Dearness: सब्जियों के तल्ख तेवर और बढ़ती महंगाई

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सब्जियों के तल्ख तेवर और बढ़ती महंगाई

Dearness: सब्जियों के दाम इन दिनों सुर्खियां बटोर रहे हैं। टमाटर के साथ प्याज, अदरक, धनिया सहित अन्य सब्जियों के दाम आसमान छू रहे हैं। महंगाई की मार ने रसोई के बजट को पूरी तरह से बिगाड़ दिया है। सबसे ज्यादा दाम टमाटर के बढ़े हैं। लेकिन कुछ ही दिन पहले टमाटर के भाव तक नहीं मिल पा रहे थे। वे टमाटर को फेंकने को मजबूर हो रहे थे। अब हालात उलट हैं, आपूर्ति का संकट हो गया है क्योंकि देश के कई हिस्सों में फसल खराब हो गई है। सामान्य तौर पर टमाटर कोल्ड स्टोरेज में रखने से इस तरह के आपूर्ति के संकट से बचा जा सकता है। लेकिन आखिर क्या टमाटर और अन्य सब्जियों को कोल्ड स्टोरेज में रखा जा सकता है अगर हां तो कितने समय तक?

महंगी सब्जियों ने रसोई के बजट को बिगाड़ दिया है। बारिश के बाद हरी सब्जियों के भाव अचानक बढ़ गए हैं जिससे अब आम लोगों की थाली से हरी सब्जी दूर होती जा रही है। महंगाई का असर वैसे तो हर वर्ग पर पड़ रहा है, लेकिन सबसे अधिक असर गृहणियों पर पड़ रहा है। इस समय रसोई की अनेक वस्तुओं के भाव दोगुने हो गये हैं। ऐसी कोई वस्तु नहीं है जिसके भाव नहीं बढ़े हों। बढ़ती महंगाई पर गृहिणियों ने बताया कि पहले उन्हें रसोई खर्च में से कुछ बचत हो जाती थी, लेकिन अब उनकी बचत राशि भी रसोई पर खर्च हो रही है। बढ़ती महंगाई से रसोई में दूसरा कोई विकल्प भी नजर नहीं आ रहा है। मंहगाई को लेकर राजनीति भी खूब हो रही है। Dearness

देश में हर साल मानसून की पहली बरसात के बाद ऐसा ही हाल होता है। रातों-रात भाव आसमान छूने लगते हैं। ऐसे में गरीब ही नहीं मध्यवर्गीय परिवार के किचन का बजट भी बिगड़ना स्वाभाविक ही है। लेकिन अहम व गंभीर सवाल यह है कि परंपरागत होने वाली इस समस्या का स्थाई निदान न सरकारें ढूंढ़ पायी हैं न मूल्य नियंत्रण समिति रोक पाई है। ऐसी स्थिति का सामना महीने भर तक पूर्व भंडारण से किया जा सकता है जिस पर सरकार को सोचना चाहिए।

दिल्ली की कई सरकारों की जड़ें हिलाने का काम प्याज ने किया | Dearness

माना कि हर साल बारिश के मौसम में जल्दी खराब होने वाली सब्जियों के दाम मांग व आपूर्ति के असंतुलन से बढ़ते हैं। लेकिन इस बार टमाटर के दाम सौ रुपये से ज्यादा प्रति किलो तक पहुंचने से सब लोग चौंक उठे हैं। कभी प्याज को ये रुतबा हासिल था, जो न केवल आम लोगों की आंखों में आंसू ला देता था बल्कि सरकार गिराने-बनाने के खेल में शामिल रहता था। दिल्ली की कई सरकारों की जड़ें हिलाने का काम प्याज ने किया। कह सकते हैं कि तब मजबूत विपक्ष ने जनता के दर्द को राजनीतिक हथियार बनाने में कामयाबी पायी थी। अब जनता के लिये जरूरी सब्जियों की महंगाई को मुद्दा बनाने की कूवत व संवेदनशीलता विपक्षी दलों में नजर नहीं आती। कह सकते हैं कि या तो अब ये मुद्दे जनता की प्राथमिकता नहीं बन पा रहे हैं या विपक्षी दल जनता की मुश्किल को राजनीतिक अवसर में बदलने में नाकामयाब रहे हैं।

