नई पाक सरकार क्या सुलझा पाएगी मसले

Pakistan

पाकिस्तान में सत्ता परिवर्तन एक लिहाज से जरूरी हो गया था, क्योंकि इमरान खान से हुकूमत नहीं चल पा रही थी। उनके तौर-तरीकों से न केवल अर्थव्यवस्था बर्बाद हुई, बल्कि दूसरे देशों के साथ रिश्तों में भी गड़बड़ी आई। वे देश में राजनीतिक स्थिरता बहाल करने में भी असफल रहे। इमरान ने राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों के विरुद्ध द्वेष की भावना के साथ काम किया। समाज में भी बंटवारा बढ़ गया था। आज तक कोई भी प्रधानमंत्री अपना कार्यकाल पूरा कर ही नहीं पाया है। लेकिन इमरान खान इस मामले में जरूर खास कहे जा सकते हैं कि वह अविश्वास प्रस्ताव के जरिए हटाए जाने वाले पाकिस्तान के पहले प्रधानमंत्री बने। अब शहबाज शरीफ ने प्रधानमंत्री का ओहदा तो ले लिया है, पर यह कांटों का ताज है। इसकी एक वजह तो दर्जनभर पार्टियों से बने उनके गठबंधन की रूप-रेखा है। इन दलों में कई तरह के मतभेद हैं और वे परस्पर प्रतिद्वंद्वी भी हैं। उन सबकी अपनी-अपनी महत्वकांक्षाएं भी हैं।

इस गठबंधन में अनेक छोटी पार्टियां भी हैं, जिनका बहुत महत्व है क्योंकि सरकार के पास बहुत क्षीण बहुमत है। ऐसी पार्टियों, खासकर जो बलोचिस्तान, खैबर पख्तूनख्वा जैसे इलाकों से हैं, की कई मांगें पाकिस्तानी सत्ता केंद्र को मंजूर नहीं हो सकती हैं। इन दलों का अस्तित्व ही ऐसी मांगों पर आधारित है। आर्थिक बदहाली से देश को निकालने के लिए सरकार को बहुत सख्त कदम उठाने पड़ेंगे। ऐसे कड़े उपायों से गठबंधन की पार्टियों को अपने भविष्य को लेकर चिंता हो सकती है। यह भी गंभीर समस्या है कि सरकार के पास पैसा नहीं है कि कोई अनुदान या राहत मुहैया करायी जा सके। अच्छी बात यह भी है कि अगले प्रधानमंत्री के रूप में देखे जा रहे शाहबाज शरीफ ने स्पष्ट किया है, उनकी सरकार बदले की भावना से कोई काम नहीं करेगी। जहां तक भारत के साथ पाकिस्तान के रिश्ते का मसला है, यहां ऐसा नहीं लगता कि सरकार बदलने से कोई खास असर पड़ेगा। यह भी सामने आ ही गया है, जिस तरह से शहबाज शरीफ ने अपने भाषण में कश्मीर की रट लगायी है। नयी सरकार की जो अपेक्षाएं भारत से हैं, वे शायद पूरी नहीं होंगी।

भारत और पाकिस्तान के बीच यह संभावना जरूर है कि एक हद तक वाणिज्य-व्यापार बढ़े। इसका कारण है कि पाकिस्तान की आर्थिक स्थिति बेहद खराब है और वे कुछ राहत पाने के लिए भारत से चीजों का आयात करें। उदाहरण के लिए, पाकिस्तान की कपड़ा मिलों को बड़ी मात्रा में कपास की जरूरत होती है। गेहूं और चीनी की भी पाकिस्तान में किल्लत है। इन चीजों को भी भारत से आयात किया जा सकता है। ऐसे में यह सवाल अभी से पूछा जाने लगा है कि नई सरकार भी कितने दिन टिक पाएगी। कुल मिला कर, भारत और पाकिस्तान के संबंधों की जो मौजूदा हालत है, उसमें बड़ा बदलाव नहीं होगा।

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