किसानों ने रोकी रेल की रफ्तार

Farmers stopped rail speed

रेलवे ट्रैकों पर धरना देकर जताया विरोध

  • भारी संख्या में महिलाओं ने भी दिया साथ

चंडीगढ़ (सच कहूँ ब्यूरो)। कृषि कानूनों को रद्द करने और एमएसपी की गारंटी संबंधी कानून की मांग को लेकर 85 दिन से देश का अन्नदाता दिल्ली की सीमाओं पर डटा हुआ है। दूसरी ओर सरकार भी अपने रवैये पर अडिग है। सरकार पर दबाव बनाने के लिए वीरवार को सरसा, फतेहाबाद, हिसार, जीन्द, रोहतक, सोनीपत, पानीपत, यमुनानगर सहित प्रदेश भर में किसानों ने दोपहर 12 बजे से सायं 4 बजे तक रेलवे ट्रैकों पर धरना प्रदर्शन पूर्ण रूप से सफल रहा। इस दौरान ट्रेनों के पहिये चार घंटे तक पूरी तरह थमे रहे। इस दौरान खास बात ये रही कि ये पूरा विरोध प्रदर्शन शांतिपूर्ण रहा। वहीं सुरक्षा के मद्देनजर रेलवे स्टेशनों पर जीआरपी के अलावा अर्धसैनिक बल और भारी संख्या में हरियाणा पुलिस तैनात रहे।

कहां-कहां रोकी ट्रेनें सोनीपत में किसान 2 जगह रेल रोकने के लिए ट्रैक पर बैठे। जींद में 10 स्थानों पर धरना दिया। रेवाड़ी में दिल्ली-जयपुर रेल लाइन को बावल के समीप राजस्थान के अजरका गांव में ट्रेनें रोकीं। बहादुरगढ़ में एक स्थान, रोहतक में 3, भिवानी में 10, चरखी दादरी में एक, फतेहाबाद में 2, सरसा में 7, हिसार में 4 स्थानों पर ट्रेनें रोकी गई। पानीपत में 2, अंबाला, यमुनानगर, करनाल और कुरुक्षेत्र में एक-एक स्थान पर रेल रोकी गई । कैथल के किसान कुरुक्षेत्र के थानेसर स्टेशन पहुंचे, क्योंकि दोपहर 12 से 4 कैथल में किसी ट्रेन का शेड्यूल नहीं था।

फसलों को जला देंगे पर वापस नहीं जाएंगे किसान : टिकैत

Farmers stopped rail speed

भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने फिर कहा कि केन्द्र किसान आंदोलन को लेकर किसी भी गलतफहमी न रहे कि किसान फसल की कटाई के लिए वापस चले जाएंगे और आंदोलन खत्म हो जाएगा। हम अपनी फसलों को जला देंगे, लेकिन वापस नहीं जाएंगे। वे हिसार जिले के खरकपुनिया गांव में आयोजित किसान महापंचायत में बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि सरकार यह न सोचे कि विरोध दो महीने में खत्म हो जाएगा। हम फसल कटाई के साथ-साथ विरोध करेंगे। उन्होंने कहा कि फसलों की कीमतों में वृद्धि नहीं हुई है, लेकिन ईंधन की कीमतें बढ़ गई हैं। जरूरत पड़ी तो हम अपने ट्रैक्टरों को पश्चिम बंगाल में भी ले जाएंगे। किसानों को वहां भी एमएसपी नहीं मिल रही है। टिकैत ने किसानों से आह्वान किया कि उन्हें एक फसल की कुर्बानी देनी पड़ सकती है। उन्होंने कहा कि सरकार कहती है फसल की कटाई का समय आ गया है, इसलिए किसान वापस गांव चले जाएंगे, लेकिन किसान फसल की कुर्बानी देने को तैयार रहें। किसानों ने भी हाथ उठाकर टिकैत की बात का समर्थन किया।

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