प्राथमिक सुविधाओं को तरस रहा ‘नाभा’

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कूड़े के ढेरों पर मुंह मारते बेसहारा पशु बने प्रशासन के लिए मुख्य चुनौती

सच कहूँ/तरूण कुमार शर्मा, नाभा/पटियाला। विकास की बातें करता रिजर्व हलका नाभा आज भी प्राथमिक सुविधाओं से वंचित नजर आ रहा है। पहली नजर शहर और गांवों में विकास कार्यों की झड़ी लगी नजर आ रही है और कई ऐसे विकास कार्य भी पूरे हो गए हैं, जिन संबंधी नाभावासी सिर्फ उम्मीदों के सहारे जी रहे थे परंतु फिर भी कई ऐसीं जरूरतें अधूरी रह गई हैं, जिनको छोड़ कर संपूर्ण विकास की नींव नहीं रखी जा सकती। ऐसी प्राथमिक जरूरतों में पहले नंबर पर हलके में किसी भी नयी औद्योगिक इकाई की स्थापना न होना कहा जा सकता है। आज भी रिजर्व हलका नाभा के युवा रोजगार की तलाश में दूसरे जिलों या आसपास के क्षेत्रों में जाने को मजबूर हैं।

विश्व प्रसिद्ध कंपनी हिंदुस्तान लीवर लिमटिड, स्वराज आटो लिमटिड सहित कई निजी कंपनियां भी मौजूद हैं, जिनमें युवाओं की नयी भर्ती करने की बजाय ठेकेदारी अधीन काम लिया जाता है। इंडेन द्वारा स्थापित किया गया बड़ा गैस प्लांट नाभा निवासियों के लिए सफेद हाथी बन कर रह गया है। शहर के सर्कुलर रोड ट्रैफिक सुविधाओं की कमी के कारण डेथ रोड बन कर रह गया। बेसहारा पशुओं की भरमार होने के कारण हादसों में प्रतिदिन विस्तार हो रहा है। बौड़ा गेट और रोहटी पुल में ट्रैफिक लाईटों को स्थापित कर प्रशासन इनको चलाना ही भूल गया है। स्वास्थय संबंधी सुविधाएं देने में सिविल अस्पताल टाईम पास करता ही नजर आता है, जहां मरीज का इलाज करने की बजाय रैफर करने को ज्यादा प्राथमिकता दी जाती है।

एलबीएम कॉलेज और रिपुदमन कॉलेज के अलावा शहर में कोई उच्च विद्यार्थी विभाग स्थापित नहीं किया गया, लिहाजा उच्च शिक्षा के लिए होनहार विद्यार्थियों को दूसरे शहरों की तरफ देखना पड़ता है। हलके में खेल टूर्नामैंट या अन्य कोई बड़े कार्यक्रम कराने को कोई सांझी जगह या मैदान नहीं है। साफ-सफाई की कमी के कारण जगह-जगह कूड़े के ढेर लगे नजर आते हैं। उपरोक्त विवरण से स्पष्ट है कि हलका नाभा के संपूर्ण विकास को अभी भी बड़े प्रयासों की जरूरत है, जिसके लिए राजनीतिक दिग्गज संभावित उम्मीदवारों की तरफ से बड़े -बड़े दावे कर राजनैतिक सरगर्मियों को शिखरों पर पहुंचाया गया है।

जिला बनने को तरसा रियासती हलका नाभा

1755 में बसा रियासती हलका नाभा आज अपने अस्तित्व पर आंसू बहाता नजर आ रहा है। तत्कालीन समय लाहौर से दिल्ली के बिल्कुल अर्ध में बसा ‘नाभि’ यानि नाभि से नाभा बना रियासती हलका नाभा आज तक जिला नहीं बन सका जबकि राज्य में कपूरथला और पटियाला आदि रियासतों सहित अब तो मालेरकोटला रियासत को भी जिला बना दिया गया है। माहिरों की मानें तो भी रियासत को रिजर्व हलके का रूप नहीं दिया जा सकता परंतु राजनीतिक दिग्गजों ने नाभा को जिला तो क्या बनाना था बल्कि रिजर्व हलका ही बना दिया है। महान शब्दकोष के रचियता भाई काहन सिंह की नगरी नाभा में मौजूदा समय में परांदियां, ट्रैक्टर, कम्बाईनों सहित कृषि यंत्रों के निर्माण, फर्नीचर आदि के निर्माण में विश्व प्रसिद्धि हासिल कर रही है। जिला न बनने की टीस नाभा रियासती हलका निवासियों को कब तक सहनी पड़ेगी इसे लेकर अभी इंतजार करना होगा।

इस बार लडूूंगा चुनाव : मक्खण सिंह लालका

शिरोमणी अकाली दल की टिकट न मिलने पर बागी हुए अकाली नेता मक्खण सिंह लालका ने कहा कि वह इस बार जरूर चुनाव लड़ेंगे। उन्होंने कहा कि हलके का संपूर्ण विकास और साफ-सफाई की तरफ और ज्यादा ध्यान देने की जरूरत है, जिसमें जहां मौजूदा सत्ताधारी कांग्रेसी असफल रहे हैं, वहीं विपक्ष शिरोमणी अकाली दल भी लोगों की आवाज को सरकार तक पहुँचाने में नाकाम ही रहा है।

हलके में नहीं हुई औद्योगिक इकाई स्थापित : ‘आप’

आम आदमी पार्टी के नाभा हलके से सक्रिय संभावित हलके के जंमपल नेता जस्सी सोहियां वाला ने कहा कि न हलके में कोई औद्योगिक इकाई स्थापित की गई है और न ही खेल प्रेमियों के लिए किसी खेल मैदान का प्रॉजैक्ट लाया गया है। उन्होंने कहा कि साफ-सफाई और सड़कों गलियों का निर्माण प्रशासन की प्राथमिक पहल होनी चाहिए न कि इसे ही विकास बताया जाये। हलके के युवा लड़के और लड़कियों को उच्च शिक्षा हासिल करने के लिए और बेरोजगार युवाओं को दूसरे शहरों में जाना पड़ता है। उन्होंने कहा कि आम आदमी पार्टी की सरकार बनने पर रियासती शहर हलका नाभा के निवासियों को गरीबी, अनपढ़ता, बेरोजगारी आदि बीमारियों से बाहर कर शिक्षा और सेहत संबंधी उनकी संवैधानिक सुविधाएं मुहैया करवाई जाएंगी, जिन बारे राजनीतिक दिग्गज दावे तो जरूर करते हैं परंतु उन पर अमल करने में असफल नजर आते हैं। उन्होंने दावा किया कि आजादी के बाद लंबे देर से लटकती आ रही रियासती हलका नाभा को जिला बनाने की मांग को भी पूरा किया जाएगा।

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