सच कहूँ एक्सकलूसिव : कोरोना के साथ महंगाई का डंक

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बरसात के मौसम से पहले ही शुरू हो चुका मुनाफाखोरी का धंधा

सरसों के तेल ने बिगाड़ा रसोई का स्वाद

  •  खुदरा महंगाई दर 6.3 फीसदी और थोक महंगाई दर 12.94 फीसदी बढ़
  •  कुकिंग आॅयल 200 रूपए लीटर और प्याज 40 रूपए किलो के पार पहुंचा

sukhjeet kaur

सच कहूँ टीम नई दिल्ली/कुरुक्षेत्र/श्रीगंगानगर/भटिंडा।

70 से 80 रूपए लीटर बिकने वाला कुकिंग आॅयल आज 160 से 200 प्रति लीटर बिक रहा है। ऐसे में आप अंदाजा लगा सकते है कि देश की रसोई में तड़का कैसे लगता होगा। वहीं सब्जी मार्किट का भी अजब खेल है। यहां कब सब्जियों के दाम आसमान छू जाएं पता ही नहीं चलता। यह सारा खेल एक प्लानिंग के तहत हर सीजन में खेला जाता है और खेल भी ऐसा कि किसी को भनक तक नहीं लगती कि आखिर सब्जियों के दाम एकाएक बढ़ने के पीछे माजरा क्या है। मार्किट बड़ी चतुराई के साथ कभी सर्दियों में धूंध बढ़ने का कारण बताया जाता है तो कभी बारिश पड़ने का तर्क दिया जाता है। जिसे उपभोक्ता सही मानकर स्वीकार कर लेते हैं लेकिन इस बार में दोहरी मार का शिकार होना पड़ रहा है।

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एक तरफ जहां कोरोना के कारण काम धंधे चौपट हो गए हैं दूसरी तरफ महंगाई ने आमजन की कमर तोड़ दी है। सब्जियों के दाम आसमान छू जाने से गृहणियों के लिए घर का बजट चलाना मुश्किल बन रहा है। सब्जियों के बढ़ते दामों को देख कर तो लगता है कि एक दिन रोटी की थाली से सब्जी खत्म हो जाएगी। जबकि अभी बरसात का मौसम आना बाकि है और बरसात में आमतौर पर सब्जियों के दाम आसमान छू जाते हैं। अबकि बार बरसात से पहले ही सब्जियों के बढ़ते भाव ने गृहणियों का बजट बिगाड़ने का काम किया है। ऐसे में आम जिंदगी गुजर-बसर करने वाले व्यक्ति को नमक-मिर्च के साथ रोटी खा कर ही गुजारा करना पड़ रहा है।

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सब्जी की जगह बनाई चटनी ने

सब्जियां महंगी होने से आम गृहणियों को दिक्कतें हो रही हैं कि वे कैसे अपने सीमित बजट में रसोई का खर्च चलाएं। पहले जहां सब्जियां साधारण दामों पर बिक रही थीं, लेकिन बरसात की आहट से पहले ही बढ़े सब्जियों के दामों ने आम आदमी का बजट गड़बड़ा कर रख दिया है। सब्जियों के लगातार बढ़ते दामों से लगता है कि अब आम लोगों को थाली में रोटी के साथ चटनी को ही सजाना पड़ेगा।

किसानों से सस्ते रेट में लेकर बाजार में महंगी बिकती हैं सब्जियां

आमतौर पर देखा जाता है कि जो सब्जियां किसानों से जिस रेट में खरीदी जाती है, उसी सब्जी को बाजार में उससे लगभग दोगुनी कीमत पर बेचा जाता है। कुछ दिन पहले की ही यदि बात करें तो, जिस प्याज को किसानों से 10 से 12 रूपए प्रति किलोग्राम खरीदा गया, कुछ रोज के बाद ही वह प्याज 30 से 40 रूपए प्रति किलोग्राम बेचा जा रहा है।

