बराड़ा में ‘सफेद दूध’ का काला धंधा

Black Business of White Milk

नागरिक मंच ने सरकार व जिला प्रशासन से सेंपलिंग अभियान चलाने की मांग की

  • 40 से 60 रुपए बेचा जा रहा नकली दूध

सच कहूँ/संदीप सांतरे
बराड़ा। क्षेत्र में सफेद दूध का काला धंधा आजकल आमजन में चर्चा का विषय बना हुआ है। डायरियों तथा घर-घर दूध की सप्लाई करने वाले विक्रेता ग्राहक की मर्जी तथा पसंद के रेट पर दूध की आपूर्ति कर रहे हैं। ग्राहकों की मर्जी से 40 रुपये से लेकर 65 रुपये प्रति लीटर की दर से दूध बेचना इस धंधे के गोलमाल का गणित आम आदमी की समझ से परे की बात बनी हुई है। इसके अतिरिक्त ग्रीष्म ऋतु में पशुओं के दूध में उल्लेखनीय कमी आ जाती है। परंतु फिर भी नकली तथा सिंथेटिक दूध की आपूर्ति कर बाजार में मांग तथा आपूर्ति के संतुलन को बनाए रखकर दूध बेचने का गोरखधंधा एक फायदे का धंधा बना हुआ है।

सच कहूँ टीम द्वारा पड़ताल किए जाने पर सामने आया कि मानव स्वास्थ्य के लिए बेहद खतरनाक यूरिया, डिटर्जेट पाउडर, पोटाश, शैंपू, रिफाइंड तेल व अन्य पदार्थों को मिलाकर बनाया जा रहा सिंथेटिक दूध और मावा तैयार किया जा रहा है। जानकारी अनुसार नकली दूध के इस्तेमाल होने वाला काला केमिकल इतना हार्ड होता है कि सीधे हथेली पर गिर जाए तो छाले पड़ जाएंगे। यह नकली दूध को सामान्य दूध की तरह कर देता है। यूरिया, डिटर्जेंट पाउडर आदि सभी पदार्थों की गंध को दबा देता है।

बच्चों पर मिलावट का खतरा

बाल एवं शिशु रोग विशेषज्ञों के अनुसार बच्चों के शरीर पर मिलावट का सबसे ज्यादा असर आता है। मिलावटी खानपान से बच्चों को पेट, स्कीन, त्वचा के साथ तरह-तरह की एलर्जी हो सकती है। बच्चों के पखाना में खून भी आने लगता है। जिससे गुर्दे और लिवर भी बच्चों का खराब हो सकता है। इसके चलते बच्चे कम ही स्वस्थ्य रहते है और उनकी शारीरिक विकास भी रुक जाता है।

पहले भी कई बार सिंथेटिक दूध का मामला आ चुका सामने

कुछ वर्ष पूर्व राज्य में संचालित दूध का पहला मामला सामने आने के कारण बराड़ा का नाम ने सुर्खियां बटोरी थी। जिसे लेकर स्वास्थ्य विभाग ने समूचे सूबे में जाँच के लिए दूध के नमूने लेने का अभियान भी चलाया, परंतु अब गत कई वर्षों से चेकिंग अभियान के अभाव में दूध विक्रेताओं के हौसले बुलंद होने से यह धंधा एक नितांत फायदे का सौदा बन कर इंसानियत के दुश्मनों को खूब रास आ रहा है। कुछ धंधेबाजों द्वारा कस्बे में यूरिया खाद, मिल्क पाउडर, डिटर्जेंट, साबुन तथा केमिकल की सहायता से पहली बार दूध बनाने का मामला सामने आने से बराड़ा को मीडिया की प्रथम पंक्ति की सुर्खियों में स्थान मिला तो स्वास्थ्य विभाग की भी जमकर फजीहत हुई थी। बराड़ा में नकली दूध, सिंथेटिक दूध तथा एक्सपायरी मिल्क पाउडर का दूध भी उपलब्ध होने के कारण आजकल आमजन में चर्चा का विषय बना हुआ है।

फूड सेफ्टी विभाग सोया

सुभाष, अनिल, संदीप, पवन, गौरव, सुनील, महिंद्र व अरुण सहित अन्य का कहना है कि घटिया दूध की बिक्री से न केवल कुछ लोग चांदी कूट रहे हैं, बल्कि यह लोग आमजन व शिशुओं के स्वास्थ्य को खराब करने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ रहे। फूड सेफ्टी विभाग के अधिकारी केवल त्योहारी सीजन में कुछ गिने चुने लोगों को पूर्व सूचित करके सैंपल लेने की औपचारिकता पूरी करते हैं।

एक किलो नकली क्रीम में 400 ग्राम घी निकलेगा, इसे बेहतर करने के लिए दही मिलाया जाएगा और मात्रा बढ़ाने के लिए रिफाइंड और सेंट मिलाते हैं, जिससे वजन बढ़ जाता है। सिर्फ रिफाइंड के उपयोग से भी नकली घी बन रहा है। इसमें सेंट मिलाया जाता है। इसके साथ ही इसमें एक अन्य केमिकल मिलाया जाता है, जिससे यह घी की तरह जम जाता है।

एक किलो शुद्ध दूध में 100 ग्राम क्रीम और अधिकतम 200 ग्राम मावा निकलता है। एक किलो नकली दूध में 125 से 150 ग्राम क्रीम, 300 ग्राम के आसपास मावा निकलता है, नकली होता है। ज्यादा रिफाइंड मिला होने पर 350 ग्राम तक हो सकती है।

एक किलो शुद्ध दूध से लगभग 900 ग्राम दही बन जाता है। नकली दूध का दही नहीं जमता, दही जमाने के लिए इसमें दूध पाउडर व केमिकल मिलाया जाता है, जिससे दही गाढ़ा व अच्छा जमता है।

एक किलो शुद्ध दूध से 200 ग्राम पनीर बनेगा। एक किलो नकली दूध से बमुश्किल 50 ग्राम पनीर बन पाएगा, दूध पाउडर मिलाने पर भी पनीर नहीं बनेगा। अगर बनाएंगे तो यह गंध छोड़ देगा। इसमें भी केमिकल डालकर पनीर की मात्रा को बढ़ाया जा रहा है।

यदि कोई सिंथेटिक या घटिया दूध बेच रहा है तो वह सरासर गलत है। सिंथेटिक या घटिया क्वालिटी का दूध पीना स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है। फिलहाल हमारे पास इस संबंधी कोई शिकायत नहीं है यह मामला फूड सेफ्टी विभाग का है। लेकिन यदि हमारे पास किसी प्रकार की शिकायत आती है तो तुरंत मिलावट खोरों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
-डॉ. प्रतीक शर्मा (एसएमओ बराड़ा)।

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