ज्ञानकोष्ठ : 199 साल में बनी पीसा की झुकी हुई मीनार
पीसा इटली का एक छोटा-सा शहर है जहां विश्व प्रसिद्ध झुकी हुई मीनार है। पीसा की यह झुकी हुई मीनार सैकड़ों सालों से सैलानियों की उत्सकुता का केंद्र बनी हुई है। अपने निर्माण के बाद से ही मीनार लगातार नीचे की ओर झुकती रही है और इसी झुकने की वजह से वह दुनिय...
न्यूटन की मास्टर डिग्री
न्यूटन के जीवन की शुरूआत से पूर्व ही इनके पिता की मृत्यु हो गई थी। उन्होंने अपनी दादी माँ के साथ शुरूआती जीवन बिताया, वह कई बार अपनी माँ के साथ सौतेले पति के घर भी जाता था। मगर अपनी माँ द्वारा दूसरी शादी करना कतई पसंद नहीं था। एक बार गुस्सा होकर न्यू...
ज्ञानकोष्ट : जाने, भारतीय महिला हॉकी टीम ने पहला कांस्य पदक कब जीता था?
भारत ने सुशीला चानू की कप्तानी में जूनियर महिला हॉकी विश्व कप-2013 में इंग्लैंड को 3-2 से पराजित कर कांस्य पदक जीता था। यह पहला अवसर है जब भारतीय महिला टीम ने इस प्रतियोगिता में पदक जीता है। हॉकी इंडिया ने जूनियर हॉकी टीम की प्रत्येक खिलाड़ी के लिए एक...
जब सतगुरु ने जान बख्शकर नौ बर नौ कर दी थी आँखों की रोशनी
डेरा सच्चा सौदा दरबार सरसा से सत् ब्रह्मचारी सेवादार गुरबख्श सिंह जी अपने सतगुरु प्यारे की अपार बख्शिश का एक प्रत्यक्ष करिश्मा इस प्रकार ब्यान करता है। सन् 1969 में मुझे नाम की बख्शिश हुई। उन दिनों मैं रतिया में अपने घर में रहा करता था। सन् 1970 में ...
सच्चे सतगुरू जी ने दया-मेहर रहमत से अपने शिष्य को भयानक रोगों से छुटकारा दिलाया
श्री हरभजन लाल पुत्र श्री सोहन राम गांव बरूवाली-1 जिला सरसा, पूज्य गुरू संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां की अपार रहमतों का वर्णन इस प्रकार करता है:-
सन् 1992 की बात है, मैंने तथा मेरी पत्नी ने डेरा सच्चा सौदा पहुंचकर पूजनीय हजूर पिता जी का सत्...
…जब सोमनाथ को मौत के मुंह से निकाल लाए सतगुरू
अक्सर हम छोटी-मोटी परेशानियों में घिर कर हिम्मत हार बैठते हैं। कई लोग तो बुरे वक्त के ख्याल भर से काँप उठते हैं। लेकिन अगर मुश्किलों का डटकर सामना किया जाए तो उन्हें भी खुद पीछे हटना पड़ता है। आज की साखी एक ऐसे ही शख़्स के जीवन से जुड़ी सच्ची घटना पर आध...
दु:खों से घिरी बहन को पूज्य गुरु जी ने बख्शा खुशहाल जीवन
सतगुरु की रजा, रमज और रहमत की कोई सीमा नहीं होती और न ही इसे कोई समझ सकता है। उनका हर कर्म सृष्टि के भले के लिए होता है। वे अपने बच्चों के भारी कर्मों को काटकर उनके जीवन को खुशियों से महका देते हैं। आज की साखी ऐसे ही जीवन के सत्य अनुभव पर आधारित है।
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जब पुलिस अफसरों के कर्मों का भार साईं जी ने अपने शरीर पर लिया
संतों का जीवन परहित को समर्पित होता है। सच्चा गुरू, किसी जीव को नामदान देकर उसे अपना शिष्य बनाने से पूर्व उसके बुरे कर्मों को नष्ट करता है और उसकी सारी बलाएं (कष्ट) खुद के शरीर पर ले लेता है। ऐसे ही एक प्रत्यक्ष नजारे का जिक्र करते हुए गांव कंवरपुरा ...