मॉनसून की आहट से पहले ही सब्जियों के भाव आसमान पर

हालांकि यह बात जरूर है कि कई बार मौसम के प्रतिकूल प्रभाव के चलते सब्जियां नष्ट हो जाती हैं और सब्जियां प्राप्त उपलब्धता न होने के चलते सब्जियों के दाम बढ़ जाते हैं परंतु ऐसा हर बार नहीं होता क्योंकि कई बार किसी क्षेत्र में प्रतिकूल मौसम का प्रभाव सब्जियों पर पड़ता है तो दूसरे क्षेत्र से सब्जियों की सप्लाई शुरू हो जाती है। लेकिन मोटा लाभ कमाने के चलते रैयूमर फैला दिया जाता हैं कि मौसम के कारण सब्जियां खराब हो गई हैं जिसकी वजह से दाम बढ़ गए हैं। अबकि बार तो बरसात के मौसम से पहले ही मुनाफाखोरी का यह धंधा शुरू हो चुका है।

सरकार से न सरसों का तेल मिल रहा न पैसा

हरियाणा सरकार ने पहले नमक बंद कर दिया और अब सरसों का तेल। बता दें कि प्रदेश में बीपीएल पात्रों को तेल के बदले जो 250 रूपये खाते में आने थे। वह भी अभी तक नहीं मिले हैं। ऐसे में गरीबी रेखा से नीचे जीवन-यापन करने वाले लाखों परिवारों के सामने भारी परेशानी खड़ी हो गई है और उनके घरों में सरसों के तेल का तड़का नहीं लग रहा। सरकारी नमक का स्वाद भी गरीब परिवार भूला चुके हैं। दरअसल प्रदेश की बीजेपी-जेजेपी सरकार ने चार जून को घोषणा की थी कि गरीबों के बैंक अकाउंट में 250 रुपये डाले जाएंगे, लेकिन आज तक गरीबों के खाते में ये रुपये नहीं आए। डिपो संचालकों का कहना है कि जून की सप्लाई में सरसों तेल और नमक नहीं आया। बाकी राशन का वितरण किया जा चुका है। लोग डिपो पर रोजाना तेल के पैसे खाते में नहीं आने के बारे में पूछताछ करने के लिए आ रहे हैं। बता दें कि सरकार बीपीएल परिवारों को 20 रुपये में एक लीटर सरसों का तेल देती थी। जिससे गरीब परिवारों के घरों में सब्जी में तड़का लगता था। मगर बाजार में सरसों के तेल का रेट अब 155 रूपये से लेकर 170 रूपये लीटर है।

महंगाई बहुत बढ़ गई है। अब तो घर चलाना भी मुश्किल हो गया है। बाजारों में सभी सामान के दाम बढ़े हैं चाहे जो भी लो। सभी चीजें महंगी हो गई हैं। चाहे दाल, चावल, आटा, गेहूं, मसाला जो भी सामान लो वह महंगा ही हो गया है। लॉकडाउन खुलने के बाद भी सभी सामान के दाम बढ़े हुए हैं। पहले लग रहा था कि लॉकडाडन के कारण सामान ज्यादा दाम में मिल रहे हैं। परंतु यह सब गलत साबित हो रहा है। लॉकडाउन के बाद भी सभी चीजों के दाम महंगे ही हैं। आखिर ऐसे में हम घर कैसे चलाएं? यह समझ नहीं आ रहा।

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संगीता गुप्ता, गृहिणी, हनुमानगढ़ टाउन

चारों तरफ से महंगाई की पड़ रही है मार

महंगाई के कारण अब रसोई घर संभालना मुश्किल हो गया है। गैस सिलेंडर के दाम पहले से लगभग दो गुना हो गए हैं। पिछले कुछ समय के दौरान ही सरसों के तेल के दाम भी बढ़ गए। चायपत्ती के दाम भी बढ़ गए हैं। सब्जी और फलों के दाम भी आसमान छू रहे हैं। लॉक डाउन होने के कारण बहुत-सी चीजों के दाम बढ़ते चले गए लेकिन उन्हें सरकार द्वारा नियंत्रित नहीं किया गया। जिसका नतीजा यह है की अब रसोई का बजट बिगड़ गया है। हर रोज में किचन में काम आने वाली वस्तुओं के दाम जब बढ़ने लगेंगे लेकिन आमदनी बढ़ने की बजाय कम होने लगे तो घर कैसे चलेगा। वहीं पेट्रोल और डीजल के दामों में बेतहाशा वृद्धि हो रही है ऐसे में आने वाले दिनों में महंगाई और बढ़ेगी।

