Bathinda Firing Case: बठिंडा में सेना के 4 जवानों की हत्या मामले में बड़ा खुलासा, निजी रंजिश के चलते सिपाही ने की फायरिंग

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शारीरिक उत्पीड़न करते थे साथी: देसाई मोहन

बठिंडा। गत 12 अप्रैल को बठिंडा मिलिट्री स्टेशन में 4 जवानों की हत्या (Bathinda Firing Case) साथी गनर ने ही की थी। पुलिस ने आरोपी गनर देसाई मोहन को गिरफ्तार कर लिया। देसाई ने जानकारी देते हुए बताया कि उसकी साथियों से रंजिश थी। उनकी हत्या के लिए देसाई मोहन ने राइफल चुराई और फायरिंग कर दी। साथियों की हत्या के बाद देसाई मोहन ने अफसरों को गुमराह किया और इस केस में मुख्य गवाह बन गया।

मुझे जलील करते थे साथी | Bathinda Firing Case

पुलिस सूत्रों के मुताबिक, गनर देसाई मोहन ने इंटेरोगेशन में बताया कि चारों जवान उसे जलील करते थे। शारीरिक उत्पीड़न करते थे। इसके चलते वह निराश हो गया था। इसी के चलते उसने उनकी हत्या की। पुलिस ने अभी वजह को लेकर आधिकारिक बयान नहीं दिया है।

अज्ञात लोगों ने की फायरिंग : देसाई

देसाई मोहन ने फायरिंग के बारे में 80 मीडियम रेजिमेंट के मेजर आशुतोष शुक्ला को सबसे पहले जानकारी दी थी। उसने कहा था, ‘सुबह 4.30 बजे मेस की बैरक में फायरिंग हुई है। वहां 2 अज्ञात व्यक्ति आए। जिन्होंने सफेद रंग के कुर्ते-पायजामे पहने हुए थे। उनके मुंह-सिर कपड़े से ढ़के हुए थे। यह दोनों फायरिंग के बाद अफसर मेस में गनर के सोने वाली जगह से बाहर आ रहे थे। इनमें से एक के हाथ में इंसास राइफल और दूसरे के हाथ में कुल्हाड़ी थी। वह मुझे देख जंगल की तरफ भाग निकले।’

देसाई का झूठ पकड़ने की 5 वजह | Bathinda Firing Case

1. कुल्हाड़ी से चोट के निशान नहीं थे
पुलिस सूत्रों के मुताबिक गनर देसाई ने कहा कि हत्यारों में एक के हाथ में राइफल व दूसरे के हाथ में कुल्हाड़ी थी। हालांकि मरने वाले चारों जवानों के शरीर पर कुल्हाड़ी से चोट का कोई निशान नहीं था। सिर्फ राइफल से गोलियां मारी गई थी, जिसकी वजह से पुलिस को उस पर शक हुआ।

2. सीसीटीवी में कोई संदिग्ध नहीं
गनर देसाई ने दावा किया कि 2 हत्यारे सादे कपड़ों में आए थे। हालांकि आर्मी कैंट के भीतर बाहर से ऐसे कोई संदिग्ध नहीं आए। आर्मी को अंदर लगे सीसीटीवी कैमरों में भी ऐसे कोई आदमी कहीं भी नजर नहीं आए।

3. सर्च आॅपरेशन में देसाई का दावा झूठा
देसाई ने संदिग्धों के जंगल की तरफ भागने का दावा किया। हालांकि आर्मी ने सीसीटीवी कैमरे खंगाले। पूरा सर्च आॅपरेशन चलाया, मगर, इसमें ऐसे कोई संदिग्ध नहीं मिले। जिससे उसके दावे को सही ठहराया जा सके।

4. बॉडी पर केवल राइफल की गोलियों के निशान
फायरिंग की खबर मिलने पर मेजर आशुतोष शुक्ला ने तुरंत कैप्टन शांतनु को वहां भेजा। पहले कमरे में गनर सागर बन्ने व योगेश कुमार और दूसरे कमरे में संतोष व कमलेश की लाशें पड़ी हुई थी। इनके शरीर पर गोलियों के निशान थे। इनकी लाशों के पास भारी संख्या में इंसास राइफल के खोल बिखरे पड़े थे। यूनिट के लांसनायक हरीश के नाम पर अलॉट हुई एक इंसास राइफल 9 अप्रैल को गुम हो गई थी। इसी इंसास राइफल से जवानों पर गोलियां चलाई गईं।

पूछताछ के दौरान किया आरोपी को अरेस्ट | Bathinda Firing Case

5. आरोपी को शक न हो, इसलिए 12 को नोटिस भेजा
इस मामले में सिर्फ देसाई नहीं, 12 जवानों को नोटिस जारी कर पूछताछ के लिए बुलाया। देसाई मोहन के साथ कत्ल वाली बिल्डिंग के नीचे रहने वाले गनर नागा सुरेश भी शामिल था। इससे देसाई मोहन को लगा कि उसे मुख्य गवाह होने की वजह से बुलाया गया है। जब सभी जवान पूछताछ में शामिल होने आए तो देसाई मोहन को अरेस्ट कर लिया गया। जिसके बाद देर रात तक उससे पूछताछ चली। पूछताछ में देसाई ने पुलिस को बताया कि अफसर मेस के सामने जवानों के रहने के लिए बैरक बनी हुई है। अफसर मेस में काम करने वाले जवान और गार्ड यहीं रहते हैं। निचले कमरे में गनर नागा सुरेश रहता है।

बिना हथियार नाइट वॉचमैन की ड्यूटी करते थे मृतक

ऊपर के 2 कमरों में से एक में गनर सागर बन्ने व गनर योगेश कुमार और दूसरे कमरे में गनर संतोष व गनर कमलेश रहते थे। जो आर्मी यूनिट के ड्यूटी रोस्टर के मुताबिक 2-2 घंटे बिना हथियार के नाइट वॉचमैन की भी ड्यूटी करते थे।
12 अप्रैल की रात सभी जवान ड्यूटी खत्म कर कमरे में चले गए। पहली मंजिल पर एक कमरे में योगेश कुमार और सागर बन्ने था, जबकि दूसरे कमरे में संतोष व कमलेश कुमार था। नीचे के कमरे में नागा सुरेश सो रहा था। अगली सुबह फायरिंग में सागर बन्ने, कमलेश आर, योगेश कुमार जे, संतोष कुमार नागराल मारे गए थे।

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