गुरनाम सिंह चढूनी को सांझे मोर्चे ने किया 7 दिन के लिए निरस्त

Gurnam Singh Chaduni sachkahoon

चुनाव लड़ने के लिए कर रहे थे बयानबाजी

  • अगले 7 दिन तक चढूनी नहीं ले पाएंगे मीटिंग में हिस्सा, स्टेज पर आने पर भी लगाई पाबन्दी

सच कहूँ/ चंडीगढ़ (अश्वनी चावला)। पंजाब विधानसभा चुनावों में किसानों को चुनावी मैदान में उतरते हुए चुनाव लड़नी चाहिए। इस तरह के बयान देने पर सांझे मोर्चे की ओर से बार-बार रोकने पर भी नहीं रुकने वाले भारतीय किसान यूनियन हरियाणा के प्रधान गुरनाम सिंह चढूनी को सांझा मोर्चे ने 7 दिनों के लिए निरस्त कर दिया है। सांझा मोर्चा का कहना है कि वह दिल्ली बॉर्डर पर तीनों ही खेती कानूनों को रद्द करवाने के लिए बैठे हैं और उनका कोई भी राजनीतिक मकसद नहीं है परन्तु गुरनाम सिंह चढूनी के बयानों के चलते मोर्चे के लक्ष्य पर प्रभाव पड़ रहा था।

गुरनाम सिंह चढूनी को बार-बार चेतावनी देते हुए रोका गया परन्तु वह रूक ही नहीं रहे थे, जिस कारण 7 दिनों के लिए गुरनाम सिंह चडूनी को निरस्त कर दिया गया है, जिसके बाद अब 7दिनों के लिए गुरनाम सिंह चढूनी मोर्चे की किसी भी मीटिंग में भाग नहीं ले पाएंंगे और न ही वह मोर्चे की स्टेज पर आकर संबोधित कर पाएंगे। सांझा मोर्चे की ओर से यह काफी ज्यादा सख़्त फैसला गुरनाम सिंह चढूनी के लिए लिया गया है।

दिल्ली में सांझे मोर्चे की ओर से की गई प्रैस कॉन्फ्रेंस दौरान किसान नेताओं ने कहा कि तीन खेती कानूनों को रद्द करवाने के लिए 8 महीने पहले यह मोर्चा लगाया गया था और उनका मोर्चा शांतमयी ढंग से तीनों ही कानूनों के खिलाफ चल रहा है। इसमें किसी भी तरह की राजनीतिक दखल मोर्चे की तरफ से अब तक नहीं होने दी है और जो भी राजनीतिक नेता समर्थन देने के लिए आए, उनको भी स्टेज के पास जाने की इजाजत नहीं थी परन्तु अब गुरनाम सिंह चढूनी चुनाव लड़ने को लेकर बयानबाजी कर रहे थे, जिससे उनके मोर्चे को राजनीतिक रंगत दी जा रही थी। इसलिए गुरनाम सिंह चढूनी को 7 दिनों के लिए निरस्त कर दिया गया है। अब वह 21 जुलाई के बाद ही सांझा मोर्चे की मीटिंग पर स्टेज पर आ पाएंगे।

मैं अपनी बात पर कायम हूँ, पंजाब में लड़ना चाहिए चुनाव : चढूनी

सांझा मोर्चे की ओर से जो भी फैसला लिया गया है, वह अपने फैसले के लिए आजाद हैं परन्तु वह भी अपने बयान पर कायम हैं कि पंजाब विधानसभा चुनावों में किसानों को आगे आकर चुनाव लड़ना चाहिए। पंजाब में राजनीति को बदलने की जरूरत है। किसान खुद आगे नहीं आऐंगे तो सरकारें किसानों के हक में फैसले नहीं लैंगी। मैंने तो सिर्फ एक विचार रखा है और इसपर चर्चा की जानी चाहिए थी अब विचार रखने पर भी पाबंदी लगेगी? उन्होंने कहा कि मैंने कोई फैसला तो नहीं दिया कि चुनाव लड़े जाएंगे, सिर्फ विचार देने से ऐसा आदेश जारी करना गलत है। इसलिए वह सांझे मोर्चे के इस फैसले को गलत ठहराते हैं।

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