अभी-अभी ‘रूह दी’ हनीप्रीत इन्सां ने संगत को दिया सुंदर तोहफा

सरसा (सच कहूँ न्यूज)। पूज्य गुरु संत डॉॅ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां की बेटी ‘रूह दी’ हनीप्रीत इन्सां ने इंस्ट्राग्राम पर एक रील अपलोड की है। जिसमें आप पूज्य गुरु जी रूह दी को आशीर्वाद देते हुए नजर आ रहे है। आपको बता दें कि पूज्य गुरु जी 40 दिन की रूहानी यात्रा पर बरनावा आश्रम आए थे उस दौरान पूज्य गुरु जी ने आॅनलाइन रूहानी सत्संग किए थे और लाखों लोगो का नशा छुड़वाकर राम नाम से जोड़ा था।

अलग ही अंदाज में ‘रूह दी’ हनीप्रीत इन्सां

‘रूह दी’ हनीप्रीत इन्सां ने संगत के लिए भेजा कुछ खास…

‘रूह दी’ हनीप्रीत इन्सां ने इंस्ट्राग्राम पर भेजा कुछ खास…

Honeypreet Insan Instagram

पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां की बेटी ‘रूह दी’ हनीप्रीत इन्सां ने इंस्ट्राग्राम पर एक रील अपलोड की है। रील में रूह दी कैमरे के बारे में बता रही है कि कब कैमरा संभाला था और पूज्य गुरु जी ने कैसे तकनीक सीखाई थी। रूह दी ने इंस्ट्राग्राम पर लिखा कि मुझे अभी भी वह समय याद है जब मैंने 2015 में कैमरे को संभालने का फैसला किया था। शुरूआत में हमेशा इस बारे में विचार थे कि मैं कैमरे के पीछे की चीजों से संबंधित सभी तकनीक कैसे सीख पाऊंगी। शुरुआत में मैं डर गई थी, लेकिन समय के साथ, मैं और अधिक आत्मविश्वासी हो गई क्योंकि मुझे गुरु पापा @saintdrmsginsan से सीखने का सौभाग्य प्राप्त हुआ।

पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां व आदरणीय ‘रूह दी’ हनीप्रीत इन्सां गत 25 नवंबर को शाह सतनाम जी आश्रम, बरनावा (उत्तर प्रदेश) से ऑनलाइन गुरुकुल के माध्यम से ऑनलाइन रूबरू हुए। इस दौरान पूज्य गुरु जी ने आमजन द्वारा पूछे गए सवालों के जवाब देकर उनकी जिज्ञासा को शांत किया।

सवाल : गुरु जी आजकल युवा अपनी पत्नी और बच्चों के साथ रहना तो पसंद करते हैं जबकि बुजुर्गों के साथ रहना पसंद नहीं करते। जबकि बुजुर्ग अवस्था में माता-पिता को उनकी जरूरत होती है। कृप्या मार्गदर्शन करें।

पूज्य गुरु जी का जवाब : बिल्कुल, बच्चों और नौजवानों को अपने माँ-बाप के साथ रहना चाहिए। अभी हमने जो डिजिटल फास्टिंग शुरू की है, उससे जुड़ा एक बच्चे का अनुभव आपको बताते हैं। उसने बताया कि गुरु जी मैं हमेशा मोबाइल में व्यस्त रहता था। जबसे आपने सायं 7 से रात 9 बजे तक मोबाइल और टीवी से दूर रहकर परिवार से बातें करने के लिए कहा है तो मैंने परिवार से बातें करना शुरू की तो तब मुझे पता चला कि मेरे घर में तो हीरो भरे पड़े हैं। जो मैं बाहर ढूंढा करता था, वो मुझे मेरे घर में मिल गए। क्योंकि आपके माँ-बाप, बुजुर्ग जो हैं, उनको तज़ुर्बा है जिन्दगी का। बहुत सारी नॉलेज (जानकारी) आप किताबों से ले सकते हैं, बहुत सारी नॉलेज आप अपने यार-दोस्त, मित्रों से ले सकते हैं।

लेकिन एक नॉलेज ऐसी होती है, जो उम्र सिखाती है, जैसे उम्र बढ़ती है आदमी वो सीखता चला जाता है। तो इसलिए आपके माता-पिता, बुजुर्ग आपके लिए बहुत-बहुत प्रेरणास्रोत हो सकते हैं। उनके पास ज्ञान का भंडार होता है। आप उनका साथ दें और ये हमारी संस्कृति भी है। बचपन में माँ-बाप बच्चे का टट्टी-पेशाब उठाते हैं और बुढ़ापे में अगर माँ-बाप कमजोर हो जाते हैं तो बच्चे सहारा बनते हैं। ये हमारी ऐसी संस्कृति है, जो पूरे वर्ल्ड में नंबर वन है। तो हम सभी से हाथ जोड़कर विनती करेंगे कि आप अपने माँ-बाप के साथ प्यार से पेश आया करें और उनका सत्कार करें, उनके साथ रहा करें, क्योंकि इकट्ठे रहेंगे तो बहुत सारी चीजें जो आप बाहर ढूंढते हैं, हो सकता है वो घर से ही मिल जाएं।

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