बुजुर्ग विधवा के लिए फरिश्ता बने शाहाबाद के डेरा श्रद्धालु

Dera devotees of Shahabad became angels for elderly widow

दर्द से तड़प रही जसमेरी के पेट से निकलवाई सवा सात किलो की रसोली

  • ऑपरेशन पर आया 13 हजार 400 रुपए का खर्च, साध-संगत ने किया वहन

सच कहूँ/देवीलाल बारना कुरुक्षेत्र । डेरा सच्चा सौदा की ब्लॉक शाहाबाद मारकंडा की साध-संगत ने एक बुजुर्ग विधवा महिला (70 वर्षीय) के ऑपरेशन के लिए आर्थिक मद्द की है। बता दें कि गांव कतलाड़ी निवासी जसमेरी पत्नी बनारसी दास के पेट में पिछले कई वर्षों से रिसोली की दिक्कत थी, लेकिन परिवार की आर्थिक स्थिति कमजोर होने के चलते रसोली का ऑपरेशन करवाने में सक्षम नहीं थी। जसमेरी का पुत्र सलिंद्र भी गांव में किसान के यहां नौकर है। जसमेरी रसोली के कारण दर्द से कराह उठती थी। लगभग 15 दिन पूर्व जसमेरी ने शाहाबाद के नामचर्चा घर में पहुंचकर ब्लॉक के भंगीदास बचना राम, 15 मैंबर जनकराज व अन्य सेवादारों से मुलाकात कर अपनी स्थिति के बारे में बताया।

Dera devotees of Shahabad became angels for elderly widowजसमेरी ने बताया कि डॉक्टरों ने इसका इलाज सिर्फ ऑपरेशन बताया है, लेकिन उसके पास ऑपरेशन करवाने के लिए पैसे नहीं है। सेवादारों ने इस बारे में साध-संगत से बैठक कर विचार विमर्श किया। जिसके बाद साध-संगत ने फैसला लिया कि महिला के इलाज पर जितना भी खर्च होगा उसे साध-संगत वहन करेगी। ब्लॉक भंगीदास बचना राम व 15 मैंबर जनकराज ने बताया कि बाबैन के शर्मा अस्पताल में महिला का ऑपरेशन सफल रहा। जिसका खर्च 13 हजार 400 रुपए आया। साध-संगत की ओर से बचना राम, जनक इन्सां, डिंपल इन्सां, संदीप इन्सां, रोशन इन्सां, रिषी पाल इन्सां, राकेश, गीतिका इन्सां, बिमला इन्सा, सरबजीत इन्सां, सुदेश इन्सां, रजनी इन्सां, संतोष इन्सां ने ऑपरेशन की राशि डॉक्टर को सौंपी।

पेट से निकाली सवा सात किलो की रसोली

पीड़ित महिला जसमेरी रसोली के कारण कितनी दु:खी थी इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि ऑपरेशन कर महिला के पेट से सवा 7 किलो की रसोली निकाली गई। ऑपरेशन से पहले सेवादारों ने अरदास का भजन बोला गया। डॉक्टर ने ऑपरेशन के बाद कहा कि महिला के पेट से रसोली का ऑपरेशन रिस्की था लेकिन महिला ऑपरेशन के बाद बिल्कुल ठीक-ठाक है। पीड़िता के परिवार ने डेरा सच्चा सौदा के पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां का धन्यवाद किया है जिनकी शिक्षाओं पर चलते हुए साध-संगत ने उनकी आर्थिक मद्द की है।

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