बागवानी में सबसे आगे ‘ख्यौवाली’

Horticulture-Farming

 पौने 400 एकड़ में लहला रहे बाग

 योजनाओं का लाभ उठा किसान कमा रहे अच्छा मुनाफा

  •  ओढां खंड में 700 हेक्टेयर में है बागवानी

सच कहूँ/राजू ओढां। किसान अगर बागवानी अपनाएं तो परंपरागत खेती से अधिक मुनाफा कमाकर उन्नत हो सकते हैंं। अगर आकड़ों पर गौर की जाए तो पिछले कुछ वर्षांे से लोगों का बागवानी की तरफ रूझान बढ़ा है। अनेक किसान तो ऐसे हैं जो योजनाओं का लाभ उठाकर हर वर्ष 50 लाख तक कमा रहे हैं। ओढां खंड में बागवानी में गांव ख्योवाली, पन्नीवाला मोटा व घुंकावाली अग्रणी गांवों में गिने जाते हैं।

ख्योवाली में करीब पौने 400 एकड़, पन्नीवाला मोटा में करीब सवा 300 एकड़ व घुंकावाली करीब सवा 200 एकड़ भूमि में बाग लहला रहे हैं। यहां तक कि ख्योवाली में तो इंडो इजरायल तकनीक पर बागवानी की जा रही है, तो वहीं गांव सिंघपुरा में बारानी क्षेत्र में भी बाग लहला रहे हैंं। इस बारे बागवानी विभाग के फिल्डमैन अमीलाल भाटिया ने ‘सच-कहूँ’ संवाददाता राजू ओढां से बातचीत में बागवानी व इसके संबंधित अनेक विभागीय योजनाओं बारे जानकारी दी। फिल्डमैन अमीलाल भाटिया ने बताया कि पानी की कमी के चलते परंपरागत खेती घाटे का सबब बन रही है। ऐसे में किसान अगर बागवानी की तरफ कदम बढ़ाएं तो आर्थिक रूप से उन्नत हो सकते हैं।

अढ़ाई से 25 एकड़ तक बागवानी पर 100 प्रतिशत अनुदान

वर्ष 2005 में शुरू हुई राष्ट्रीय बागवानी मिशन योजना ने किसानों का बागवानी की तरफ काफी रूझान बढ़ाया। जब ये योजना शुरू हुई तो ओढां खंड में पहले वर्ष किसानों ने 50 एकड़ में ही बागवानी की। जिसके बाद दूसरे वर्ष 200 एकड़ व तीसरे वर्ष 500 एकड़ में बागवानी की गई। मौजूदा समय में खंड के 37 गांवों में साढ़े 600 हेक्टेयर में किन्नू के व 50 हेक्टेयर में अमरूद के बाग हैं। एनएचएम योजना बागवानी के लिए महत्वाकांक्षी योजना थी। जिसमें सरकार ने किसानों को 100 प्रतिशत अनुदान दिया। जिसमें अढ़ाई से 25 एकड़ तक बागवानी करने वाले किसानों को 100 प्रतिशत अनुदान का प्रावधान दिया गया। इस योजना में अढ़ाई एकड़ पर 3 लाख 34 हजार, साढ़े 7 एकड़ पर 4 लाख 85 हजार, 10 एकड़ पर 5 लाख 80 हजार, साढ़े 12 पर 6 लाख 20 हजार, 15 एकड़ पर साढ़े 7 लाख, 20 एकड़ पर 9 लाख 30 हजार व 25 एकड़ पर 11 लाख की राशि जारी की गई। इस योजना में 4 किसानों का समूह बनाकर लाभ दिया जाता था।

