सरसा के एक छोटे से गांव की बेटी ने विदेशी धरती पर लहराया हिंदुस्तान का परचम

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कबड्डी लीग जीतने के बाद खुशी मनाती लवप्रीत कौर।

पिता के जुनून और दृढ़ इच्छाशक्ति के बलबूते लवप्रीत ने पाया मुकाम

  • भड़ोलियांवाली की लवप्रीत कौर ने विदेशी धरती पर लहराया हिंदुस्तान का परचम
  • दुबई कबड्डी लीग में गोल्ड जीतने वाली टीम का हिस्सा है लवप्रीत कौर | Sirsa News

खारियां (सच कहूँ/सुनील कुमार)। दुबई में आयोजित हुई महिला कबड्डी लीग (Women’s Kabaddi League) में उमा कोलकाता की टीम चैंपियन बनी, जिसमें खेल रही जिला के गांव भड़ोलियांवाली निवासी लवप्रीत कौर पुत्री गुरमीत सिंह पंधेर की विशेष भूमिका रही है। उमा कोलकाता को विजेता बनने पर एक करोड़ का बड़ा पुरस्कार मिला है। लवप्रीत कौर की टीम के विजेता बनने के पश्चात उनके घर पर बधाई देने वालों का तांता लगा हुआ है। इस अवसर पर उनके पिता गुरमीत सिंह ने बताया लवप्रीत कौर 2 जुलाई को गांव भड़ोलियांवाली वापिस लौटेगी। जिसको लेकर परिवार व पूरे गांव में खुशी का माहौल बना हुआ है तथा उसके आगमन की खुशी में पूरा गांव भव्य स्वागत की तैयारियों में जुटा हुआ हैं।

बचपन से था कबड्डी का शौंक | Sirsa News

लवप्रीत कौर एक मध्यम वर्गीय परिवार से है और उनके पिता आरोही मॉडल सी.सै. स्कूल मोहमदपुरिया में बतौर सुरक्षा गार्ड नौकरी करते है। वह चार-बहन भाई हैं। लवप्रीत कौर ने शुरूआत से ही पढ़ाई के साथ कबड्डी की तैयारी कर रही है और उसका प्रदर्शन हमेशा अच्छा रहा है। संतनगर स्कूल से बाहरवीं की पढ़ाई पूरी करने के बाद लवप्रीत कौर की प्रतिभा को उसके कोच सुनील दहिया ने पहचाना और उसको बहादुरगढ़ स्थित खेल एकेडमी में तैयारी के लिए चयनित किया।

जिसके बाद कोच सुनील दहिया के मार्गदर्शन में तैयारी कर आज इस मुकाम पर पहुंच कर गांव का ही नहीं, बल्कि पूरे राष्ट्र का नाम रोशन किया है। उनके पिता गुरमीत सिंह ने बताया कि मैं लवप्रीत की मेहनत व कोच सुनील दहिया के मार्गदर्शन को सलाम करता हूं, जिन्होंने लवप्रीत कौर को इस मुकाम पर पहुंचाया।

कब्बडी के प्रति भरा पड़ा है अथाह जुनून | Sirsa News

कोच सुनील दहिया ने बताया कि लवप्रीत कौर के पारिवारिक आर्थिक हालात ज्यादा अच्छे नहीं होने के चलते उसे किसी अच्छी एकेडमी में प्रशिक्षण नहीं मिला था। पढ़ाई के दौरान उसके गांव के खेल मैदान में अपने स्तर पर कबड्डी की तैयारी जारी रखी व स्कूल, खंड, जिला व राज्य स्तर की प्रतियोगिताओं में भाग लेती रही। जहां से उसका हौंसला और मजबूत होता गया व खेल के प्रति लग्र बढ़ती गई।

इस दौरान लवप्रीत ने तमिलनाडू के कॉलेज से स्नातक की पढ़ाई जारी रखी और वहीं से ही इसका चयन उमा कोलकाता की टीम में हुआ। लवप्रीत के पिता ने अपनी आर्थिक हालातों को देखते हुए इसे एकेडमी में भेजने से मना कर दिया था। लेकिन बेटी के प्यार व विश्वास ने पिता को विदेश भेजने के लिए मजबूर कर दिया। इस अवसर पर लवप्रीत के पिता के पास खर्चे के लिए मात्र दो हजार रूपए ही उपलब्ध थे। लवप्रीत की मेहनत ने पिता के वो दो हजार रूपए आज लाखों में बदल दिए। Sirsa News

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