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निशा नागपाल इन्सा, सादुलशहर

पहले सब्जियों और खाद्य पदार्थों की कीमत रुला रही थी, अब गैस सिलेंडर की कीमत से परेशान हैं। सिलेंडर के दामों में बढ़ोतरी से लोगों को ज्यादा जेब ढीली करनी होगी। पहले जो सिलेंडर 745 रुपये का था। अब कीमतों में वृद्घि होने के बाद 890 रुपये का मिल रहा है। वहीं सब्जियों व सरसों के तेल का दाम बढ़ने से रसोई में तड़का हीं नहीं लग रहा।

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-सावित्री देवी, करनाल (हरियाणा)।

खाद्य पदार्थों के दामों में लगातार वृद्धि ने लोगों की कमर तोड़ दी है। कुकिंग आॅयल दो सौ रुपए लीटर तो प्याज चालीस रुपए किलो है। एलपीजी के दामों में हुई वृद्धि से हर वर्ग के लोग आहत हैं। पेट्रोल-डीजल के लगातार बढ़ते दाम से आम लोगों में गुस्सा है। केंद्र सरकार द्वारा फिर से गैस सिलेंडर के दामों में बढ़ोतरी कर महंगाई की दोहरी मार से जनता त्रस्त नजर आ रही है। खाद्य सामग्री की दरों में वृद्धि होने से इसका सीधा असर गरीब तबका पर पड़ता है। पेट्रोल-डीजल सस्ता होना चाहिए लेकिन यहां पर तो हर रोज दाम बढ़ रहे हैं। सरकार का इस ओर ध्यान देने की जरुरत है।

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-आशा रानी, फतेहाबाद।

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गृहणियां बोलीं, आम आदमी के मुंह का निवाला छिनता जा रहा है

कुरुक्षेत्र निवासी निर्मला देवी का कहना है कि गृहणियों के लिए चिंता बन गई है कि वे कैसे रसोई खर्च को चलाएं। इस बढ़ती महंगार्ई से आम आदमी का निवाला भी छिनता जा रहा है।

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-निर्मला देवी कुरुक्षेत्र

पानीपत निवासी एकता धीमान का कहना है कि एक तो कोरोना ऊपर से महंगाई का रोना। महंगाई इतनी बढ़ चुकी है कि आम आदमी का जीना मुश्किल हो गया है। रोजाना सब्जियों के दामों में इजाफा हुआ मिलता है।

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– एकता धीमान पानीपत

दिल्ली निवासी सुषमा नारायण का तो यहां तक कहना है कि कम से कम सब्जियों के दाम तो कंट्रोल में कर दिए जाएं ताकि बेरोजगारी के इस दौर में रोटी तो सुख से खाई जा सके।

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 – सुषमा नारायण दिल्ली

राजस्थान के श्री गंगानगर निवासी अनिता चौधरी का कहना है कि दालों के दाम आसमान छू रहे हैं, सब्जियां महंगी हो गई हैं। पहले तो सस्ती सब्जी आमजन की पहुंच में होती थी लेकिन अब कोई सब्जी सस्ती नहीं है।

-अनिता चौधरी राजस्थान

बढ़ती महंगाई के चलते रसोई में बजट बिठाना मुश्किल हो रहा है। कोरोना काल में एक तो आदमनी कम हो गई है और ऊपर से बढ़ती महंगाई ने कमर तोड़ कर रख दी है। सरकार को चाहिए कि जल्द महंगाई को काबू कर गृहणियों को राहत दे।

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-पूजा रानी, गृहणी रादौर।

बढ़ती महंगाई का कारण पेट्रोल-डीजल की बढ़ती कीमतें हैं, जिससे सभी चीजें प्रभावित हो रही हैं। रसाई गैस, सब्जियां-फल और सरसों का तेल लोग दवा की तरह खरीद रहे हैं। सरकार को प्राथमिकता आधार से रोक लगनी चाहिए। लेकिर सरकार राहत न देकर आमजन की मुश्किलें बढ़ाए जा रही है।

