डेरा सच्चा सौदा का बायोगैस प्लांट किसानों के लिए बना वरदान

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डेरा सच्चा सौदा का बायोगैस प्लांट किसानों के लिए बना वरदान (छाया: सुशील कुमार)

अन्नदाता बचाओ अभियान के तहत किसान विकास कैंप का हुआ आयोजन

  • खेतों में बायो खाद का प्रयोग करने के लिए किया जिलेभर के किसानों को जागरूक | Biogas
  • बायोगैस प्लांट का भ्रमण कर खाद व गैस बनने की विधि से रूबरू हुए किसान

सरसा (सच कहूँ/सुनील वर्मा)। डेरा सच्चा सौदा के पूज्य गुरु संत डा. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां द्वारा चलाए जा रहे ‘अन्नदाता बचाओ’ अभियान के तहत मंगलवार को एमएसजी रिजोर्ट (MSG Resort) स्थित जलतरंग में एक दिवसीय किसान विकास कैंप का आयोजन किया गया। जिसमें कृषि द्वारा किसानों को जैविक खाद का इस्तेमाल करने के लिए प्रेरित किया गया। साथ ही उन्हें जैविक खाद के फायदे के बारे विस्तारपूर्वक जानकारी दी गई। इससे पूर्व सभी किसानों ने एमएसजी डेरा सच्चा सौदा व मानवता भलाई केंद्र स्थित बायोगैस (Biogas) प्लांट का भी भ्रमण किया गया। जहां उन्हें गोबर गैस और एलोवेरा की पत्तियों से बनने वाली बायोगैस और बायो खाद की पूरी प्रक्रिया से रूबरू कराया गया।

एमएसजी रिजोर्ट स्थित जलतरंग में आयोजित किसान विकास कैंप में उपस्थित किसानों को संबोधित करते हुए बायोगैस (Biogas) प्लांट के इंचार्ज इंजि. कृष्ण नैन इन्सां ने कहा कि आज के दौर में खेती घाटे का सौदा बनती जा रही है तथा फसलों में अत्यधिक कीटनाशकों के प्रभाव से भूमि भी जहरीली होती जा रही है। इसलिए पूज्य गुरु जी द्वारा अन्नदाता बचाओ अभियान चलाकर किसानों को अपने खेतों में जैविक खाद का प्रयोग करने के लिए जागरूक किया जा रहा है। उसी के तहत यह कैंप लगाया गया है। उन्होंने कहा कि डेरा सच्चा सौदा का मकसद खाद को बेचना नहीं है, बल्कि किसानों की पैदावार बढ़ाकर उन्हें घाटे से उबारना है।

उन्होंने कहा कि जैविक खाद का प्रयोग करके किसान आर्थिक नुकसान से तो बचेंगे ही साथ में उनकी पैदावार भी बढ़ेगी, जिससे किसान खुशहाल होगा। कैंप के दौरान उन्होंने किसानों को डीएपी व यूरिया के स्थान पर किस प्रकार से जैविक खाद का प्रयोग कितनी मात्रा में कब-कब किया जा सकता है, उसके बारे में विस्तारपूर्वक जानकारी दी। उन्होंने बताया कि डीएपी, यूरिया में मुख्य रूप से फास्फोरस, पोटाश व नाइट्रोजन होता है और बायोगैस प्लांट में तैयार होने वाली बायो खाद में यह तीनों तत्व भरपूर मात्रा में नेचुरल तौर पर होते है। उन्होंने आगे कहा कि यह खाद जब जमीन में जाती है तो भूमि के जीवाणुओं को खत्म नहीं करती, बल्कि भूमि में डबल लेयर में फास्फोरस, पोटाश व नाइट्रोजन पौधों को देती है। इस दौरान बायोगैस प्लांट के मार्केटिंग एग्जीक्यूटिव ओ.पी. नैन, गुरबाज सिंह इन्सां, इकबाल सिंह इन्सां सहित कई क्षेत्रों प्रगतिशील किसान मौजूद रहे।

