मासूम अनुस कुमार के लिए फरिश्ता बने डेरा श्रद्धालु, दर्द और पीड़ा से भरी है दास्तान

Dera-devotees
  • प्रोक्सीमल हाइपो स्पेडियासिस बीमारी से पीड़ित बच्चे का डेरा श्रद्धालुओं ने शुरू करवाया इलाज
  • एमएम हॉस्पिटल मुलाना, अंबाला में पहली सर्जरी सफल, अभी दो सर्जरी होना बाकी
  • 2014 में पिता की हो चुकी मौत, माँ ने भी छोड़ा बच्चों का साथ

सच कहूँ/विजय शर्मा
करनाल। कहते हैं जब किसी मासूम के सिर से माँ-बाप का साया उठ (Dera devotees) जाए तो उसकी जिन्दगी पहाड़ सी बन जाती है। ऐसे में गरीबी, लाचारी, बदकिस्मती की मार, उसे और तोड़ देती है। जिस उम्र में माँ-बाप का प्यार और हाथों में खिलौने और किताबें होनी चाहिएं, वो हाथ आज किसी सहारे की तलाश कर रहे हैं। लेकिन बड़े दु:ख की बात है कि करोड़ों की इस आबादी में चंद लोग ही ऐसे होते हैं जिन्हें किसी का दर्द महसूस होता हो। आज सच कहूँ आपको ऐसे ही 13 साल के मासूम एक अनाथ बच्चे अनुस कुमार के दर्द से अवगत करवाने जा रहा है, जिसकी कहानी भी कुछ ऐसी ही है। सीएम सिटी जिला करनाल के ब्लॉक ब्याना के गाँव हिनोरी के रहने वाले अनुस कुमार के पिता वेदपाल की एक गंभीर बीमारी के कारण 2014 में इलाज न मिलने से पीजीआई में मौत हो गई।

प्रोक्सीमल हाइपो स्पेडियासिस बीमारी से पीड़ित है बच्चा

ये बच्चा जन्मजात ही प्रोक्सीमल हाइपो स्पेडियासिस बीमारी से पीड़ित था। ये बीमारी मूत्रमार्ग से संबंधित है। जिसकी सर्जरी के लिए लाखों का खर्च डॉक्टरों द्वारा बताया गया। इस अनाथ बच्चे का एक ही सहारा था 80 साल की बूढ़ी दादी फूलो देवी। जिसकी पैंशन के सहारे ही इन बच्चों का पेट भर रहा था। ऐसे में दर्द और पीड़ा से तड़प रहे 13 साल के इस मासूम का इलाज करवाना बेहद मुश्किल था।

ब्लॉक ब्याना की साध-संगत उठा रही सारा खर्च

जानकारी देते हुए हरियाणा के 85 मैंबर सुखविंद्र इन्सां, 85 मैंबर सुभाष इन्सां, तंनुज इन्सां और प्रदीप इन्सां ने कहा कि इस बच्चे को इलाज के लिए एमएम हॉस्टिपल मुलाना, अंबाला में भर्ती करवाया है, जहां बच्चे की पहली सर्जरी हो चुकी है जबकि दो सर्जरी होना अभी बाकी है। बच्चे के इलाज का सारा खर्च, जो कि तीन लाख रुपए से ज्यादा है, ब्लॉक ब्याना, जिला करनाल के डेरा श्रद्धालुओं द्वारा किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि डेरा सच्चा सौदा के पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां द्वारा हमेशा जरूरतमंद की मदद करने की शिक्षा दी गई है। जिस पर चलते हुए हम ही नहीं बल्कि पूरे विश्व में साढ़े 6 करोड़ से ज्यादा डेरा सच्चा सौदा के श्रद्धालु मानवता व इंसानियत की सेवा में दिन रात जुटे हुए हैं।

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