लम्पी स्किन : संगरूर और मालेरकोटला में कहर घटा, पशुओं की मौतें लगातार जारी

Lumpy Skin
  • 1175 पशु हो चुके हैं बीमारी का शिकार, बेसहारा पशुओं का इलाज भी बना अड़चन

  • पशुपालन विभाग में पदों में कमी के कारण हो रही इलाज में दिक्कत

संगरूर। (सच कहूँ/गुरप्रीत सिंह) जिला संगरूर और मालेरकोटला में दुधारू पशुओं खासकर गायों में फैल रही चमड़ी की बीमारी ‘लम्पी स्किन’ का कहर बेशक कुछ कम हो गया है लेकिन अभी भी पशुओं की मौतें रूकने का नाम नहीं ले रही हैं। सरकार के पशु पालन विभाग द्वारा बेशक अपने तौर पर पुरजोर कोशिशें की जा रही हैं लेकिन स्टाफ की बड़ी कमी इस बीमारी को रोकने में अड़चन साबित हो रही है, जिस कारण विभाग की टीमों द्वारा एक दिन में कई-कई गांवों में जाकर बीमार पशुओं का ईलाज किया जा रहा है और इसलिए उनको अपनी ड्यूटी से भी ज्यादा समय देना पड़ रहा है। पशुपालन विभाग से मिली जानकारी के अनुसार बुधवार को लम्पी स्किन बीमारी के 177 नए केस आए हैं। विभाग अनुसार इस बीमारी से पीड़ित पशुओं की मौतें पिछले सप्ताह के मुकाबले काफी कम हो गई हैं, पिछले सप्ताह औसतन हर रोज 135 पशुओं की मौत हो रही थी, अब सिर्फ यह आंकड़ा 70 से 89 पशुओं की मौत तक रह गया है लेकिन यह भी चिंता वाली बात है कि अभी भी इतने बड़े स्तर पर पशुओं की मौतें हो रही हैं।

विभाग से मिली जानकारी मुताबक यह बीमारी ज्यादा गायों तक ही सीमित है, कुछ केसों में भैसों में इसके असर दिखने शुरु हो गए थे लेकिन ज्यादा गाय ही इस वायरस का शिकार हो रही हैं। जिला संगरूर और मालेरकोटला में विभाग अनुसार अब तक 1175 मौतें हो चुकी हैं। पिछले सप्ताह से मृत्यु दर में काफी कमी दर्ज की जा रही है लेकिन बीमार पशुओं के 40 फीसदी पशु मौत का शिकार हो रहे हैं। विभाग अनुसार अब यह वायरस उम्र दराज पशुओं पर अपना कहर बरपा रहा है या फिर जो पशु कमजोर है, जिनकी ‘इम्यूनिटी’ कम है, बाकी तन्दरूस्त पशु अपने आप ही इस बीमारी से उभर रहे हैं। विभाग द्वारा यह मुहिम चलाई जा रही है कि जो तन्दरुस्त पशु हैंं, उनका जल्द से जल्द वैक्सीनेशन किया जाएगा, विभाग अनुसार जल्द ही संगरूर और मालेरकोटला की 54 गौशालाओं में सभी तन्दरुस्त गायों के वैक्सीन लगवा दी जाएगी।

बेसहारा पशुओं का ईलाज बन रहा दिक्कत

संगरूर और मालेरकोटला में पशुपालन विभाग को यह बड़ी दिक्कत पेश आ रही है कि जो बेसहारा गाय गांवों और शहरों में या फिर कस्बों में घूम रही हैं, उनके बारे में विभाग को समय पर जानकारी नहीं मिल रही, जिस कारण उनकी हालत ज्यादा खराब हो रही है। बेसहारा पशुओं की बड़ी समस्या होने के कारण बीमार पशुओं को चारा, दवाईयां आदि नहीं मिल रही, जिस कारण उनकी मौत हो रही है। पशु पालन विभाग द्वारा ऐसी स्थिति को कन्ट्रोल करने के लिए एक कन्ट्रोल रूम भी बनाया गया है, इसके अलावा विभाग द्वारा समाज सेवी संस्थाओं से भी अपील की जा रही है कि वह कहीं भी बीमार पशु देखते हैं तो उनके ईलाज के लिए जल्द विभाग से संपर्क करें, ताकि उनकी जिंदगी को बचाया जा सके।

पशु वैक्सीनेशन मुहिम युद्ध स्तर पर जारी : डॉ. सुखविन्दर सिंह

पशुपालन विभाग के डिपटी डॉयरैक्टर डॉ. सुखविन्दर सिंह ने बताया कि फिलहाल लम्पी स्किन बीमारी कंट्रोल में है। उन्होंने कहा कि भले ही पीड़ित पशुओं की मौतें बदस्तूर जारी हैं लेकिन विभाग द्वारा कोशिशें की जा रही हैं कि बीमार पशु जल्दी से जल्दी तन्दरूस्त हों। उन्होंने कहा कि सरकार की तरफ से वैक्सीन की कोई कमी नहीं है, पिछले सप्ताह थोड़ी दिक्कत जरूर आई थी लेकिन यह दूर कर ली गई। उन्होंने कहा कि विभाग द्वारा अब पशुओं के वैक्सीनेशन करने की मुहिम युद्ध स्तर पर शुरू की जा रही है। उन्होंने कहा कि हमारा लक्ष्य अगले तीन दिनों में जिला संगरूर और मालेरकोटला की सभी गौशालाओं में तन्दरुस्त पशुओं के वैक्सीन लगाने का है, ताकि उनका बचाव हो सके।

कम स्टाफ भी इलाज में बन रहा अड़चन

पशुपालन विभाग में पदों का टोटा भी बीमार पशुओं के इलाज में अड़चनें पैदा कर रहा है। पशुपालन विभाग के जिला संगरूर और मालेरकोटला में 101 अस्पताल और 146 डिस्पैंसरियां हैं, अस्पतालों में वैटरनरी डॉक्टरों के 66 और डिस्पैंसरियां के सिर्फ 99 पद ही भरे हुए हैं जब कि बाकी पद खाली हैं। इस कारण भी विभाग को इस बीमारी से लड़ने में दिक्कत आ रही है।

अन्य अपडेट हासिल करने के लिए हमें Facebook और TwitterInstagramLinkedIn , YouTube  पर फॉलो करें।