Cause Of Infertility In Women: महिलाओं में दिख रहे ये लक्षण हो सकते हैं बांझपन का कारण

Cause Of Infertility In Women
Cause Of Infertility In Women: महिलाओं में दिख रहे ये लक्षण हो सकते हैं बांझपन का कारण

Cause Of Infertility In Women: आधुनिक जीवनशैली महिलाओं के मां बनने का सुख छीन रही है। बदलती जीवनशैली, असंतुलित खाने-पीने की आदतें, तनाव भरी जिंदगी, काम के लंबे घंंटे और देरी से विवाह होने के कारण आजकल अधिकतर महिलाएं बांझपन की समस्याओं से जूझ रही हैं। पिछले 5 वर्षों के दौरान देश में पुरूष और महिला दोनों में बांझपन (प्रजनन शक्ति की कमी) की समस्या में खासा इजाफा हुआ है।

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Cause Of Infertility In Women
Cause Of Infertility In Women: महिलाओं में दिख रहे ये लक्षण हो सकते हैं बांझपन का कारण

बांझपन के मुख्य कारण:-

  • कामकाज का तनाव और अनियमित लम्बे काम के घंटे बांझपन के मुख्य कारण हैं। आजकल पुरुषों और महिलाओं दोनों में बांझपन काफी आम हो गया है। गर्भधारण की संभावनाओं को बढ़ाने के लिए तनाव से निपटना बहुत महत्वपूर्ण है।
  • प्रजनन शक्ति के लिए स्वास्थ्यमंद जीवनशैली बहुत जरूरी है। इस पर कई अध्ययन किए गए हैं, जिसमें बांझपन के ज्यादातर मामले जीवनशैली की बीमारियां जिनमें मोटापा, अनियमित पीरियड्स और ऐसे कई कारण शामिल पाए गए हैं।
  • महिलाओं में बांझपन का मुख्य कारण एक कारण प्रजनन प्रणाली की बनावट में असमानता भी है। कई बार बच्चेदानी में फैलोपियन ट्यूब की ढांचागत समस्याओं के कारण भी बांझपन की समस्या पैदा हो जाती है।
  • कुछ महिलाओं को अनियमित माहवारी के कारण गर्भधारण करने में भी मुश्किल आती है। स्वास्थ्यमंद गर्भावस्था के लिए नियमित माहवारी जरूरी है।
  • महिलाओं के शरीर में किसी भी तरह का इन्फेक्शन होने के कारण उनको गर्भधारण करने में परेशानी आ सकती है। कई बार समय पर इलाज की कमी और इन्फेक्शन बढ़ने से महिलाओं में गर्भावस्था की प्रक्रिया मुश्किल हो जाती है।

आईवीएफ टैक्नोलोजी बेऔलाद दम्पति के लिए एक वरदान

आईवीएफ (इन-विट्रो फर्टीलाईजेशन) तकनीक बांझ दम्पति के लिए वरदान है। इसे आर्टीफिशियल इन्सैमीनेशन या टैस्ट ट्यूब बेबी भी कहा जाता है। यह तकनीक उन महिलाओं के लिए इस्तेमाल में लाई जाती है, जिनको आमतौर पर मां बनने में मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। दुनिया के पहले आईवीएफ बच्चे लुईस ब्राऊन का जन्म 25 जुलाई 1978 को हुआ था। भारत की पहली आईवीएफ बेबी दुर्गा का जन्म भी इस साल 3 अक्तूबर को हुआ था। पहले, आईवीएफ का इलाज करवाने वाली महिलाएं ज्यादातर 38 से 45 साल की आयुु की महिलाएं होती थीं, लेकिन पिछले कुछ सालों में इस इलाज के लिए आने वाली महिलाओं के आयु वर्ग में बदलाव आया है।

अब कम आयु वर्ग की महिलाएं भी आती हैं। दरअसल, हार्मोनल असंतुलन, ट्यूबोंं में रुकावट या शुक्राणुओं का न बनना और उनकी कम संख्या बांझपन के मुख्य कारण हैं। आजकल उलझन भरी जीवनशैली और ज्यादा काम और तनाव के कारण दम्पतियों के लिए भी इस तरह की समस्याएं पैदा हो रही हैं। बांझपन की जितनी जल्दी हो सके, जांच करवा लेनी चाहिए, क्योंकि आईवीएफ की सफलता दर बढ़ती आयु के साथ कम होती चली जाती है। सेहतमन्द खाना, नियमित कसरत और तनाव से बचना बांझपन से बचने के सबसे अच्छे तरीके हैं।

डॉ. अदिती कंवाट्या, आईवीएफ स्पैशलिस्ट और गायनीकोलोजिस्ट, दिल्ली हार्ट इंस्टीच्यूट और मल्टीस्पैशलिटी अस्पताल, बठिंडा।