अकाली भाजपा सरकार दौरान भी पेंशन वितरित करने में कई बार किया था बदलाव
- लाभपात्रियों को पैडिंग नवंबर व दिसंबर 2016 की पैंशन बैंकों से मिलेगी : जिला सामाजिक सुरक्षा अधिकारी
भटिंडा। पंजाब में नवनिर्वाचित कांग्रेस सरकार अब पंचायतों से बुढापा पैंशन बांटने का अधिकार छीन कर बैंकों के जरिए बुजुर्गाें को पेंशन देने की तैयारी कर रही है। बैंकों के द्वारा पैंशन देने के लिए बुढापा, विधवा और अपंग लाभपात्रियों से बैंक खाते मांग लिए हैं। इन बैंक खातों का विवरण एकत्रित करने के लिए गांवों में आंगनवाड़ी वर्करों को सौंपने से है जो बैंक खातों का विवरण एकत्रित कर सीडीपीओ कार्यालय में जमा करवाए जाएंगे।
बैंकों में पेंशन मिलने के कारण लाभपात्री काफी परेशान दिखाई दे रहे हैं क्योंकि पहले पंचायतों द्वारा ही पेंशन मिलने के साथ लाभपात्री घर बैठे ही पेंशन प्राप्त कर रहे थे परन्तु अब उन्हें बैंकों में जाने के लिए बसों गाड़ियों में जाने में परेशानियां उठानी पडेंगी।
दोनों आंखों की रोशनी गंवा चुकी बुढापा पेंशन ले रही गांव महता की नसीब कौर के लड़के जस्सा सिंह ने बताया कि पहले उसकी मां को घर बैठे ही पेंंशन मिल जाती थी परन्तु अब बैंक में पेंशन लाने के लिए उसे अपनी मां के साथ 3 सौ रुपए दिहाड़ी छोड़ कर के साथ जाना पड़ेगा बुजुर्ग नच्छतर सिंह का कहना था कि पहले तो वह सरपंच से समय पर अपनी बुढापा पेंशन ले आता था परन्तु अब बैंकों में पेंशन मिलने के कारण उसे काफी परेशानी हो जाएगी।
बैंकों पर बढ़ा बोझ
इस तरह ही कई अन्य बुढापा पेंशन लेने वाले लोगों ने बताया कि सरकार द्वारा दिए जा रहे पेंशन के 5 सौ रुपए काफी महंगे पड़ रहे हैं क्योंकि जिन लोगों के बैंक खाते नहीं हैं उन को पैन कार्ड, फोटो और फोटो कॉपियों के पैसे तो खर्च करने पड़ रहे हैं बल्कि बैंकों में भी 100 से लेकर 500 रुपए पहले ज़मा करवाने पड़ रहे हैं। बैंक कर्मचारियों का कहना था बैंक कर्मचारियों के पास तो पहले ही नोटबन्दी के कारण अधिक काम है परन्तु सरकार ने पेंशनें बांटने का काम भी बैंकों को सौंप कर उनपर ओर बोझ बढ़ा दिया है।
सराकर के आदेशों के बाद नंवबर 2016 और दिसंबर 2016 की बुढापा पेंशनें बैंकों के द्वारा मिलेंगी जिनके बिल बनाकर भेज दिए गए हैं। उन्होंने बताया कि लाभपात्री जिस बैंक खाते का नंबर देगा उसी खाते में ही पैंशन आएगी और जिनके पास अभी बैंक खाता नहीं है वह अब भी अपना बैंक खाता दे सकते हैं।
जिला सामाजिक सुरक्षा अधिकारी भटिंडा नवीन गडवाल
जिक्रयोग्य है कि पहले भी पिछली सरकार ने एक बार बैंकों के द्वारा पैंशन देने का काम शुरू किया था और बाद में एक निजी कंपनी को पेंशन बांटने का काम सौंप दिया, जिस पर कंपनी के कर्मचारियों ने पेंशनें बांटने की जगह बड़ी स्तर पर बुढापा पेंशनों के लाखों रुपए हजम कर लिए थे, जिस के बाद अकाली सरकार ने फिर पेंशनें बांटने का काम पंचायतों को सौंप दिया था, जबकि अब कांग्रेस सरकार ने दोबारा फिर बैंकों के द्वारा पैंशन देने का काम चला दिया है।