Israel-Hamas War: ये युद्ध नहीं नरसंहार है, देश कोई भी हो आतंकवाद का खात्मा जरूरी

Israel-Hamas War
Israel-Hamas War: ये युद्ध नहीं नरसंहार है, देश कोई भी हो आतंकवाद का खात्मा जरूरी

Israel-Hamas War: जब-जब विश्व में जिस-जिस देश के बीच युद्ध हुआ हो वहाँ रहने वाली बेकसूर जनता मारी जाती है। सत्तासीन सरकारें व आतंकवादी संगठन सिर्फ एक दूसरे को नीचा दिखाने व युद्ध में जीत पाने की इच्छा रखते हैं। आम जनता की खैरख्वाह कोई नहीं सोचता। यहाँ हम बात कर रहे हैं, इजराइल व फिलिस्तीन के बीच 8 अगस्त शनिवार से लगातार चलने वाले युद्ध की। एक छोटे से जमीन के टुकड़े के लिए फिलिस्तीन समर्थित आतंकवादी संगठन हमास ने इसराइल पर अचानक हमला किया। इस हमले का जवाब इसराइल ने ताबड़तोड़ तरीके से दिया, क्योंकि अपने देश की जनता की रक्षा करना सबका अधिकार है। हालांकि इस युद्ध में दोनों देशों के लोग मारे जा रहे हैं। दोनों देशों के लोगों की व सरकारी संपत्तियों को नुकसान पहुंच रहा है। कल तक जहां बड़ी-बड़ी बिल्डिंग होती थी, आज वहां सिर्फ मलबे की तस्वीर दिखाई दे रही है।

जिधर देखो उधर ही रक्तपात | Israel-Hamas War

जिधर देखो उधर रक्तपात, खून से सनी सड़कें व मलबे के बीच अपनों को तलाशते लोग दिखाई दे रहे हैं। जिधर देखो उधर मलबा ही मलबा पड़ा है। लोग इस मलबे के बीच अपनों की व खुद की जिंदगी की तलाश कर रहे हैं। रक्तपात में नरसंहार करने में ना तो फिलिस्तीन का हमास संगठन पीछे है और ना ही इजरायल।

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Israel-Hamas War: ये युद्ध नहीं नरसंहार है, देश कोई भी हो आतंकवाद का खात्मा जरूरी

महज़ एक जमीन के टुकड़े के लिए छिड़ी जंग | Israel-Hamas War

इसराइल ने तो यहां तक कहा है कि अभी यह उनकी शुरुआत है। हम हमास का नाम तक मिटा देंगे। कुछ भी हो किसी को भी आम जनता पर दया नहीं आ रही है। फिलिस्तीन हो या इजरायल दोनों ही सिर्फ एक जमीन के टुकड़े के लिए लड़ रहे हैं। जब भी कभी इस युद्ध की समाप्ति होगी, यह जमीन यहीं रहेगी। लेकिन इस जमीन पर अपना जीवन यापन करने वाले लोग हमेशा के लिए अपनी आंख बंद कर चुके होंगे। कुछ ऐसे ही दृश्य आजकल फिलिस्तीन के गाज़ा व इजराइल में देखने को मिल रहे है।

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किसी भी जिंदा इंसान की रूह कांप जाए | Israel-Hamas War

दो दिन पहले इस जंग से संबंधित एक वीडियो सामने आया। इस वीडियो को देखने के बाद किसी किसी भी जिंदा इंसान की रूह कांप सकती है। हमास के आतंकवादी इस प्रकार लोगों का कत्लेआम कर रहे हैं। जिसकी आज के युग में कल्पना भी नहीं की जा सकती। जिस प्रकार की घटनाएं तालिबानी आतंकवादी अंजाम देते थे। उससे भी बुरी वीभत्स करने वाली तस्वीर अब सामने आ रही है।

महिलाओं व बच्चों के साथ अमानवीयता युद्ध अपराध में शामिल!

हमास के आतंकवादी गर्भवती महिलाओं का अपहरण कर उनका पेट चीरकर बच्चा निकाल लेते है तो कहीं बच्चों की सिर कलम कर रहे हैं। इतना ही नहीं महिलाओं के साथ बलात्कार जैसी घटनाएं भी इस युद्ध में सामने आ रही हैं, जो पूरी दुनिया के लिए शर्मनाक है। युद्ध में बेकसूर महिलाओं के साथ ऐसी दरिंदगी नहीं होनी चाहिए। हालांकि महिलाओं व बच्चों के साथ इसी अमानवीयता से पेश आना अंतर्राष्ट्रीय युद्ध अपराध किस श्रेणी में आता है। किसकी जांच अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय द्वारा की जाती है।

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इजरायल को महाशक्तियों का साथ | Israel-Hamas War

वर्तमान में फिलिस्तीन व इजरायल के बीच चल रहे इस युद्ध में यूनाइटेड स्टेट अमेरिका, ब्रिटेन व फ्रांस सहित पश्चिमी देश इजराइल का समर्थन कर रहे हैं तो अरब देशों से फिलिस्तीन व हमास को सहयोग की उम्मीद है। लेकिन ऐसा सहयोग किस काम का। जब यहां की जनता ही दम तोड़ देगी तो जिस जमीन के टुकड़े के लिए जंग लड़ी जा रही है, आखिर वह जमीन का टुकड़ा किस काम आएगा? इसराइल के चार प्रमुख क्षेत्र हैं- तेल अवीव, यरुशलम, हैफा और बीयर शेव। यरुशलम इसराइल का सबसे बड़ा शहर है। इस यरुशलम पर भी दोनों देश अपना-अपना दावा करते आए हैं। गाज़ा पर फिलहाल हमास का कब्जा है। यहीं से इस भयंकर रक्तपात की शुरुआत हुई।

