2271 किलोमीटर का सफर तय कर आंध्र प्रदेश से मामा को लेने पहुंचा भांजा
- तीन माह से लापता था नाली रमैया
केसरीसिंहपुर। भारत-पाक अंतरराष्ट्रीय बॉर्डर हिंदुमलकोट के कंपनी कमांडर के द्वारा सौंपे गए आंध्र प्रदेश के मानसिक विक्षिप्त नाली रमैया को राजेंद्र शर्मा इन्सां ने अपने निजी प्रयासों से परिजनों से मिलवा दिया। वे इसी के साथ ही 107 वे व्यक्ति को मिलवा चुके है। उसे लेने के लिए उसका भांजा कासी राव के. व साथी आकूरति वेंकटेश 2271 किलोमीटर की दूरी तय कर केसरीसिंहपुर पहुंचे। पुलिस की मौजूदगी में राजेंद्र एवं उसकी टीम ने नाली रमैया को उन्हें सौंप दिया गया।राजेंद्र बताते हैं की भारत-पाक अंतरराष्ट्रीय बॉर्डर की पोस्ट हिंदुमलकोट से कंपनी कमांडर विकास शर्मा ने दुल्लापुर केरी निवासी शिंगारा सिंह पुत्र फौजा सिंह के माध्यम से एक मानसिक अधेड़ को गत दिनों सौंपा गया।
यह तेलुगू भाषा बोलता था । जो यहां किसी के समझ नहीं आ रही थी। बड़ी कठिनाई के साथ उसकी जानकारी प्राप्त की। जिसमें उसका नाम नाली रमैया पिता का नाम नाली पेद्ध वेलु गोंडया गांव गंडेपल्ली जिला प्रकाशम आंध्र प्रदेश थाना तरलुपाडु का पता चला। इसी से ही इसका पता लगाना शुरू कर दिया। गूगल के माध्यम से थाना तरलुपाडु के एएसआई से संपर्क किया। उन्होंने इनके गांव के सरपंच छिकोमनी से बात करवाई। यहां से उसके जीजा पपैया काकरला से वीडियो कॉल होने पर उनकी पहचान पुख्ता हो गई।
सिर में चोट लगने से बिगड़ गया था नाली रमैया का मानसिक संतुलन
नाली रमैया को लेने पहुंचे भांजे कासीराव के. ने बताया कि घर पर माँ नाली गालैया व भाई नाली कौण्डिया है। खुद अविवाहित है। मेहनत मजदूरी व खुद के खेत में खेती भी करते रहे है। उन्होंने बताया कि मामा नाली रमैया 3 माह पहले तिरुपति बालाजी मंदिर में माथा टेकने के लिए गए थे। और वहां से लापता हो गए। उन्हें अनेक स्थानों पर तलाश भी किया गया। पोस्टर लगाए गए थाना में सूचना दी गई लेकिन कोई पता नहीं चला। वे बताते हैं कि मामा पहले स्वस्थ थे। लेकिन एक बार वे घर में गिर गए। जिससे सिर में लगी चोट से उनका मानसिक सन्तुलन बिगड़ गया। वे राजेन्द्र शर्मा इन्सां का आभार जताते रहे। और अहसान किस प्रकार चुकाएंगे की बात कहते रहे।
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बिना सतगुरु की रहमत के उनसे ये काम नहीं हो सकता: राजेन्द्र इन्सां
राजेन्द्र शर्मा इन्सां डेरा सच्चा सौदा की शाह सतनाम जी ग्रीन एस वेलफेयर फोर्स विंग के सेवादार है। और अपने सतगुरु मालिक के द्वारा मानवता भलाई के लिए चलाई गई मुहिम में मानसिक होकर घर से बिछड़े लोगों को अपने आश्रम में लाकर उनकी सेवा सुश्रुषा करने के बाद घर तक पहुंचाने की सेवा में जुटे हुए हैं। उनकी यह अनोखी सेवा है। राजेन्द्र इन्सां उस व्यक्ति का हाथ थामते हैं। जिसे कोई अपने पास भी बैठाना तो दूर उसके पास से गुजरने से भी गुरेज करते है। पेशे से इलेक्ट्रिशियन राजेन्द्र इन्सां के इस पुनीत कार्य में माता-पिता, पत्नी के अलावा डेरा सच्चा सौदा से जुड़े सेवादार भी खूब सहयोग करते है। वे इसे मानव सेवा मानते है। और पूज्य गुरू संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां की दया मेहर बताते हुए कहते है। बिना सतगुरु की रहमत के उनसे ये काम नहीं हो सकता।
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