गुलाबी सुंडी व टिंडा ग्लन की बीमारी से गांव नांगल के किसानों की 80 से 100 प्रतिशत फसल खराब

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ग्रामीणों की मांग: कपास की बर्बाद फसल का सर्वे करवाकर प्रति एकड़ मुआवजा दिलवाए प्रशासन

ग्रामीणों की मांग: कपास की बर्बाद फसल का सर्वे करवाकर प्रति एकड़ मुआवजा दिलवाए प्रशासन

  • गांव के 700 से 800 एकड़ कपास की फसल हुई है बर्बाद : नांगल सरपंच | Gulabi Sundi

भिवानी (सच कहूँ/इन्द्रवेश)। भिवानी जिला के गांव नांगल के ग्रामीणों ने आज बड़ी संख्या में अपनी बर्बाद हुई कपास की फसल (Cotton Crop) को लेकर उपायुक्त कार्यालय के बाहर पहुंच बर्बाद फसल का सर्वे करवाकर मुआवजा दिए जाने की मांग की। गांव के सरपंच सहित बड़ी संख्या में ग्रामीणों ने हाथों में कपास की बर्बाद फसल व कीड़ा लगे कपास के टिंडों को लेकर उपायुक्त के माध्यम से ज्ञापन सौंपा तथा उन्हे अपनी खराब फसल की भरपाई की मांग की।

बर्बाद फसलों के साथ उपायुक्त को ज्ञापन सौंपने पहुंचे ग्रामीण | Gulabi Sundi

गांव के सरपंच कुलदीप, बुजुर्ग राजमल व युवा किसान मोहित ने बताया कि उनके गांव की लगभग 700 से 800 एकड़ कपास की फसल गुलाबी सुंडी व बीमारी के लगने से 80 से 100 प्रतिशत के लगभग खराब हो गई। गांव के सभी कपास उत्पादक किसानों पर इन बीमारियों का प्रभाव पड़ा। इससे गांव में कपास की फसल को बड़े स्तर पर नुकसान हुआ है। उन्होंने कहा कि भिवानी जिला प्रशासन जल्द से जल्द गांव नांगल की बर्बाद हुई कपास की फसल का कृषि विभाग के माध्यम से सर्वे करवाकर मुआवजे की व्यवस्था करें। ग्रामीणों ने मांग की कि प्रति एकड़ कपास की बिजाई, खाद, दवाई व सिंचाई खर्च को देखते हुए प्रशासन जल्द से जल्द सर्वे करवा किसानों को 40 से 45 हजार रुपए प्रति एकड़ मुआवजा दिलवााएं। Gulabi Sundi

ग्रामीणों ने कहा कि गांव के किसानों को सर्वे करवाने के बाद बीमा कंपनियों के माध्यम से क्लेम दिलवाने का कार्य जिला प्रशासन करवाएं, ताकि किसान कपास की बीामरी की मार आर्थिक रूप से सहन करने में सक्षम हो पाएं। उन्होंने कहा कि जिन किसानों ने बीमा नहीं करवाया है, उनके लिए भी प्रशासन अन्य माध्यमों से मुआवजे की व्यवस्था करें, ताकि 80 से 100 प्रतिशत तक कपास के खराबे की भरपाई की जा सकें। ग्रामीणों ने कहा कि यदि समय रहते प्रशासन गांव की बर्बाद फसलों के मुआवजे की व्यवस्था नहीं करता है तो ग्रामीणों को मजबूरन आंदोलन पर उतरना होगा।

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