सदियों पुरानी है युद्धों की कहानी

युद्धों की कहानी बड़ी पुरानी है। सदियों से ही युद्ध लड़े जा रहे हैं। कभी आपस में कबिले के लोग युद्ध करते आए हैं तो कभी दो रियासतें के राजा आपस में लड़ते रहे हैं। पर हमेशा महिलाओं को शिकार बनाया जाता है। पूरी दुनिया अब तक दो बार विश्व युद्ध भी देख चुकी है,लेकिन आखिर नतीजा क्या हुआ? आखिरी एवं द्वितीय विश्व युद्ध का इतिहास भी सबको याद होगा। जब युद्ध हार जीत पर आकर टिका तो तब अमेरिका ने जापान के शहर हिरोशिमा पर परमाणु बम गिराया था। इसके तीन दिन बाद ही जापान के दूसरे शहर नागासाकी पर परमाणु बम गिराया गया। इस परमाणु युद्ध के बाद जापान ने अमेरिका के समक्ष घुटने टेक दिए थे।

शांति के दूत मौन क्यों?

तब विश्व में शांति बहाली के लिए संयुक्त राष्ट्र की स्थापना हुई। इस पूरे विश्व में शांति के दूत के नाम से भी जाना जाता है। इसके बाद विश्व में मानव अधिकार संगठनों की भी स्थापना हुई। इसके अतिरिक्त अंतरराष्ट्रीय न्यायालय भी बना। लेकिन वर्तमान में जो स्थिति है,उसे देखकर ऐसा लगता है कि यह शांति के दूत माने जाने वाले संगठन सब मौन है। आखिर ऐसा क्यों?

समाधान आखिर बातचीत से ही होगा

छोटे से लेकर बड़े स्तर पर रक्तपात होने के बाद आखिर नतीजा बातचीत पर ही आकर टिकेगा। चाहे युद्ध फिलिस्तीन व इजरायल के बीच हो या पहले से चले आ रहे रूस और यूक्रेन की बात हो। कभी न कभी इन देशों को बातचीत की मंच पर आना ही होगा। अब विश्व के अन्य देशों व संयुक्त राष्ट्र को इस मामले में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहल करने की जरूरत है। नहीं तो यह युद्ध इस स्तर पर भी पहुंच सकता है, जिससे पूरी मानव जाति खतरे में पड़ सकती है। जिसे पूरे विश्व की अर्थव्यवस्था खतरे में पड़ सकती है। रूस-यूक्रेन युद्ध व फिलिस्तीन-इजरायल युद्ध के बाद पूरे विश्व की अर्थव्यवस्था वर्तमान में गड़बड़ाई हुई है। लेकिन खुलकर शांति की राह दिखाने वाला देश कोई भी नहीं है। आखिर ऐसा क्यों? यह सोचने की बात है।

चक्की के दो पाटों के बीच पिस रही जनता

बात रूस की हो या यूक्रेन की। बात इजरायल की हो या फिर फिलिस्तीन की, आखिर वहां रहते तो इंसान ही है। इन देशों की अहं की लड़ाई में आम जनता चक्की के दो पाटों के बीच पीस रही है और पूरा विश्व इसे एक तमाशा मानकर देख रहा है। पर यह वर्तमान में पूरे विश्व के लिए बड़ी ही चिंतनीय स्थिति है।

रामायण व महाभारत में अधर्म पर धर्म की जीत के लिए लड़े गए युद्ध

युद्ध रामायण के दौरान भगवान श्रीराम और लंका के राजा रावण की सेना के बीच भी हुआ था, लेकिन तब इसे अधर्म पर धर्म की लड़ाई कहा गया। ऐसा हमारे इतिहास में दर्ज है। युद्ध महाभारत काल में भी लड़ा गया। तब भी भगवान श्री कृष्ण ने इस युद्ध को धर्म युद्ध करार दिया। यह युद्ध कौरव और पांडवों के बीच था, लेकिन याद रहे यह युद्ध भी एक जमीन के टुकड़े को लेकर ही था और जब महाभारत के युद्ध की अंतिम घड़ी आई तब चारों तरफ लाश से ही लाश पड़ी थी। लेकिन जिस जमीन के टुकड़े के लिए लड़ाई लड़ी गई, उस पर रहने वाला कोई नहीं था।

कभी ऐसी स्थित फिर देखना ना पड़ जाए

वर्तमान में कभी ऐसी स्थिति फिर से ना देखनी पड़ जाए…। इस और शांति के दूत संयुक्त राष्ट्र व अन्य सभी देशों को इस रक्तपात की ओर देखने व सोचनी की जरूरत है। हमें देशों की बजाय वर्तमान में इंसानियत को बचाने की ओर आगे बढ़ना चाहिए। नहीं तो इस इंसानियत के जिंदा रहने पर ही सवालिया निशान खड़ा होता दिखाई दे रहा है।

सभ्य समाज में आतंकवाद की जगह नहीं

वर्तमान समय में फिलिस्तीन समर्थित आतंकवादी संगठन हमास की बात हो या फिर विश्व के किसी भी देश में आतंकवाद फैला हो पर एक सभ्य समाज या देश में आतंकवाद का स्थान नहीं होना चाहिए। सभी देशों को मिलकर आतंकवाद पर मिलकर प्रहार करना चाहिए, क्योंकि आतंकवाद के खात्मे के बिना विश्व में शांति बहस नहीं हो सकती। दूसरी तरफ संयुक्त राष्ट्र याअन्य देशों को सामने आकर शांति बहाली की ओर आगे बढ़ना चाहिए, ताकि इस रक्तपात को रोका जा सके।

डॉ संदीप सिंहमार।
वरिष्ठ लेखक एवं स्वतंत्र टिप्पणीकार।