महासागरों को जीतने वाला भारतीय

Indian conqueror of oceans
मिहिर सेन, एक ऐसा नाम जिसने महासागरों पर फतेह हासिल की। एक व्यक्ति जो पेशे से वकील बना, लेकिन दिल सागर से लगा बैठा और फिर इतिहास में अमर हो गया। मिहिर सेन, एक कैलेंडर वर्ष में पांच अलग-अलग महाद्वीपों के पांच अलग-अलग समुद्रों में तैरने वाले पहले भारतीय थे। 1958 में इंग्लिश चैनल तैरकर पार करने वाले मिहिर सेन भारत के ही नहीं बल्कि एशिया के पहले तैराक थे, जिन्होंने यह उपलब्धि हासिल की थी। पेशे से वकील मिहिर ने सॉल्ट वाटर  तैराकी में पांच महत्वपूर्ण रिकॉर्ड बनाए थे। वकालत के दौरान ही उन्हें इंग्लिश चैनल पार करने का जुनून चढ़ा और 27 सितंबर 1958 को इंग्लिश चैनल तैरकर पार करने में आखिर सफल हुए। उन्होंने 14 घंटे 45 मिनट में अपना लक्ष्य हासिल किया।
इंग्लिश चैनल पार करने के बाद मिहिर ने श्रीलंका के तलाईमन्नार से भारत के धनुषकोटि तक 25 घंटे 44 मिनट में टारगेट पूरा किया। इसके बाद मिहिर ने 24 अगस्त, 1966 को आठ घंटे एक मिनट में जिब्राल्टर डार-ई-डेनियल को पार किया। यह चैनल स्पेन और मोरक्को के बीच है। जिब्राल्टर को तैरकर पार करने वाले मिहिर सेन पहले एशियाई तैराक थे। 12 सितंबर, 1966 को उन्होंने डारडेनेल्स को तैरकर पार किया। डारडेनेल्स को पार करने वाले वे विश्व के प्रथम व्यक्ति थे। उसके केवल नौ दिन पश्चात यानि 21 सितंबर को वास्फोरस को तैरकर पार किया। 29 अक्तूबर, 1966 को उन्होंने पनामा कैनाल को लंबाई में तैरकर पार करना शुरू किया। इस पनामा कैनाल को पार करने के लिए उन्होंने 34 घंटे 15 मिनट तक तैराकी की। मिहिर को 1959 में पद्मश्री और वर्ष 1967 में पद्मभूषण पुरस्कार से नवाजा गया था।

 

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