युवाओं सावधान! तंबाकू चबाने का शौक कहीं छीन न ले जिन्दगी

Tobacco products addiction cancer
  • 90 प्रतिशत मुंह के कैंसर का कारण बन रहा चबाने वाला तंबाकू

  • कैं सर रोग विशेषज्ञों ने बढ़ते आंकड़ों पर जताई चिंता

सच कहूँ/संजय मेहरा गुरुग्राम। देश-दुनिया में दिन-प्रतिदिन बढ़ रही तंबाकू उत्पादों की लत से कैंसर का प्रकोप महामारी का रूप लेता जा रहा है। इसमें खासतौर पर चबाने वाले तंबाकू उत्पादों का उपयोग प्रमुख है, जिसके कारण 90 प्रतिशत मुंह का कैंसर होता है। इसमें युवा अवस्था में होने वाली मौतों का मुख्य कारण भी मुंह व गले का कैंसर है।

  कैं सर रोग विशेषज्ञों ने एक बहुत ही चिंताजनक आशंका जताई है कि आने वाली सदी में तम्बाकू के उपयोग के कारण अरबों मौतें होंगी। यदि कोई हस्तक्षेप नहीं हुआ तो इन मौतों में 80 प्रतिशत मौतें विकासशील देशों में होगी। विशेषज्ञों ने लोगों से तंबाकू से दूर रहने की अपील करते हुए यह आशंका जताई और कहा कि कैंसर का मुख्य कारण तंबाकू सेवन है। वायॅस आॅफ टोबेको विक्टिमस (वीओटीवी) के पैट्रेन एंव कैंसर सर्जन डॉ. वेदांत काबरा के मुताबिक ग्लोबल एडल्ट टोबैको सर्वे- 2017 के अनुसार भारत में बिड़ी, सिगरेट की लत की तुलना में चबाने वाले तंबाकू की लत के अधिक लोग शिकार हैं।

  • हरियाणा में 19.7 प्रतिशत करते हैं तंबाकू का सेवन

सर्वे की रिपोर्ट में पाया गया है कि 21.4 प्रतिशत (15 वर्ष से अधिक) धूम्रपान रहित तंबाकू का उपयोग करते हैं, जबकि 10.7 प्रतिशत धूम्रपान करते हैं। जिसका मुख्य कारण 90 प्रतिशत मुंह का कैंसर है। डॉ. काबरा के मुताबिक हरियाणा में वर्तमान में 19.7 प्रतिशत लोग धूम्रपान के रूप में तंबाकू का सेवन करते हैं, जिसमें 33.1 प्रतिशत पुरुष, 4.8 प्रतिशत महिलाएं शामिल है। यहां पर 6.3 प्रतिशत लोग चबाने वाले तंबाकू उत्पादों का प्रयोग करते हुए है, जिसमें 10.0 प्रतिशत पुरुष व 2.2 प्रतिशत महिलाए है।

  • तंबाकू-गुटखे पर प्रतिबंध, फिर भी धड़ल्ले से बिक्री

कैं सर सर्जन डॉ. पंकज चतुवेर्दी के धूम्ररहित तंबाकू के उपयोग के कारण मरीज आॅपरेशन टेबल तक पहुंच जाते हैं। इसका कारण धूम्ररहित तंबाकू (एसएलटी) के उपयोगकर्ता धूम्रपान रहित उत्पादों के सरोगेट विज्ञापन के कारण छोड़ने की योजना बनाने वालों की संख्या कम है। पान मसाला के विज्ञापनों पर रोक लगे होने के बावजूद टीवी चैनलों, रेडियो, समाचार पत्रों पर प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से विज्ञापन दिखाए जा रहे हैं। संबंध हेल्थ फाउंडेशन (एसएचएफ) के ट्रस्टी संजय सेठ ने कहा कि भले ही राज्यों ने तंबाकू के साथ गुटखा और पान मसाला पर प्रतिबंध लगा दिया है, लेकिन ये उत्पाद हर जगह बड़े पैमाने पर बेचे जाते हैं।

 

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