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-अंकित, गांव सिलिकलां, यमुनानगर।

जहां एक ओर आमजन कोरोना महामारी और लॉकडाउन की बंदिशों के चलते आर्थिक तंगी से जूझ रहा है, वहीं दूसरी ओर पेट्रोल-डीजल के दामों में हो रही लगातार बढ़ोत्तरी से हमारी मुश्किलें बढ़ गई हैं। लगातार बढ़ते दामों के चलते वाहन चलाना मुश्किल हो रहा है, वहीं सार्वजनिक परिवहन पर भी महंगाई का बोझ बढ़ रहा है। ईंधन तेलों में महंगाई की मार ने गरीब आदमी की कमर तोड़ दी है।

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-अनिल शर्मा, जींद।

सब्जी, दालों, रसोई गैस और पेट्रोल-डीजल के बढ़ते दामों ने जीना हराम कर दिया है। अगर ऐसे ही चलता रहा तो गुजारा करना मुश्किल हो जाएगा। कोरोना काल ने जहां बेरोजगारी को बढ़ाया है। वहीं अब ऐसी बुरी स्थिति में बच्चों की पढ़ाई सहित खर्चें कैसे चलेंगे। इस ओर सरकार को ध्यान जरूर देना चाहिए और आम आदमी को राहत देने चाहिए।

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-आशू त्यागी, रूड़की (उत्तराखंड)।

सुरसा के मुंह की तरह बढ़ती महंगाई आम आदमी को मार डालेगी। जनता की परेशानी को समझते हुए सरकार को थोड़े राहत भरे कदम उठाने चाहिए, ताकि कोरोना जैसे मुश्किल हालात में फंसी जनता चैन की सांस ले सके।

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-दुर्गेश पंवार, मेरठ कैंट (यूपी)।

चुनाव के समय महंगाई कम करने वाली सरकार झूठी निकली। एक मध्यवर्गी परिवार आज महंगाई से इतना परेशान है कि उसका मानसिक संतुलन तक खो चुका है। एक तो कोरोना का डर ऊपर से मंहगाई का खौफ इतना बढ़ चुका है कि दो वक्त की रोटी खाना भी दुभर हो चुका है।

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कैलाश सिंगला, नरवाना।

टमाटर व प्याज ऐसी सब्जी है, जिसके बिना न तो सब्जी का तड़का लग सकता है और न ही इनके बिना कोई सलाद बनाई जा सकती है। लेकिन आज इन दोनों के भाव आसमान को छू रहे है। जिसके चलते आम आदमी की थाली से यह गायब होते जा रहा है और सब्जियों का स्वाद भी काम हो रहा है। सरकार को सब्जियों के बढ़ते दामों पर अंकुश लगाना चाहिए। ताकि आम आदमी भी इन्हें खरीद सकें।

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– सुमन प्रीत सागर सरसा।

कोरोना महामारी का असर काम धंधों पर पड़ा है। इनकम को देखकर ही घर में साग सब्जी बनानी पड़ती है। आय बढ़ने की बजाए कम हुई हैं, लेकिन महंगाई लगातार बढ़ रही है। इससे रसोई का बजट भी बढ़ गया है। इसे मैनेज करना मुश्किल हो गया है। समझ से परे है कि क्या खाये और क्या न खाये।

