हरियाणा कैबिनेट: सरकार को जमीन बेच सकेंगे किसान

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सरकार ने तैयार की लैंड बैंक सृजित करने की नीति

  • इस भूमि का उपयोग सरकारी विकास परियोजनाओं के लिए किया जाएगा

चण्डीगढ़ (सच कहूँ न्यूज)। यदि किसी किसान को मजबूरी में अपनी जमीन बेचनी पड़ जाए तो इसके लिए हरियाणा सरकार ने उन्हें एक विकल्प उपलब्ध करवाया है। इसके तहत, किसान पहले सरकार को संभावित खरीददार के रूप में अपना प्रस्ताव दे सकता है। इसके साथ ही किसान राज्य सरकार को किसी विशेष स्थान पर विकास परियोजना के लिए भूमि का चयन करने का परामर्श भी दे सकते हैं। इसके लिए सरकारी विभागों, बोर्डों एवं निगमों के लिए भूमि बैंक सृजित करने और उनके निपटान में पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए एक नीति तैयार की गई है। मुख्यमंत्री मनोहर लाल की अध्यक्षता में मंत्रिमंडल की बैठक में इस नीति को स्वीकृति प्रदान की गई। इस नीति को ‘बोर्डों एवं निगमों सहित सरकारी परियोजनाओं के लिए भूमि बैंक सृजित करने और विकास परियोजनाओं के लिए उनका निपटान नीति’ कहा जाएगा।

इस नीति के सफल कार्यान्वयन को सुनिश्चित करने के लिए तीन समितियाँ नामत: भूमि एवं दर जाँच समिति, भूमि बैंक समिति और उच्चाधिकार प्राप्त भूमि बैंक समिति का गठन किया जाएगा।

कृषि (जोत) भूमि के आदान-प्रदान पर स्टांप शुल्क में छूट

प्रदेश में कृषि योग्य भूमि के आदान-प्रदान के संबंध में लेन-देन में किसानों पर पड़ने वाले वित्तीय बोझ को कम करने के लिए स्टांप शुल्क में छूट प्रदान करने के एक प्रस्ताव को स्वीकृति प्रदान की गई। मंत्रिमंडल ने पंजाब समझौता नियमावली के पैरा 259 में उपबंधित कृषि योग्य भूमि जिसमें बैरानी, सैलाबी, अबी, नहरी और चाही भूमि शामिल है, के आदान-प्रदान के संबंध में भारतीय स्टाम्प अधिनियम,1899 की अनुसूची 1-क के अनुच्छेद 31 के तहत पंजीकरण की प्रति डीड पर 5000 रुपये की दर से मामूली शुल्क वसूल किये जाने को इस शर्त पर स्वीकृति प्रदान की गई कि कृषि भूमि का आदान-प्रदान उसी राजस्व संपदा में होना चाहिए।

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