हरियाणा-पंजाब आदि इलाकों में टमाटर की महंगाई की वजह यह बताई जा रही है कि स्थानीय टमाटर की फसल खत्म हो चुकी है और अन्य राज्यों से आने वाली नई फसल की आमद नहीं हो पाई है। मानसून में पहले कभी टमाटर के दामों में ऐसी आग कभी नहीं लगी। निस्संदेह, कुछ अन्य कारण भी इस अप्रत्याशित महंगाई के मूल में हैं।

इसमें कोई दो राय नहीं है कि टमाटर आदि कुछ सब्जियां ऐसी हैं, जिनका भंडारण देर तक संभव नहीं है। जल्दी फसल तैयार होती है और जल्दी खत्म भी हो जाती है। लेकिन अदरक, लहसुन व प्याज का मुनाफाखोरों के गोदामों में भंडारण कुछ समय तक रह सकता है। खरबूजे को देख खरबूजे के रंग बदलने के मुहावरे के अनुरूप टमाटर की महंगाई को देख अन्य सब्जियों व उनमें तड़का लगाने में काम आने वाले लहसुन, प्याज व अदरक के दाम उछलने लगे हैं।

ज्यादातर सब्जियां गर्मी व बरसात से बर्बाद हो गईं | Dearness

निस्संदेह, रिटेल माफिया का बड़ा हाथ इस तरह की महंगाई को बढ़ाने में होता है। सब्जी कारोबारियों के अनुसार, सभी सब्जियां मंडी में आती हैं लेकिन पैदावार कम होने से कीमत में इजाफा हुआ है। गर्मी के कारण ज्यादातर सब्जियां झुलस गईं। खेतों में जो सब्जियां बची हैं, अब वे बरसात से बर्बाद हो रही हैं। इसी के चलते सब्जियों के भाव आसमान छू रहे हैं।

टमाटर की बढ़ती कीमतों का फायदा किसानों को तो नहीं मिल रहा है, बल्कि इसका लाभ बिचौलिए उठा रहे हैं। जिसका कोई उचित कारण नहीं है। सब्जी का उत्पादन या बुआई का प्रबंधन भी समाधान का हिस्सा है। सरकार को किसानों को गर्मी में टमाटर बोने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए। भंडारण यानी कोल्ड स्टोरेज एक समाधान हो सकता है। कई सब्जियां कोल्ड स्टोरेज में रखी जा सकती हैं। वहीं पहले अगर टमाटर की बात करें तो पके टमाटर को 13 डिग्री सेल्सियस से कम तापमान पर कई दिनों तक रखा जा सकता है।

75 वर्षो से सरकारी दावे खोखले | Dearness

सब्जियों के भंडारण का कार्य बहुत संवेदनशील है। जहां कुछ सब्जियों को फ्रिज में रखने से उन्हें कई दिनों तक चलाया जा सकता है तो वहीं प्याज जैसी कुछ सब्जियों को ठंडक से दूर सामान्य वातावरण में किंतु हवा और नमी से बचाने की जरूरत होती है, कई सब्जियों के लिए कोल्ड स्टोरेज से बेहतर समाधान फूड प्रोसेसिंग है जैसे टमाटर के भंडारण से बेहतर है उसकी प्यूरी तैयार कर कोल्ड स्टोरेज में रख ली जाए जो अगले सीजन तक चल सकती है।

यह विडंबना ही है कि पिछले 75 वर्षो में सरकारी दावों के बीच हम किसानों को कोल्ड स्टोरेज की सुविधा उपलब्ध नहीं करा पाए हैं। वह खेत से फसल काटकर तुरंत बाजार में बेचने को मजबूर होता है क्योंकि सब्जियां जल्दी खराब हो जाती हैं। जिसका फायदा बिचौलिए और मुनाफाखोर उठाते हैं। किसान ज्यादा फसल उगाता है तो भी नुकसान में रहता है और कम उगाता है तो भी नुकसान में रहता है। अच्छी फसल का लाभ न किसान को मिलता है और न उपभोक्ता को ही। इसमें कोई दो राय नहीं है कि आसमान छूती सब्जियों की कीमतों के कारण रसोई का अर्थशास्त्र गड़बड़ा गया है। ऐसे समय में सरकार को सस्ती सब्जियों की दुकानें खोलकर उपभोक्ताओं को राहत पहुंचानी चाहिए। Dearness

संतोष कुमार भार्गव, वरिष्ठ लेखक एवं स्वतंत्र टिप्पणीकार (यह लेखक के अपने विचार हैं)

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