जिला संगरूर में आग बुझाने के प्रबंध नदारद

Fire-Brigade

गेहूं की कटाई का सीजन शुरू होने के किनारे: भवानीगढ़, दिढ़बा, अमरगढ़, लोंगोवाल, लहरा में मौजूद नहीं फायर बिग्रेड

सच कहूँ/गुरप्रीत सिंह संगरूर। गेहूं की कटाई का काम शुरू होने वाला है और गेहूं मंडियों में आने के लिए तैयार है परन्तु गेहूं की कटाई समय घटती आग लगने की घटनाओं को लेकर ‘सच कहँ’ की ओर से जिला संगरूर में फायर के प्रबंधों का जायजा लिया गया तो लगभग आधे से अधिक हलकों में अभी तक फायर ब्रिगेड की गाड़ियां मौजूद ही नहीं है। जिला संगरूर में सिर्फ संगरूर, सुनाम, धूरी, मालेरकोटला हलकों में ही सिर्फ 6 गाड़ियां हैं जबकि भवानीगढ़, दिढ़बा, अमरगढ़, लोंगोवाल, लहरागागा में तो अभी तक कोई गाड़ी का प्रबंध नहीं किया गया पिछले वर्ष जिला संगरूर में 50 से अधिक स्थानों पर आग लगने की घटनाएं घटीं थी परन्तु इससे सबक लेते आज फायर बिग्रेड का कोई प्रबंध नहीं किया गया। कुछ समय पहले तत्कालीन कैबिनेट मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू की ओर से हलका संगरूर, धूरी और सुनाम और मालेरकोटला को नयी फायर बिग्रेड की गाड़ियां दी गई थीं परन्तु इन गाड़ियों को काम करने के लिए दूसरे हलकों में जाना पड़ता है।

जिला संगरूर का मुख्य फायर ब्रिगेड दफ़्तर मुख्य अफसर से बिना लावारिस

जिला संगरूर के मुख्य शहर संगरूर में फायर प्रबंधों का जायजा लेने के लिए जब सच-कहूँ की टीम की ओर से उभ्भावाल रोड स्थित फायर ब्रिगेड के दफ़्तर का दौरा किया गया तो वहां पता चला कि उसके कर्मचारियों की तरफ से अपने स्तर पर ही काम चलाया जा रहा है उन्होंने कर्मचारियों को कमांड करने वाले फायर अफसर की अभी तक कोई नियुक्ति नहीं की गई, जिस कारण मुख्य अफसर से बिना यह दफ़्तर लावारिस ही चल रहा है। फायर ब्रिगेड दफ़्तर में मौजूद कर्मचारी ने बताया कि हमारे दफ़्तर में चार गाड़ियां हैं, जिनमें से 2 बड़ी गाड़ियां हैं, जिनकी केपैस्टी 4500 लीटर प्रति गाड़ी है। इसके अलावा एक मोटर साइकिल और एक जीप है।

उन्होंने बताया कि 23 मार्च को यहां से मुख्य अधिकारी की बदली होने के बाद अभी तक किसी को यहां नहीं लगाया गया। उन्होंने बताया कि हमारा 32 जनों का स्टाफ है जो अपने स्तर पर ड्यूटियां दे रहे हैं। उन्होंने कहा कि एबीसी कैटागिरियां बनाकर शिफट अनुसार हम नौकरी करते हैं। उन्होंने कहा कि पिछले साल आग लगने की 50 काल आईं थी, जिनमें से आधे की अपेक्षा ज्यादा घटनाओं में पहले ही आग बुझ गई। उन्होंने बताया कि उनको आग बुझाने के लिए संगरूर के अलावा लोंगोवाल, भवानीगढ़ आदि के क्षेत्रों में भी जाना पड़ता है।

विधानसभा हलका दिढ़बा में पिछले लंबे समय से नहीं है फायर ब्रिगेड

दिढ़बा से प्रवीण गर्ग की रिपोर्ट : विधान सभा हलका दिढ़बा जो रिजर्व श्रेणियों के लिए आरक्षित घोषित किया हुआ है परन्तु इस हलके में किसी ने कोई बड़ी सुविधा लोगों के लिए नहीं दी। हलका दिढ़बा केवल ग्रामीण क्षेत्र है, 20 से ज्यादा गांवों के साथ घिरे इस हलके के लोगों ने कई बार संबंधित विधायक को फायर ब्रिगेड की गाड़ी लाने के लिए अपीलें की परन्तु किसी के कान पर कोई जूं नहीं सरकी। नगर पंचायत दिढ़बा के प्रधान बिट्टू खान ने बताया कि उन्होंने कई बार यहां आग बुझाओ गाड़ी लाने के लिए अपने तौर पर अपील भी की थी परन्तु किसी ने इस तरफ कोई सुनवाई नहीं की। उन्होंने कहा कि दिढ़बा हलके में पिछले लंबे समय से आग लगने की घटनाएं घट रही हैं, ज्यादातर गांवों में गेहूँ या झाड़ को आग लगने कारण घटनाएं घटतीं हैं परन्तु आग बुझाने के लिए यहाँ सुनाम और दूसरे स्थानों से फायर ब्रिगेड की गाड़ी बुलानी पड़ती है।

