्य की नींव रखेगी।

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कुछ चुनिंदा उद्योगपतियों को राहत देने वाला है बजट : बुवानीवाला

राष्ट्रीय जन उद्योग व्यापार संगठन के राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष अशोक बुवानीवाला ने कहा कि केन्द्रीय बजट को आम जन, लघु-मझौले व खुदरा व्यापारियों के लिए निराशाजनक है। उन्होंने कहा कि वित्त मंत्री द्वारा जारी बजट अपनी पसंद के कुछ चुनिंदा उद्योगपतियों को राहत देने वाला तथा बाकी सभी वर्गों को निराशा देने वाला है। केन्द्र सरकार को बताना चाहिए, ये देश का पैसा कहा जा रहा है। देश का लघु उद्योग भी केन्द्र सरकार से उम्मीदें लगाए बैठा था कि एमएसएमई में सुधार कर उनके उत्थान के लिए क्रांतिकारी कदम उठाए जाएंगे, लेकिन उनकी सारी उम्मीदों को धराशायी कर दिया गया। व्यापारी नेता ने कहा कि केन्द्र सरकार अगर लघु एवं मझले उद्योगों के जरिए देश की आर्थिक रीढ़ सुदृढ़ करना चाहती है तो उसे बजट में प्राथमिकताएं देनी चाहिए थी।

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जैसी उम्मीद थी वैसे बजट नहीं आया: डा. शुचिन बजाज

उजाला सिग्नस गु्रप ऑफ़ हॉस्पिटल्स के फाउंडर एवं निदेशक डॉ. शुचिन बजाज ने कहा कि जब हम पिछले साल बड़े पैमाने पर महामारी की दूसरी लहर से जूझ रहे थे, तो हमने सोचा था कि इस भयानक बीमारी का एकमात्र फायदा यह होगा कि देश में हेल्थकेयर सेक्टर की वर्तमान स्थिति सरकार, विशेष रूप से प्रधानमंत्री, वित्त मंत्री और सरकार का ध्यान खींचेगी। इससे हमें हेल्थकेयर सेक्टर में बजट में दिए जा रहे आवंटन में बढ़ोत्तरी देखने को मिलेगी। हेल्थकेयर का बजट सरकार बढ़ाकर जीडीपी का 3 प्रतिशत करेगी। हालांकि यह नहीं हो पाया है। दुर्भाग्य से हमने इस बजट में हेल्थकेयर और शिक्षा पर ज्यादा कुछ नहीं देखा है। राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य टेली हेल्पलाइन शुरू की जा रही है।

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बजट 2021 से लिया गया है बजट 2022: डा. तुषार ग्रोवर

विजन आई सेंटर के मेडिकल डायरेक्टर डॉ. तुषार ग्रोवर का कहना है कि बजट-2022 विकास वाला बजट होने के साथ-साथ यह बजट-2021 से लिया गया है। गतिशक्ति के माध्यम से बुनियादी ढांचे के निर्माण पर जो ध्यान दिया गया है, वह मुख्य रूप से चार प्राथमिकताओं में से एक है। बजट पर सरकार द्वारा बुनियादी ढांचे के निर्माण को लेकर उठाया गया कदम सरकार के दीर्घकालिक उद्देश्य को दर्शाता है। भले ही महामारी अपना नकारात्मक रूप बरकरार किए हुए है। राष्ट्रीय डिजिटल स्वास्थ्य ईको सिस्टम के रूप में स्वास्थ्य के बुनियादी ढांचे को व्यापक रूप से डिजिटल बनाने के प्रयास के साथ-साथ बेहतर मानसिक स्वास्थ्य केंद्रों की स्थापना की घोषणा एक अच्छा तथा स्वागत योग्य कदम है।

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स्वास्थ्य पर कुछ खास ध्यान नहीं दिया: डा. प्रदीप

आम बजट-2022 पर प्रतिक्रिया में सिक्स सिग्मा हेल्थकेयर के सीईओ डॉ. प्रदीप भारद्वाज ने कहा कि इस बजट में स्वास्थ्य पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया गया। यह बजट स्वास्थ्य क्षेत्र के लिये निराशा भरा है। हेल्थकेयर इंडस्ट्री के लिये इसमें कुछ नहीं है। बजट में महत्वपूर्ण चिकित्सा उपकरण और उपकरणों सहित स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र में अन्य आवश्यक चिकित्सा सेवाओं के लिए बहुत अधिक वादा नहीं किया है। सरकार को स्वास्थ्य क्षेत्र पर भी अधिक ध्यान देना चाहिए था। कोरोना महामारी से जूझते हुए हमने अनेक समस्याओं का सामना किया। ऐसे में जरूरी था कि बजट में चिकित्सा क्षेत्र को भी छूना चाहिए थे।

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