केंद्रीय मंत्रीमंडल ने पशुपालन व डेयरी के लिए 9800 करोड़ का राहत पैकेज दिया

Relief Package For Animal Dairy

10 करोड़ किसानों व पशुपालकों को पहुंचेंगे सीधा फायदा

भिवानी (सच कहूँ/इन्द्रवेश)। ग्रामीण भारत के लोगों का कृषि प्रथम धंधा है तो वही पशुपालन दूसरा मुख्य कार्य है, जिससे लोगों की आजीविका चलती है। इसी आजीविका को बढ़ाने व पशुपालन व डेयरी क्षेत्र को उन्नत करने के उद्देश्य से केंद्रीय मंत्रीमंडल की मीटिंग में पशुपालन के क्षेत्र के लिए 9800 करोड़ रुपए का पैकेज स्वीकृत किया है। वर्ष 2021-22 से शुरू होने वाले इस आर्थिक पैकेज से देश के 10 करोड़ पशुपालकों को सीधा फायदा होगा तथा अगले पांच वर्षों के दौरान इस पैकेज के तहत केंद्र सरकार 9800 करोड़ रुपए के पैकजे के माध्यम से पशुपालन क्षेत्र में 54 हजार 618 करोड़ रुपए का निवेश इस सैक्टर के लिए जुटाएगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की मंत्रीमंडल समिति ने केंद्रीय पशुपालन एवं डेयरी विभाग के लिए आर्थिक पैकेज की मंजूरी दे दी है।

इन योजनाओं से जोड़े जाएंगे किसान

केंद्र सरकार द्वारा इस राहत पैकेज का क्रियान्वयन राष्ट्रीय गोकुल मिशन, राष्ट्रीय डेयरी विकास कार्यक्रम, राष्ट्रीय पशुधन मिशन व पशुपालन गणना संबंधी योजनाओं के माध्यम से किया जाएगा। इस बारे में भिवानी के बवानीखेड़ा खंड के पशु चिकित्सा अधिकारी डॉ. विजय सनसनवाल ने बताया कि पशुपालन के क्षेत्र में केंद्र सरकार के इस बड़े निवेश का देश के 10 करोड़ पशुपालकों को सीधा लाभ पहुंचेगा।

इस पैकेज के माध्यम से पशुपालन के क्षेत्र में न केवल दुग्ध उत्पादन बढ़ाने, बल्कि पशुओं की नस्ल सुधार, पशुओं के स्वास्थ्य व पशुपालन के माध्यम से चलने वाली सहकारिता समितियों को सीधा फायदा होगा। इस योजना के माध्यम से राष्ट्रीय डेयरी विकास कार्यक्रम योजना के तहत पशुओं के लिए आठ हजार 900 चिलिंग कूलर लगाने का कार्य 4500 से अधिक गांवों में दूध को सुरक्षित रखने के लिए किया जाएगा। जिससे आठ लाख दुग्ध उत्पादकों को लाभ होगा तथा 20 एलएलपीडी अतिरिक्त दूध की प्राप्ति संभव हो सकेंगी।

क्या बोले किसान

वही इस बारे में गांव बलियाली व जमालपुर के पशुपालक कुलबीर, प्रविंद्र, नरेश, प्रमिला ने बताया कि केंद्र सरकार द्वारा पशुपालन के क्षेत्र में दिए जा रहे इस राहत पैकेज से उन जैसे छोटे पशुपालकों को सीधा लाभ होगा। वे न केवल पशुपालन में निवेश बढ़ा सकेंगे, बल्कि उनके उत्पादों को सुरक्षित तरीके से उपभोक्ताओं तक पहुंचने व प्रयोग करने की व्यवस्था भी हो पाएगी। जिससे पशुपालन के क्षेत्र में बढ़ोत्तरी होगी तथा ग्रामीण क्षेत्र के उन किसानों जो पशुपालन से भी जुड़े है, उन्हें सीधा लाभ होगा।

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