अब समूह की वजाए एकल किसान ले सकता है लाभ

मांग के मद्धेनजर विभाग ने इस योजना में सुधार किया है। अब इस योजना के तहत समूह की वजाए एकल किसान भी लाभ ले सकता है। किसान को 70 प्रतिशत अनुदान पर वॉटर टैंक देने का प्रावधान कर दिया गया है। वॉटर टैंक के लिए 5 एकड़ पर 2 लाख 31 हजार की राशि जारी की जाती है। राशि पर 70 प्रतिशत अनुदान भी दिया जाता है। इस योजना में टपका सिंचाई पर 85 प्रतिशत, किन्नू के अढ़ाई एकड़ बाग पर 12 हजार रूपये व अमरूद के अढ़ाई एकड़ बाग पर 11 हजार 500 रूपये का अनुदान दिया जा रहा है। किसान अगर अढ़ाई एकड़ मेंं बाग लगाता है तो 2 लाख 24 हजार रूपये की राशि का प्रावधान है। इस पर 70 प्रतिशत अनुदान है। इसके अलावा पौधों पर 12 हजार रूपये प्रति हेक्टेयर अनुदान दिया जाता है। योजना का लाभ उठाने के लिए एकल किसान के पास 5 से 25 एकड़ तक भूमि होना अनिवार्य है।

परंपरागत खेती में आमदन न के बराबर होने के चलते मैंने बागवानी शुरू की। इस कार्य में मेरे विभाग की योजना भरपूर लाभदायक सिद्ध हुई। मैं पिछले 13 वर्षांे से बागवानी कर रही हूं। मैंने 20 एकड़ में किन्नू का बाग लगाया हुआ है। बागवानी से मुझे प्रतिवर्ष अच्छी आमदन हो रही है। मैं और 8 एकड़ में बाग व मेडिसन प्लांट लगाने की सोच रही हूं। मैं किसानों से यही आह्वान करती हूूँ कि परंपरागत खेती के साथ-साथ बागवानी की तरफ भी क दम बढ़ाएं।
-सुनीता गोदारा (ख्योवाली)।

परंपरागत खेती में आमदन कम होने की वजह से आर्थिक दशा कमजोर थी। जब से मैंने बागवानी शुरू की है तब से हर वर्ष अच्छा मुनाफा कमा रहा हूं। सरकार ने बागवानी को बढ़ावा देने के लिए अच्छी योजनाएं चलाई हुई हैं। पहले मैंने कम भूमि में बागवानी की थी। अब मेरी 44 एकड़ में बागवानी है। किसान परंपरागत खेती बेशक करें, लेकिन मेरा ये मानना है कि बागवानी भी अवश्य अपनाएं।
-इन्द्रपाल सहारण (पन्नीवाला मोटा)।

मैंने अपनी बारानी जगह में जब बागवानी करने का मन बनाया था तो मेरे लिए वॉटर टैंक व ड्रिप सिस्टम लगाने में आर्थिक स्थिति आड़े आ रही थी। जिसके बाद मैंने विभागीय योजनाओं का लाभ उठाकर ड्रिप सिस्टम से धरती से 9 फुट ऊं ची बारानी 7 एकड़ जगह पर बागवानी की। इस समय बागवानी बेहद अच्छी है। बागवानी से मैं प्रतिवर्ष अच्छी आमदन कमा रहा हूं।
-मा. जगदीश सिंह (सिंघपुरा)

परंपरागत खेती में कोई लाभ नहीं हो रहा था। फिर मैंने विभागीय योजना का लाभ उठाकर 10 एकड़ में बाग लगाया हुआ है। जिसके बाद हमनें 17 एकड़ भूमि में बागवानी और की है। योजना पर अच्छा अनुदान मिलने की वजह से कोई परेशानी नहीं आई। मेरे पास करीब 60 एकड़ भूमि है। 10 एकड़ बागवानी में जितनी आमदन है उतनी 50 एकड़ भूमि में नहीं है। मैं तो ये कहता हूं कि किसान बागवानी जरूर अपनाएं।
-इन्द्रपाल कस्वां (पन्नीवाला मोटा)।

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