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किसान विकास कैंप में पहुंचे खारियां के किसान हरपाल पूनिया ने बताया कि इस कैंप से उन्हें काफी जानकारी मिली है, जिससे वह खेती को जहरमुक्त कर सकते है। जैविक खाद का प्रयोग से हम विभिन्न बीमारियों से भी बच सकते है साथ ही इससे किसान की आमदनी भी बढेगी। इसलिए डेरा सच्चा सौदा द्वारा लगाए गए इस किसान विकास कैंप से किसानों को काफी लाभ मिला है।
                                                                                                      – हरपाल पूनिया, खारियां।

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सरसा निवासी इकबाल सिंह ने बताया कि वह पिछले दो-तीन साल से अपने खेत में जैविक खाद का प्रयोग कर रहा है और इस खाद से उन्हें काफी फायदा हुआ है। मैं 95 प्रतिशत इसी खाद से बागवानी की फसल को ले रहा हूँ। इस खाद को डालने से पौधा इतना मजबूत हो जाता है कि उसके पास बीमारियां बहुत कम आ पाती है। मैं इसे एक शुद्ध देशी घी की संज्ञा दूंगा। क्योंकि अगर हम दूसरी खाद डालते है तो उसका कुछ समय तक ही असर रहता है, लेकिन बायो खाद का लंबे समय तक असर रहता है। उन्होंने कहा कि जहरीले कैमिकल्स से फसलों को बचाने के लिए डेरा सच्चा सौदा द्वारा अच्छा प्रयास किया गया है।
                                                                                                        – इकबाल सिंह, सरसा।

ढाणी काहन सिंह, गांव मंगाला निवासी किसान दयाल सिंह ने बताया कि वह पिछले तीन साल से बायो खाद का प्रयोग कर रहा है। इसके काफी फायदे है। उन्होंने बताया कि वह फसल बोने से पूर्व 5 गट्टे खाद प्रति एकड़ के हिसाब से डालता है। डीएपी,यूरिया का वह बिल्कुल भी इस्तेमाल नहीं करता। इससे मुख्य फायदा यह है कि इससे फसल आॅर्गेनिक बनती है। इसके अलावा भूमि पानी को अच्छे तरीके से सोख लेती है। इस खाद से फसल का रंग ही अलग होता है। क्योंकि अकेली बायो खाद भूमि के सभी तत्वों को पूरा कर देती है।
                                                                                             – दयाल सिंह, ढाणी काहन सिंह।

 

मंगाला निवासी भजन लाल ने बताया कि उसने पहली बार अपनी 25 एकड़ भूमि में बायो खाद डाली है। सभी फसलों में इस खाद का रिजल्ट काफी अच्छा मिला है। इस खाद से उसकी फसल में इस बार उखेड़ा रोग नहीं आया। इसके अलावा उसकी धान की फसल पूरी तरह से पककर तैयार हो चुकी है, लेकिन उसके तने आज भी हरे खड़े है। अब मैं गेहूँ की फसल में भी यह खाद का प्रयोग करूंगा। उन्होंने किसानों से आह्वान किया कि वह एक बार जरूर इसका इस्तेमाल करें।
                                                                                                         – भजन लाल, मंगाला।

अहमदपुर दारेवाला निवासी किसान रोहताश कुमार ने बताया कि नरमें की फसल के दौरान उसने बायो खाद का प्रयोग किया था, जिसके काफी अच्छे परिणाम मिले है। जमीन की उपजाऊ शक्ति काफी बढ़ी है। इस खाद का प्रयोग से पौधे की उगावट से परिणाम देखने को मिल जाते है। वह आगे भी इस खाद का प्रयोग करेगा।
                                                                                                     – रोहताश कुमार, दारेवाला।

सुकेराखेड़ा निवासी किसान पूर्ण सिंह ने बताया कि किसान विकास कैंप से उन्हें काफी महत्वूपर्ण जानकारियां मिली है। अब वह खेतों में बायो खाद का प्रयोग करेंगे, ताकि उनकी भी आमदन बढ़ सकें। इसके अलावा हम जो कीटनाशक फसलों में डालते है उसका सबसे ज्यादा नुकसान हमें खुद को ही होता है, क्योंकि इससे अनेक बीमारियां इंसान को लग जाती है।
                                                                                                        – पूर्ण सिंह, सुकेराखेड़ा।

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