फिर शुरू हुआ प्रवासियों का पलायन

Migration of Migrants

बोले: सरसों-गेंहू की कटाई का काम पूरा, अब रूक कर क्या करें?

(Migration of Migrants)

  •  पैर भी सूजे, पर नहीं टूट रही हिम्मत

भिवानी (सच कहूँ/इन्द्रवेश)। गेंहू व सरसों की कटाई का कार्य पूरा होने के साथ ही एक बार फिर से विभिन्न स्थानों पर फंसे प्रवासी मजदूरों को घरों की याद सताने लगी है और बड़ी संख्या में ये प्रवासी मजदूर फिर से चोरी छिपे अपने घरों को रवाना होने लगे हैं। हालांकि सरकार के आदेश हैं कि प्रवासियों को वहीं रोका, जाए जहां पर वे हैं। बावजूद इसके इन प्रवासियों का पलायन थमने का नाम नहीं ले रहा। प्रवासी मजदूर प्रदेश के अन्य हिस्सों व पड़ोसी राज्यों से होते हुए अपने-अपने गंतव्य की ओर जा रहे हैं।

  • आज लगभग 180 किलोमीटर का सफर पैदल तय कर भिवानी पहुंचे प्रवासी मजदूर परिवार ने कहा है।
  • उन्हें पंजाब के अबोहर जाना है।

 कोरोना संक्रमण रोकने के लिए पुलिस ने नाकेबंदी की हुई है

बावजूद इसके ये मजदूर दाये-बांये से निकलने का प्रयास कर रहे हैं। पंजाब के लिए निकले परिवार के सदस्य गुरदयाल सिंह ने बताया कि पैदल चलते चार दिन और रातें हो चुकी हैं और उन्हें नहीं मालूम कि उन्होंने कितना सफर तय कर लिया है। उन्हें तो केवल इतना ही मालूम है कि घर पहुंचना है। अपने बीवी व बच्चों के साथ जा रहा गुरदयाल थक जरूर चुका है, लेकिन उसमें घर पहुंचने का ज़ज्बा बरकरार है। उसने बताया कि लगभग डेढ़ माह पूर्व वह अबोहर से अपनी पत्नी और दो बेटों को लेकर राजस्थान के अलवर में काम करने के लिए गया था।

  • इस परिवार की दिक्कतें उसी दिन से शुरू हो गई, जब से वे अलवर गए थे।
  • उन्हें काम की एवज में मजदूरी भी नहीं दी गई।
  • ऐसे में भूखा रहने की बजाय उसने परिवार सहित घर की तरफ कूच करने की ठानी है।
  • रेवाड़ी से पैदल चले 16 प्रवासी मजदूर, जिन्हें हिसार पहुंचना है, की भी यही कहानी है।

इन प्रवासी मजदूरों सूच्चा सिंह, निकू, बलजीत आदि ने बताया कि वे रेवाड़ी में सरसों व गेंहू कटाई पर गए थे और अब गेंहू कटाई का कार्य पूरा हो चुका है। इस दौरान लगे लॉकडाउन में वे रेवाड़ी में फंस गए। ऐसे में उन्होंने पैदल ही घर निकलने की ठानी है। गांव ईशरवाल से कुछ प्रवासी मजदूर पैदल ही सामान और छोटे बच्चों को साथ लेकर गाजियाबाद के लिए निकले हैं। गांव से यहां तक पहुंचे प्रवासी मजदूरों महेंद्र, उमेश, कुलदीप अनमोल आदि ने कहा कि गांव में काम खत्म हो चुका है और घर पर जाना मजबूरी है।

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