कुंवर विजय प्रताप ने बदनीयती से की जांच, मर्जी से बनाए ब्यान: उच्च न्यायलय

Kunwar Vijay Pratap's malicious investigation, made a statement of free will High Court

पंजाब व हरियाणा हाईकोर्ट ने पूर्व आईजी और एसआईटी के मैंबर द्वारा तैयार रिपोर्ट पर की सख्त टिप्पणियां

सच कहूँ/अश्वनी चावला चंडीगढ़। कोटकपूरा व बहबल कलां गोलीकांड के मामले पर पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने एसआई के मैंबर व पूर्व आईजी कुंवर विजय प्रताप की कार्यशैली को लेकर तल्ख टिप्पणियां की हैं। जांच बदनीयती से की गई और जिसे माननीय उच्च न्यायलय ने गलत करार दिया है। अदालत ने अपना आदेश सार्वजनिक किया है।

आदेश में पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने कहा कि कोटकपूरा गोलीकांड मामले की जांच दौरान जिन गवाहों द्वारा ब्यान दिए गए थे, वह सभी ब्यान कुंवर विजय प्रताप ने अपने अनुसार दिलवाए हैं। पूरी रिपोर्ट ही कुंवर विजय प्रताप ने अपने अनुसार तैयार की है। साथ ही हाईकोर्ट ने चार्जशीट को खारिज कर दिया। कई दिनों के इंतजार के बाद शुक्रवार को 89 पन्नों वाली आदेश की कॉपी पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने जारी की।

हाईकोर्ट ने टिप्पणी की है कि यदि कुंवर विजय प्रताप वाली एसआईटी सबकुछ ठीक काम कर रही थी, तब उनके साथी जांच आधिकारियों द्वारा रिपोर्ट पर अपने हस्ताक्षर क्यों नहीं किए? केवल उनके ही हस्ताक्षर क्यों थे? साथ ही हाईकोर्ट ने देर रात पंजाब के मुख्यमंत्री की पुलिस अधिकारियों से बातचीत को भी गलत करार नहीं दिया, जबकि कुंवर विजय प्रताप सिंह ने इसे गलत करार देते हुए अपनी जांच में इसको लेकर भी सवाल उठाए थे। कुंवर विजय प्रताप द्वारा की गई जांच के हर पहलू पर पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने सवाल उठाते हुए उसे बदनीयती पूर्ण और गलत करार दिया है। जिस कारण उनकी रिपोर्ट के साथ ही चार्जशीट को खारिज कर दिया है।

हाईकोर्ट ने इस मामले में नई एसआईटी बनाने के आदेश जारी किए हैं। इस जांच टीम में कुंवर विजय प्रताप से वरिष्ठ अधिकारी शामिल करने के लिए कहा है और कुंवर विजय प्रताप को शामिल न करने के लिए कहा है। नई जांच टीम को पूरी जांच कर छह महीने में पूरा करने के आदेश दिए हैं। नई जांच कमेटी पंजाब सरकार बनाएगी लेकिन जांच टीम बनने के बाद वह जांच टीम पंजाब पुलिस या फिर पंजाब सरकार को रिपोर्ट नहीं करेगी। यह जांच टीम सीधे अदालत को रिपोर्ट करेगी। साथ ही जांच टीम को आदेश है कि उनके द्वारा जांच रिपोर्ट को किसी भी तरीके से लीक न किया जाए और मीडिया से रिपोर्ट संबंधी बिल्कुल भी बात न की जाए।

कुंवर विजय प्रताप ने जांच के दौरान व जांच रिपोर्ट में निम्न गलतियां की जिन्हें कोर्ट ने बदनीयती से की गई माना और आईपीएस कुंवर विजय प्रताप को ‘राजनीतिक घोड़ा’ कहकर पुकारा।

1. कुंवर विजय प्रताप ने कहा कि उनकी जांच को हाईकोर्ट के दो जजो ने सराहा है पर ऑन रिकॉर्ड ऐसा कुछ भी नहीं है।
2. बेअदबी के मामलों की पैरवी कर रहे वकीलों के उच्च न्यायलय में जज बन जाने का जिक्र किया जिसे उच्च न्यायलय ने अप्रासंगिक बताया और नाटकीय कहा।
3. कुंवर विजय प्रताप ने फरीदकोट जिला व सेशन जज को पत्र लिखकर ज्यूडीशियल मजिस्ट्रेट को पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री व उप-मुख्यमंत्री का नजदीकी बताकर गोलीकांड व बेअदबी से जुड़ा कोई केस उनकी अदालत को न सौंपने की गुजारिश की।
4. बरगाड़ी बेअदबी व कोटकपूरा गोलीकांड के तथ्य राजनीति व जनभावना से प्रेरित एवं कल्पनाओं पर आधारित लिखे गए जबकि सबूतों पर कोई गौर नहीं किया गया।
5. जांच रिपोर्ट की मीडिया को जानकारी दी गई ताकि कुछ राजनेताओं के विरुद्ध द्वेष पैदा किया जा सके।
6. सबसे महत्वपूर्ण कुंवर विजय प्रताप ने जांच में अक्षय कुमार की फिल्म ‘सिंह इज बलिंग’ व डेरा सच्चा सौदा के पूज्य हजूर पिता संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां का जिक्र किया गया, जोकि षड्यंत्रपूर्वक व बेतुका है क्योंकि कुंवर विजय प्रताप एक मकसद बनाकर कुछ राजनेताओं को इस केस में फंसाना चाहता था।
7. कुंवर विजय प्रताप ने अपनी जांच रिपोर्ट में पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल व सुखबीर सिंह बादल पर आरोप लगाए लेकिन उन्हें चार्जशीट में नामजद नहीं किया गया, शायद इनके खिलाफ कुंवर विजय प्रताप के पास कोई सबूत नहीं होंगे।
8. पंजाब के तत्कालीन डीजीपी सुमेध सैनी व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल की टेलीफोन पर बातचीत को साजिश बताया, जबकि सरकार व प्रशासन के बीच बातचीत होना किसी घटना की साजिश कैसे हो सकती है, स्पष्ट नहीं किया।
9. कुंवर विजय प्रताप ने अपनी सुविधा के गवाहों के अनुरूप रिपोर्ट को तैयार किया जिस पर साथी अधिकारियों के हस्ताक्षर भी नहीं करवाए गए और पीड़ित पुलिस कर्मियों का पक्ष नहीं लिया गया।
10. पुलिस इंस्पेक्टर गुरदीप सिंह को धमकाया गया कि वह कुंवर विजय प्रताप द्वारा की जा रही जांच का विरोध नहीं करे, उक्त इंस्पेक्टर द्वारा ही इस जांच के विरुद्ध माननीय उच्च न्यायालय में जांच रिपोर्ट को खारिज करने की याचिका दी गई थी।

उक्त गंभीर खामियों के कारण माननीय उच्च न्यायलय ने रिपोर्ट को खारिज करते हुए नई टीम गठित करने के आदेश दिए हैं।

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