खेलमंत्री का ऐलान: पंजाब सरकार 10 हॉकी खिलाड़ियों को देगी एक-एक करोड़

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टोक्यो ओलंपिक में छाए पंजाबी शेर: भारतीय हॉकी टीम ने जर्मनी को हराकर जीता कांस्य पदक

  •  कप्तान मनप्रीत की मां ने भंगड़ा डालकर मनाई खुशी

चंडीगढ़ (अश्वनी चावला)। पंजाब सरकार ने टोक्यो ओलम्पिक में कांस्य पदक जीतने वाली भारतीय पुरूष हॉकी टीम में राज्य में खिलाड़ियों को एक-एक करोड़ रूपये के पुरस्कार देने का ऐलान किया है, वहीं सभी खिलाड़ियों के परिवारों में दिनभर खुशी का माहौल बना रहा। कहीं लड्डू बांटें गए तो कहीं ढोल की थाप पर लोग खूब नाचे। पूरा दिन खिलाड़ियों के परिवार वालों को बधाई देने वालों का तांता लगा रहा।

कैप्टन मनप्रीत सिंह की मां मनजीत कौर ने ढोल की थाप पर भंगड़ा डाल जीत की खुशी मनाई है। मीडिया से बातचीत में उन्होंने कहा कि मनप्रीत घर पर अक्सर ओलंपिक में पदक जीतने की बात करता था। आज बेटे का सपना पूरा हो गया। 41 वर्ष बाद भारत ने हॉकी में ओलिंपिक पदक जीता। इस ऐतिहासिक जीत की खुशी वह बयां नहीं कर सकती हैं। जानकारी के अनुसार रविवार को हुए मुकाबले में भारतीय हॉकी टीम ने जर्मनी को हराकर कांस्य पदक पर मुहर लगाई।

राज्य के खेल एवं युवा मामलों के मंत्री राणा गुरमीत ंिसह सोढ़ी ने भारतीय हॉकी टीम को कांस्य पदक के लिये हुये मुकाबले में जर्मनी को 5-4 से पराजित किये जाने पर ट्वीट कर बधाई दी और कहा कि राज्य सरकार टीम में शामिल पंजाब के प्रत्येक हॉकी खिलाड़ी को एक-एक करोड़ रुपए की नकद राशि के साथ सम्मानित करेगी। उन्होंने कहा ‘‘ओलम्पिक में भारतीय पुरुष हॉकी टीम ने इतिहास रचते हुए 41 साल के अंतराल बाद देश के लिये पदक जीता है और इस पर हमें गर्व है। हम जश्न मनाने के लिये खिलाड़ियों की वापसी का इंतजार कर रहे हैं‘‘। उन्होंने बताया कि भारतीय पुरूष हॉकी टीम के कुल 20 खिलाड़यिों में से 11 पंजाब से हैं।

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मनदीप के पिता हुए भावुक

इसे लेकर भावुक होते हुए मनदीप सिंह के पिता रविंद्र सिंह ने कहा है कि खिलाड़ियों ने शानदार प्रदर्शन किया है। उनकी मां दविंदर पाल कौर ने कहा कि मनदीप को हिमाचल की वादियों में घूमना अच्छा लगता है। ओलिंपिक से पहले घर पर अपनी यह इच्छा जाहिर की थी। उसके घर लौटने पर हम सब हिमाचल की वादियों में घूमने के जाएंगे। घरवाले पहले ही पदक जीतने पर मनदीप के लिए नई मर्सडीज खरीदने की बात कह चुके हैं। वरुण कुमार के पिता ब्रह्मानंद ने कहा है कि टीम ने अच्छी शुरूआत करके बेहतर प्रदर्शन किया है। हमें अपने खिलाड़ियों पर नाज है।

वो कहकर गया था, मेडल लेकर लौटेगा: बलदेव सिंह

गुरजंट के पिता बलदेव सिंह ने बताया कि वो जाते हुए कहकर गया था कि मेडल लेकर लौटेगा। चाहे कोई भी पदक मिला, बेटे ने अपना कहा पूरा किया, मेरे लिए इतना बहुत है। सिमरनजीत जिसने दो गोल किए हैं, वो गुरजंट के मामा का बेटा है। दोनों भाई बेहतरीन तालमेल बनाकर खेल रहे थे। जब दो भाई मैदान में होते हैं तो तालमेल मजबूत होता है। मुझे मेरे देनों बेटों पर गर्व है, अब बस घर आ जाएं जल्दी।