जब भूखे का सहारा बने ईश्वर चंद विद्यासागर
स्वतंत्रता सेनानी ईश्वरचंद्र विद्यासागर का जन्म आज ही के दिन 26 सितंबर, 1820 को मेदिनीपुर में ब्राह्मण परिवार में हुआ था। उनके पिता का नाम ठाकुरदास बंद्योपाध्याय एवं माता का नाम भगवती देवी था। वे एक दार्शनिक, अकादमिक शिक्षक, लेखक, अनुवादक, समाज सुधार...
घमंड कभी न करने का ज्ञान
तो बात उस समय की है, जब स्वामी विवेकानंद अपने लोकप्रिय शिकागो धर्म सम्मेलन के भाषण के बाद भारत वापस आ गये थे। अब उनकी चर्चा विश्व के हर देश में हो रही थी। सब लोग उन्हें जानने लगे थे।
स्वामी जी भारत वापस आकर अपने स्वभाव अनुरूप भ्रमण कर रहे थे। इस समय...
सतगुरू जी ने शिष्य की सच्ची अर्ज स्वीकार की
बहन ईशर कौर सुचान (सरसा) से पूजनीय शहनशाह शाह मस्ताना जी महाराज की अपार रहमत का वर्णन करती हुई बताती हैं कि सन् 1958 की बात है। मेरे ससुराल वालों ने अपनी सारी जमीन जो गांव सुचान (सरसा) के एरिया में पड़ती थी, को बेचकर यूपी (उत्तर प्रदेश) में खरीदने का ...
मरने के बाद जिंदा हुआ शख्स, किया हैरान कर देने वाला दावा
एडिनबर्ग। मरने के बाद इंसान के साथ क्या होता है, वो कहां जाता है, कैसे जाता है इन तमाम सवालों के जवाब संत-महात्माओं ने बहुत पहले दे दिए हैं। वहीं एक शख्स ने मौत के बाद घटित होने वाले अनुभव करने का दावा किया है। 60 वर्षीय स्कॉट ड्रूमंड दावा करते हैं क...
पूजनीय बेपरवाह शाह मस्ताना जी महाराज से सत्संग में पुछे गए रूहानी सवाल जावाब
पूजनीय परम पिता शाह सतनाम जी महाराज ने पंजाब, हरियाणा, राजस्थान और उत्तर प्रदेश में सन् 1960 से 1991 तक बहुत से सत्संग फरमाए और इस बीच सत्संगियों ने समय-समय पर पूजनीय परम पिता जी से अनेक प्रश्न पूछे। जो कुछ प्रश्न विभिन्न स्त्रोतों से हमें प्राप्त हु...
आईए जानते हैं फादर्श-डे की शुरूआत कब और कहां से हुई
फादर्श डे की शुरूआत अमेरिका से हुई थी। बता दें कि आॅफिशियल तरीके से सबसे पहला फदर्स-डे 19 जून 1909 को मनाया गया। इस खास दिन की प्रेरणा साल 1909 में मदर्स डे से मिली थी। वॉशिंगटन के स्पोकेन शहर में सोनोरा डॉड ने अपने पिता की स्मृति में इस दिन की शुरूआ...
आईए जानते है अंतरिक्ष के लिए उड़ान भरने वाली वो दुनिया की पहली महिला कौन थीं ?।
16 जून के दिन सुनीता विल्यिमस ने अंतरिक्ष में सबसे अधिक समय बिताने वाली महिला का रिकॉर्ड बनाया। जबकि अंतरिक्ष में जाने वाली भारतीय मूल की दूसरी महिला हैं। उनसे पहले दिवंगत कल्पना चावला भी अंतरिक्ष में जा चुकी थीं। वो अब तक अंतरिक्ष में 322 दिन रहने ...