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-मोनिका प्रीत नगर सरसा।

भटिंडा की सब्जी मंडी का दौरा करने पर कुछ लोगों के साथ बातचीत की तो अजीत रोड़ की गृहिणी हेम लता ने कहा कि हम जब भी सब्जी मंडी में सब्जी लेने आते हैं तो रोज रेट बढ़े हुए मिलते हैं। रोजाना के बढ़ रहे रेटों ने रसोई का बजट बिगाड़ दिया है। कोटभाई से भटिंडा आई मायावती ने कहा कि गांवों में 10 रुपए बिकने वाला कददू यहां 30 रुपए किलो बिक रहा है। मंजू निवासी गुरूनानक पुरा ने कहा कि कोरोना ने हर वर्ग का जीना दुर्भर कर रखा है। दिन-ब-दिन बढ़ रहे सब्जियों के रेटों ने गरीब लोगों का कचूमर निकालकर रख दिया है। सब्जी मंडी के साथ लगते क्षेत्र में रहने वाली रानी कौर ने कहा कि आने वाले दिनों में सब्जी के भाव ओर बढ़ने का डर सता रहा है, क्योंकि सब्जियों पर मौसम और कोरोना की दोहरी मार पड़ रही है। सब्जी खरीदने आए एक व्यक्ति रजिन्द्र कुमार ने कहा कि एक तो काम धंधा बिल्कुल ठप्प हुआ पड़ा है ऊपर से महंगाई भी तेजी से बढ़ रही है।

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बढ़ रहे रेटों का कारण कोरोना और मौसम के साथ-साथ देश के अधिकतर हिस्सों में लॉकडाउन का खुल जाना है। साथ ही होटलों, रेस्टोरेंट, विवाह-शादियों और अन्य कार्यक्रमों में सब्जियों की लागत बढ़ गई जिस कारण माल कम आ रहा है। दुकानदार का कहना है कि हम सब्जी गांवों में उगाते हैं। इसी कारण हमारा रेट थोड़ा कम होता है, जबकि शहर की मंडी में सब्जी का रेट ज्यादा है जिसका कारण सब्जी दूर क्षेत्रों से आती है। रोजाना बढ़ रहे डीजल के भाव ने भी सब्जियों के रेट में वृद्धि की है।
धमेन्द्र सिंह, दुकानदार

खाद्य तेल और पेट्रोल ने भड़काई महंगाई की आग

देश में महंगाई का ट्रेंड बढ़ता दिख रहा है। खुदरा महंगाई दर और थोक महंगाई दर दोनों में तेजी है। मई में खुदरा महंगाई दर 6.3 फीसदी को पार कर गई और वहीं थोक मूल्य सूचकांक पर आधारित थोक महंगाई दर 12.94 फीसदी पर पहुंच गई। स्विस ब्रोकरेज हाउस यूबीएस सिक्योरिटीज ने कहा है कि देश में महंगाई में रफ्तार बनी रहेगी और इसकी सालाना औसत दर 5 फीसदी रहेगी।

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खाद्य तेल और प्रोटीन आइटमों की वजह से बढ़ी महंगाई

रिपोर्ट में कहा गया है कि खाद्य तेल और प्रोटीन वाले आइटमों ने मई में खुदरा महंगाई दर को बढ़ा कर 6.3 फीसदी कर दिया है। यह पिछले छह महीने का टॉप लेवल है। यह आरबीआई दायरे से बाहर है। इसलिए आने वाले दिनों में ब्याज दरों में भी कटौती की उम्मीद नहीं है। यूबीएस सिक्योरिटीज की रिपोर्ट में कहा गया है कि पेट्रोल की कीमतों ने 100 रुपये का लेवल पार कर लिया है। इससे थोक महंगाई दर रिकार्ड 12.94 फीसदी को पार कर गई। क्रूड आॅयल 70 डॉलर प्रति बैरल के पार कर गया है। वहीं कमोडिटी की कीमतों में बढ़ोतरी की वजह से मैन्यूफैक्चर्ड गुड्स के भी दाम बढ़ा दिए हैं।

कोविड-19 महामारी की वजह से देशभर में गतिविधियों पर अंकुश लगते हैं तो मुद्रास्फीति के ऊपर की ओर जाने का जोखिम है। ऐसे परिदृश्य में खाद्य वस्तुओं के कीमतों को आपूर्ति पक्ष की दिक्कतों से बचाने की जरूरत है। इसके लिए लगातार निगरानी और तैयारियों की जरूरत होगी। केन्द्र के साथ राज्यों को इस बारे में समयबद्ध उपाय करने होंगे।
-शक्तिकांत दास, गर्वनर भारतीय रिजर्व बैंक

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