हार्दिक सिंह कार पर लगाएंगे ओलिंपिक लोगो

उधर, हार्दिक सिंह सिंह अपनी कार पर ओलिंपिक का लोगो लगाकर घूमेंगे। टोक्यो जाते समय हार्दिक ने छोटे भाई से यह वादा किया था कि पदक जीतने के बाद अपनी गाड़ी के आगे ओलंपिक रिंग लगाएंगे। वहीं हार्दिक की मां कमलजीत कौर ने उनके लिए गोल्ड की चेन बनाकर रखी है, उसके पदक लेकर लौटने वह इसे उसे पहनाएंगी। हार्दिक सिंह टोक्यो ओलिंपिक में भारत की ओर से क्वार्टरफाइलन में अर्जेंटीना के खिलाफ विजयी गोल दागकर भारतवासियों की खुशी बना था।

मेडल की भूख मिटी

हॉकी खिलाड़ी रूपिंदरपाल सिह की मां सुखविंदर कौर का कहना है कि बेटा रियो में हुए 31वें ओलंपिक में भी खेलने गया था, परंतु गत ओलिंपिक में भारत कोई मेडल नहीं मिला था, जिसका उन्हें व बेटे को मलाल था, परंतु इस बार भारतीय टीम ने अच्छे खेल का प्रदर्शन किया और टीम को कांस्य के रूप में मेडल मिला। इससे उन्हें व उनके रिश्तेदारों व खेल प्रेमियों को बेहद खुशी है। किसी भी जीत में पूरी टीम का हाथ रहता है लेकिन भारतीय हॉकी टीम की इस जीत के हीरो बने हैं पांच पंजाबी। सिमरनजीत सिंह, हार्दिक सिंह, हरमनप्रीत सिंह, रूपिंदरपाल सिंह और गुरजंट सिंह। इन्हीं खिलाड़ियों ने भारत की ओर से पांच गोल करके देश को एक बार फिर हॉकी के शिखर पर पहुंचाया है।

पहला गोल: फारवर्ड सिमरनजीत सिंह

पहले क्वार्टर में भारत 1-0 से पीछे चल रहा था। जर्मनी की हावी होने लगी था। तभी फार्वर्ड सिमरनजीत सिंह ने भारत के लिए पहला गोल दागकर टीम को बराबरी दिलवाई। मूलरूप से बटाला के रहने वाले सिमरजीत का परिवार अब उत्तर प्रदेश में रहता है।

दूसरा गोल: हार्दिक ने किया शानदार गोल

भारत ने 1-1 की बराबरी कर ली थी लेकिन दूसरे क्वार्टर में जर्मनी ने अच्छा खेल दिखाना जारी रखा। विरोधी टीम ने एक के बाद एक गोल करके 3-1 की बढ़त बना ली। तभी भारत को पेनाल्टी कार्नर मिला। हरमनप्रीत ड्रैग फ्लिक किया लेकिन वह चूक गए। तभी गेंद डिफ्लेक्ट होकर हार्दिक के पास पहुंची और उन्होंने उसे गोल में बदल दिया। हार्दिक पंजाब के जालंधर के रहने वाले हैं।

तीसरा: पेनाल्टी कॉर्नर को गोल में बदला

दो मिनट बाद ही हरमनप्रीत सिंह ने पेनाल्टी कॉर्नर को गोल में बदलकर भारत को 3-3 की बराबरी ला खड़ा किया। हरमनप्रीत सिंह अमृतसर के जंडियाला गुरु के छोटे से गांव तीमोवाल के रहने वाले हैं।

चौथा गोल: पेनाल्टी स्ट्रोक को गोल में बदला

तीसरे क्वार्टर में भारत ने शुरूआत से शानदार खेल दिखाया और इसी के बदौलत टीम को पेनाल्टी स्ट्रोक मिला। पंजाब के फरीदकोट के रहने वाले रूपिंदर पाल सिंह ने इसे गोल में बदलने से नहीं चूके। अब भारत ने पहली बार बढ़त बना ली थी। भारत 4 और जर्मनी 3।

पांचवां गोल: गुरजंट ने फील्ड गोल करवाया

तीसरे क्वार्टर में ही रूपिंदर पाल सिंह के गोल के कुछ देर बाद ही भारत ने फिर जर्मनी पर हमला किया। अमृतसर के गुरजंट ड्रिबल करते हुए विरोधी खेम में दाखिल हो गए। उनके पास पर गोल के आगे खड़े सिमरनजीत सिंह ने पांचवा गोल दाग दिया।

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