लोगों का नशा छुड़ाना सच्चे सौदे का ऐम : पूज्य गुरु जी

  • सैकड़ों जरूरतमंदों को बांटे गर्म वस्त्र और फूड किट
  • सड़क हादसों से बचाव के लिए बेसहारा पशुओं के गले में रिफ्लेक्टर पहनाने के अभियान का आगाज

बठिंडा/अंबाला/कोटा। सच्चे दाता रहबर, मुर्शिद-ए-कामिल पूजनीय परमपिता शाह सतनाम जी महाराज के 104वें पावन अवतार माह की खुशी में रविवार को सलाबतपुरा, अंबाला और कोटा में कड़ाके की ठंड के बीच पावन भंडारे की बेमिसाल श्रद्धा का नजारा देखने को मिला। इस अवसर पर शाह सतनाम जी रूहानी धाम, डेरा राजगढ़, सलाबतपुरा (बठिंडा), सेक्टर-8 स्थित अनाज मंडी (अंबाला) और शाह सतनाम जी दयापुर धाम, पॉलीटैक्निक कॉलेज, ग्राउंड हवाई पट्टी के सामने कोटा में आयोजित पावन भंडारे की विशाल नामचर्चाओं में लाखों की संख्या में साध-संगत ने शिरकत की। विशाल नामचर्चा पंडालों में जहां तक नजर दौड़ रही थी साध-संगत का जनसमूह ही नजर आया। इस शुभ अवसर पर पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां द्वारा चलाई जा रही ‘डेप्थ मुहिम’ के तहत साध-संगत के साथ ग्रामीणों और शहरवासियों ने दोनों हाथ उठाकर लोगों को नशे के खिलाफ जागरूक करने और नशा नहीं करने के लिए प्रेरित करने का संकल्प लिया।

साथ ही बेसहारा पशुओं के गले में रिफ्लेक्टर पहनाने के अभियान की भी शुरूआत की गई। ताकि धुंध के मौसम में दुर्घटनाओं से अमूल्य जीवन को बचाया जा सके। इस अवसर पर पूज्य गुरु जी के पावन सन्निध्य में चलाए जा रहे 147 मानवता भलाई कार्यों के तहत सैकड़ों जरूरतमंदों को फूड किट, कंबल, जर्सियां दी गर्इं, जिससे उनके चेहरों पर मुस्कान खिल उठी। नामचर्चाओं में पूरे पंडाल को भव्य तरीके से सजाया गया। पंडाल में बनाई गई फूलों की सुंदर रंगोली सभी के आकर्षण का केन्द्र रही। नामचर्चाओं के दौरान पूज्य गुरु जी द्वारा भेजी गई 13वीं रूहानी चिट्ठी भी साध-संगत को पढ़कर सुनाई गई।

ठिठुरा देने वाली भीषण सर्दी के बावजूद नामचर्चा की शुरूआत से पहले ही अनाज मंडी में बनाया गया विशाल पंडाल साध-संगत से खचाखच भर गया। दोपहर 12 बजे पवित्र नारे ‘धन-धन सतगुरु तेरा ही आसरा’ और विनती के साथ पावन भंडारे की नामचर्चा का आगाज हुआ। इसके पश्चात कविराजों ने विभिन्न भक्तिमय भजनों के माध्यम से सतगुरु जी की महिमा का गुणगान किया। इसके पश्चात बड़ी-बड़ी स्क्रीनों के माध्यम से साध-संगत ने पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां के रिकॉर्डिड पावन अनमोल वचनों को श्रवण किया।

रिकॉर्डिड वचनों में पूज्य गुरु जी ने सच्चा सौदा क्या और इसका मकसद क्या है? के बारे में बताते हुए फरमाया कि सच्चा ओम, हरि, अल्लाह, वाहेगुरु, राम है। वो सच था, सच है और सच रहेगा, वो ना बदला था, ना बदला है और ना कभी बदलेगा। जिसे ओउम, हरि, अल्लाह, वाहेगुरु, गॉड कहा जाता है। इसलिए सच्चा का अर्थ हो गया परमात्मा और सौदा यानी बिजनेस, व्यापार। पूज्य गुरु जी ने फरमाया कि कौन सा सौदा? सौदे से लगता है सौदेबाजी चलती है।

