सतगुरू जी के वचनों से पूरे परिवार व गांववालों ने लिया गुरूमंत्र

Saha-Mastana-Ji-Maharaj

शाह मस्ताना जी धाम सरसा के साथ लगते गांव नटार की बहन सभरो डेरा सच्चा सौदा की ख्याति सुनकर आश्रम में सत्संग सुनने पहुंची। सत्संग में राम-नाम की ही चर्चा हुई। पूजनीय बेपरवाह शाह मस्ताना जी महाराज के शाही सुसज्जित स्टेज पर पधारते ही चारों ओर मस्ती छा गई। तीन घंटे चले सत्संग में आप जी ने समझाया, ‘‘अपनी आत्मा को सुमिरन रूपी खुराक दो। हर हाल में खुश रहो। सब उपाय छोड़कर जिन्दाराम की शरण में रहो।’’ सच्चे फकीर के दर्शन पाकर व सत्संग सुनकर सभरो को तसल्ली हुई। उसने नाम-दान प्राप्त किया और खुशी-खुशी घर वापिस चली गई। जब उसके परिवार में पता चला कि वह नाम ले आई है तो उसके पति व पुत्र ने सभरो से झगड़ा किया। उसे तंग करने लगे कि तूने नाम क्यों लिया है? अगले दिन सभरो डेरा सच्चा सौदा में आई। मौका पाकर दाता जी से बोली कि बाबा जी, आप ने जो नाम मुझे कल दिया था वह वापिस ले लो जी। मेरा पति, मेरा पुत्र और मेरी बहु मुझसे लड़ते हैं। इस प्रश्न पर आप जी ने फरमाया, ‘‘बल्ले! बल्ले! यह तो मौज बन गई।

पुट्टर ऐसा कर, नाम तो वापस नहीं हो सकता लेकिन तुझे आठ दिन तेरी नूंह (पुत्र वधु), तेरा लड़का, तेरा पति जो वी कम्म तुझे बोलें, तू भज्ज-भज्ज के करीं। अग्गों ना बोलीं, चुप रहीं।’’ हुक्मानुसार सभरो ने घर जाकर अपने परिवार वालों से नम्रता वाला व्यवहार करना शुरू कर दिया। सतगुरु की याद में रहने लगी। तीन-चार दिन के बाद ही परिवार के सभी सदस्य सभरो की इज्जत करने लगे। उसके पुत्र व पुत्रवधु ने प्रात: उठकर उसके पैरों को हाथ लगाते हुए कहा कि हमें भी बाबा जी के पास ले जाकर नाम दिलवाओ। बाबा जी ने हमें दर्शन देकर समझाया है कि अपनी माता को बिना वजह तंग क्यों करते हो? तुम सभी नाम ले लो। सभरो यह सब देख सुन बहुत प्रसन्न हुई। सतगुरु का लाख-लाख धन्यवाद करने लगी। पूजनीय बेपरवाह शाह मस्ताना जी महाराज की रहमत से सारा परिवार सुधरने लगा। वह खुशी-खुशी एक परात बूंदी लेकर दाता जी के पास आई। उस समय आप जी मजलिस कर रहे थे।

सभरो ने कहा कि बाबा जी, आप जी ने हम पर बड़ी कृपा की है। मेरे परिवार के सभी लोगों ने सदा के लिए बुरी आदतें छोड़ने का मन बना लिया है। यह बूँदी का थाल मैं यहां बाँटने के लिए लाई हूँ। इस पर आप जी ने बूँदी के थाल पर दृष्टि डालते हुए फरमाया, ‘‘पुट्टर! इस बूँदी को गाँव में ले जाकर बाँट देना।’’ सभरो ने गांव नटार जाकर बूँदी का प्रसाद घर वालों को और जो भी गांव में मिला उन्हें बाँट दिया। जिस-जिसने भी वह प्रसाद खाया वे सभी सभरो के पास आने शुरू हो गये और पूछते कि अब सच्चा सौदा में सत्संग कब होगा? हमने सत्संग सुनने बाबा जी के पास जाना है। हमें साथ जरूर लेकर जाना। अगले मासिक सत्संग में वे सभी सर्व धर्म-संगम डेरा सच्चा सौदा सरसा में पूजनीय बेपरवाह शाह मस्ताना जी महाराज का रूहानी सत्संग सुनने आये और पवित्र नाम-शब्द की दात प्राप्त कर अपना आवागमन का चक्कर मुकाया।

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