Aditya-L1 Solar Mission: सूर्य की ओर चला आदित्य एल-1

Aditya-L1 Solar Mission
Aditya-L1 Solar Mission: सूर्य की ओर चला आदित्य एल-1

Aditya-L1 Mission Launch: इसरो ने आज अपना पहला सूर्य मिशन आदित्य एल-1 लॉन्च करके दुनिया में अपना तहलका मचा दिया है। इसरो ने सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र श्रीहरिकोटा से आदित्य एल 1 को लॉन्च किया गया है। मिशन के पेलोड्स को भारत के कई संस्थानों ने मिलकर तैयार किए है। आदित्य एल-1 को डीप स्पेस में यूरोपियन स्पेस एजेंसी भी ग्राउंड स्पोर्ट देगा।

2000 Rupee Note: 2000 के नोट पर आरबीआई ने दी ऐसी जानकारी जिससे मचा हड़कंप

सूर्य मिशन की सफलता की कुंजी: एलएएम इंजनों का सुचारू संचालन

लिक्विड अपोजी मोटर (एलएएम) छोटा लेकिन सबसे शक्तिशाली इंजन ने भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के 2014 के मार्स आॅर्बिटर मिशन (एमओएम) मंगलयान और 2023 के चंद्रयान-3 की सफलता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। एलएएम इंजन, जिसका उपयोग कक्षा में उपग्रहों/ अंतरिक्ष यान के कक्षीय समायोजन के लिए किया जाता है, पीएसएलवी-सी57 द्वारा प्रक्षेपित किए जाने वाले पहले सूर्य मिशन आदित्य-एल1 की सफलता की कुंजी है।

इसे जनवरी 2024 तक सौर सतह पर उतरने में लगभग 120 दिन (चार महीने) का समय लेगा। एलएएम का सफल संचालन, आदित्य-एल1 अंतरिक्ष यान को पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण क्षेत्र (एसओआई) से बाहर निकलने के बाद लैग्रेंजियन बिंदु एल1 पर एक प्रभामंडल कक्षा में स्थापित करने की कुंजी है। मिशन पांच वर्ष का है और यह सूर्य का अध्ययन करने वाला पहला अंतरिक्ष-आधारित भारतीय सौर मिशन है।

इसरो के सामने सबसे बड़ी चुनौती अंतरिक्ष यान को ब्रेक करने के लिए सही समय पर एलएएम को फिर से शुरू करना है क्योंकि यह अपने गंतव्य पर पहुंचकर बंद हो जाता है और इसे एल1 पर वांछित प्रभामंडल कक्षा में निर्देशित करता है। इसरो के वैज्ञानिकों ने कहा कि आदित्य एल1 मिशन, श्रीहरिकोटा के स्पेसपोर्ट से कल उड़ान भरेगा और सूर्य का अध्ययन करने की सफलता की कुंजी अंतरिक्ष यान पर एलएएम इंजनों का सुचारू संचालन और बाद में चार महीने तक 15 लाख किमी की यात्रा के बाद लैंडिंग करने के बाद जनवरी 2024 के पहले सप्ताह से इसके द्वारा भेजी जाने वाली लगभग 1,440 तस्वीरों का प्रबंधन करने में निहित है।

आदित्य-एल1 भारत का पहला सौर मिशन है, जो पृथ्‍वी से करीब 15 लाख किलोमीटर दूर एल1 पॉइंट (सूर्य-पृथ्वी लैग्रेंज बिंदु) पर सूर्य को मॉन‍िटर करेगा। इसकी लैंडिंग की सफलता में लिक्विड एपोजी मोटर (एलएएम) नाम के छोटे लेकिन शक्तिशाली इंजन की महत्वपूर्ण भूमिका होगी। एलएएम का सफल संचालन, आदित्य अंतरिक्ष यान को लैग्रेंजियन बिंदु एल 1 पर प्रभामंडल कक्षा में स्थापित करने की कुंजी है।लिक्विड प्रोपल्शन सिस्टम्स सेंटर (एलपीएससी), तिरुवनंतपुरम द्वारा विकसित, एलएएम ने पहले के मिशनों मंगलयान और चंद्रयान-3 में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।आदित्य-एल1 मिशन में भी, इसरो मंगलयान और चंद्रयान-3 में उपयोग किए जाने वाले एलएएम का उपयोग करेगा। अंतरिक्ष यान की प्रणोदन प्रणाली में 440 न्यूटन एलएएम इंजन, आठ 22 न्यूटन थ्रस्टर्स और चार 10 न्यूटन थ्रस्टर्स शामिल हैं, जिन्हें अंतरिक्ष यान के अभिविन्यास को सही करने के लिए रुक-रुक कर फायर किया जाएगा क्योंकि यह अंतरिक्ष के विशाल खालीपन को पार करेगा।