जी हां, यहां कौन-सी सौदेबाजी चलती है? के बारे में स्पष्ट करते हुए फरमाया कि सच्चा सौदा में आप अपने बुरे कर्म ले आओ, आप नशा रूपी जितनी बुराइयां करते हों, बुरी आदतें ले आओ, अरे अपने पाप गुनाह ले आओ और ओउम, हरि, अल्लाह, वाहेगुरु की कृपा से शाह सतनाम जी, शाह मस्ताना जी की कृपा से यहां दे जाओ और बदले में अनमोल राम का नाम, अल्लाह, वाहेगुरु, गॉड का नाम ले जाओ। घर में बैठकर उसका जितना आप जाप करते रहोगे, उसे जितना लगाते रहोगे दिलो-दिमाग रूह पर, उतना ही चेहरे पर नूर आएगा। घर में बरकतें आएंगी।

साथ में बिजनेस, व्यापार जो भी काम धंधा आप करते हो उनमें आपको और तरक्की हासिल होंगी। यानी ये सच्चा सौदा का सौदा है। पूज्य गुरु जी ने फरमाया कि किसी भी धर्म में नहीं लिखा कि शराब पीयो, तंबाकू खाओ, ड्रग, चिट्टा-काला नीला, पीला जो भी आ गया है। सब नशे बर्बादी का घर हैं। ये सच्ची बात सच्चे सौदा में सिखाई जाती है। सच्ची बातें हैं राम, अल्लाह, वाहेगुरु, गॉड की बातें और ये कड़वी उन्हीं को लगती है जो नशे के व्यापारी हैं, जो ढोंग-ढकोसला करता है, जो बुरे कर्म करता है, उसको लगता है कि मेरी सारी दुकानें बंद हो जाएंगी। सभी इस पर अमल करने लग गए, अगर सभी लोग अपने-अपने धर्मों को मानने लग गए तो फिर नशे की तो कोई जगह ही नहीं है।

पूज्य गुरु जी ने फरमाया कि सच्चे सौदे का ऐम है नशे को छुड़ाना। सच्चे सौदे का ये ऐम क्यों है, के बारे में बताते हुए फरमाया कि जो मालिक की औलाद है, वो सच्चे सौदे के संत-पीर फकीर की भी औलाद होती है। वैसे हर संत की औलाद होती है। क्योंकि वो भगवान को सब कुछ मानता है, उसकी जितनी भी औलाद है, सृष्टि में जितने भी आदमी, इन्सान, पशु, पक्षी यानी जितने भी लोग हैं, जितने भी जीव-जंतु हैं सारे भगवान की औलाद हैं।

इसलिए नैचुरली संत की औलाद हो गए। हमें बहुत दर्द होता है कि हमारी औलाद राम-नाम का नशा छोड़कर गंदगी खा रही है। जब हमारे बच्चे नशा छोड़कर जाते हैं तब हमें खुशी मिलती है। इसलिए सच्चा सौदा में सच्चा नशा राम-नाम का दिया जाता है और गंदे नशे को छुड़ाया जाता है। इस दौरान ट्रैफिक, पेयजल, लंगर-भोजन सहित सभी समितियों के सेवादारों ने अपनी ड्यूटियों को बखूबी निभाया। इस मौके पर अनेक गणमान्य नागरिक, पत्रकार, पंचायतों के पदाधिकारी, विभिन्न विभागों के अधिकारी भी मौजूद रहे। नामचर्चा की समाप्ति में भारी तादाद में आई हुई साध-संगत को सेवादारों ने कुछ ही मिनटों में लंगर-भोजन और प्रसाद बरता दिया। तत्पश्चात साध-संगत पूरे अनुशासन में सतगुरु की खुशियों को लेकर अपने घरों को लौट गई।

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