उन्होंने कहा कि हजारों की आबादी वाले इस हलके में पटाखों के बड़े-बड़े स्टाक होने के बावजूद भी एक फायर ब्रिगेड लाने की कोई बात नहीं कर रहा। पिछले सालों में सूलर में एक पटाखों के स्टोरेज में आग लगने से बड़ा नुक्सान हो गया था। इसके अलावा तहसील काम्ॅपलैक्स के नजदीक खड़ी गेहूं को आग ने अपनी चपेट में ले लिया था और लोगों ने बहुत मुश्किल से वहां आग बुझाई थी। हलके के लोगों की मांग है कि जल्दी से जल्दी यहां फायर ब्रिगेड लाई जाए।

भवानीगढ़ में नहीं है कोई फायर ब्रिगेड

भवानीगढ़ से विजय सिंगला के अनुसार:
भवानीगढ़ शहर संगरूर और पटियाला के बीच होने के बावजूद अभी तक इस को कोई फायर ब्रिगेड नहीं मिली चाहे पिछले लंबे समय से नगर कौंसिल मौजूद है, जहां हर पांच साल बाद वोटें पड़तीं हैं। जीतने उपरांत बड़ी संख्या नगर कौंसलरों की ओर से वायदे किये जाते हैं परन्तु हर बार यह वायदे बहाने ही साबित हुए हैं। भवानीगढ़ के नजदीक 60 से ज्यादा गांव होने के बावजूद यहां हर साल आगजनी की दर्जनों घटनाएं घटतीं रहती हैं परन्तु आग बुझाने के लिए सुनाम या संगरूर से ही फायर बिग्रेड की गाड़िÞयों का इन्तजार रहता है।

भवानीगढ़ के लोगों को अपनी गाड़ी न होने के कारण दूसरों के सहारा रहना पड़ रहा है, जिस कारण उनका बड़ा नुक्सान होता है। इस सम्बन्धित बातचीत करते प्रैस क्लब भवानीगढ़ के प्रधान गुरप्रीत सिंह ग्रेवाल ने कहा कि हम हर बार सत्ताधारी पक्ष से अपीलें करते रहे हैं परन्तु अभी तक लोगों की मांग पूरी नहीं हुई। उन्होंने कहा कि फायर बिग्रेड की गाड़ी न होने के कारण यहां हर बार बड़ा नुक्सान होता है। अचानक लगी आग के कारण संगरूर और सुनाम से फायर ब्रिगेड की गाड़ियों को मंगवाना पड़ता है। जब यह गाड़ियां सबंधित जगह पर पहुँचतीं हैं तो तब तक काफी ज्यादा नुक्सान हो चुका होता है। उन्होंने कहा कि भवानीगढ़ को भी फायर ब्रिगेड की गाड़ी दी जाये।

लहरागागा हलके पास नहीं है कोई गाड़ी

लहरागागागा से तरसेम बबली की रिपोर्ट:
लहरागागा शहर में और आसपास के गांवों में आग लगने साथ कई बार घटनाएं घट चुकी हैं परन्तु पंजाब सरकार और सम्बन्धित विभाग की ओर से कोई भी आग बुझाने प्रबंध नहीं किया हुआ है। स्थानीय शहर की नगर कौंसिल के पास तकरीबन 5000 हजार लीटर की पानी वाली टंकी पर आरजीसिस्टम लगा हुआ है, जिससे शहर में छोटी मोटी घटना को रोकने के लिए प्रबंध किया हुआ है। इस सम्बन्धित नगर कौंसिल के सेनटरी इंस्पेक्टर जसवीर सिंह के साथ बातचीत करतेउन को फायर ब्रिगेड बारे पूछा तो उन्होंने कहा कि यह तो सिर्फ शहर
लहरागागा के लिए ही स्पैशल रखी हुई है।

गांवों के साथ घिरे हलका सुनाम में फायर ब्रिगेड की केवल एक गाड़ी

सुनाम से कर्म थिंद की रिपोर्ट:
गांवों के साथ घिरे विधान सभा हलका सुनाम में भी केवल फायर ब्रिगेड की एक गाड़ी ही है, जिस कारण आग लगने के कारण काफी नुक्सान हो जाता है। पिछले दिनों में बड़ी संख्या में आग लगने की घटनाएं घट चुकी हैं, जिस कारण यह एक गाड़ी काफी नहीं है। पिछले दिनों सूलर आटे की चक्की और सुनाम में अग्गजनी की बड़ी घटनाएं घटीं थी, जिस कारण आसपास से आग बुझाओ गाड़ियां मंगवानी पड़ीं थीं। सुनाम में फायर ब्रिगेड गाड़ी के फायरमैन साहब सिंह ने बातचीत करते हुए बताया कि उनके पास सुनाम के लिए एक फायरब्रिगेड गाड़ी है जो किसी भी आग लगने की असुखद घटना के लिए चौबीस घंटे तैयार रहती है।

उन्होंने कहा कि फायर ब्रिगेड गाड़ी के लिए सुनाम में तीन चालकों सहित 14 फायरमैन तैनात हैं जो कि जरूरत अनुसार शिफटों में काम करते हैं। उन्होंने कहा कि फसल के सीजन को देखते हुए उनके उच्च अधिकारियों की तरफ से भी हिदायतें जारी की गई हैं कि गाड़ी को हर समय तैयार रखें। उल्लेखनीय है कि पिछले सीजन के समय सुनाम हलके में कई जगह पक्की गेहूं को आग लगने की घटनाएं हुई थीं जहां समय पर पहुंचकर ज्यादा नुक्सान होने से पहले आग पर काबू पा लिया गया था।

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