Saint Dr. MSG | धर्म जोड़ना सिखाते हैं, फिर क्यों जात-पात के नाम लड़ रहे देशवासी

Saint Dr. MSG
  • संत डॉ. एमएसजी ने बताया धर्म-मजहब का सही अर्थ, मान लिया तो नहीं बहेगा अपनों का खून
  • पूज्य गुरु जी के नाम में ही दिखती है ‘हिन्दू-मुस्लिम-सिख’ धर्मों के झलक
  • ‘दुआ है मेरी, हमारा भारत फिर से महान बने,
  • हिन्दू स्वामी विवेकानंद जैसा और मुस्लमान अब्दुल कलाम बने’

सच कहूँ/विजय शर्मा
सरसा। भारत देश की संस्कृति ही नहीं हर धर्म मजहब भी (Saint Dr. MSG) इंसान को ‘इंसानियत’ की शिक्षा देते हैं। भाषा, पहनावा, बोली, रहन-सहन, रंग-रूप बेशक मेल न खाते हों, लेकिन इंसान की रगों में बहने वाले खून का रंग जरूर एक है। बावजूद इसके, इंसान ये नहीं समझ पा रहा है कि धर्म-जात-मजहब से बड़ी देशभक्ति व मानवता कोई नहीं। हमारी सोच, व्यवहार व हर कर्म सब में देश सर्वोपरि होना चाहिये। ऐसे में सवाल उठता है कि जब सभी धर्म हमें इंसानियत व भाईचारे की शिक्षा देते हैं तो फिर मजहब के नाम पर लड़ाई झगड़ा क्यों? रंगभेद के नाम पर हत्याएं क्यो? ऊंच-नीच के नाम पर सियासत क्यो ? हम सब अपने धर्म को मानते हैं, लेकिन धर्मों की शिक्षा को कोई नहीं मानता। धर्म-मजहब के इसी सही अर्थ को समझाने के लिए सर्व धर्म संगम डेरा सच्चा सौदा के पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां अहम भूमिका निभा रहे हैं। पूज्य गुरु जी स्वयं सभी धर्मों को मानते हैं और करोड़ों लोगों को भी सभी धर्मों का सत्कार करने की प्रेरणा दे रहे हैं। देखा जाए तो जिस ‘संत’ के नाम में ही ‘हिन्दू-मुस्लिम-सिख’ सभी धर्मों के झलक दिखाई देती हो, उससे बड़ा उदहारण जात-पात मिटाने का कोई हो ही नहीं सकता।

पूज्य बापू जी की याद में रक्तदान कैंप 5 अक्टूबर को

पूज्य गुरु जी फरमाते हैं, आप अपने विचारों को बदलिये, धर्म को नहीं

पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां ने हमारे सभी पवित्र वेद, कुरान, गीता, बाइबल सभी धर्मों के ग्रंथों को पढ़ा है। जिन्हें पढ़ने के बाद पूज्य गुरु जी फरमाते हैं कि हमारे जो धर्म हैं वो जोड़ना सिखाते हैं, तोड़ना नहीं। धर्म बदलना नहीं सिखाते, इस पर चलना सीखना चाहिए। तो आपका जो भी धर्म है, उसी धर्म को पकड़ के रखिये, बदलने से कोई फायदा होने वाला नहीं है, क्योंकि समुद्र हैं हमारे धर्म। हमने जो देखा पवित्र वेद एक ऐसा समुद्र है, जिसमें से बहुत सी नदियां निकली, क्योंकि सेम थिंग मिलती हैं हमें। हमने पवित्र वेदों को पढ़ा और भी बहुत सारे पवित्र ग्रन्थों को पढ़ा तो जो पवित्र वेदों में लिखा है, कई ग्रन्थ उसी को फॉलो कर रहे हैं। पवित्र ग्रन्थ हर धर्म में हैं, बहुत बढ़िया सिखाते हैं। हमारे धर्म अपनी जगह 100 पर्सेंट सही हैं। कुछ भी गलत नहीं है उनमें। तो उनको फॉलो कीजिये। आप अपने विचारों को बदलिये, धर्म को नहीं।

इतिहास को लिखने वाला इंसान है, पवित्र ग्रन्थों को लिखने वाले संत हैं

पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां ने धर्मों के बारे में फैलाई जा रही भ्रांतियों को दूर करते हुए कहा है कि पूज्य गुरु जी ने फरमाया कि धर्मों को लेकर आज एक बड़ी भ्रांति सी चल रही है। कुछ पढ़े-लिखे लोग ये कहते हैं कि ये जो धार्मिक ग्रंथ हैं, वे कहानियां हैं। कोई कहता है कि सार्इंस सही है, इतिहास सही है। हमारे पवित्र ग्रंथों को वो लोग बोलते हैं कि ये सही नहीं हैं। तो भाई इतिहास को लिखने वाला इन्सान है और पवित्र ग्रन्थों को लिखने वाले संत-महापुरुष हैं। हमें बड़ी हैरानी होती है जब लोग कह देते हैं कि नहीं, इतिहास ये कह रहा है, धर्म ये कह रहा है। पूज्य गुरु जी ने फरमाया कि हमारे पवित्र वेदों में साफ लिखा है कि कीटाणु, जीवाणु हुआ करते थे, शुद्ध वातावरण होना चाहिए, जैसे हमारे पवित्र यज्ञ वगैरहा किए जाते थे, उसका मुख्य कारण यही था कि वो वातावरण शुद्ध हो जाए, जो आहुतियां दी जाती थीं, जो अग्नि ज्वंलित की जाती थी उससे वायरण बैक्टीरिया जल जाते थे, खत्म हो जाते थे तो उस एरिया से बीमारियां चली जाती थीं। क्योंकि हमने हमारे धर्मों को सार्इंस के नजरिये से पढ़ा तो ये साफ पता चल रहा था कि हाँ, वाकयी धर्म महा विज्ञान हैं, महा सार्इंस हैं। बिल्कुल सही है, लेकिन फिर भी लोग कह देते हैं कि धर्मों में ये जो लिखा है ये काल्पनिक चीजें हैं। नहीं, ये गलत है, ये सही नहीं है।

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कोई धर्म-जाति नहीं देती गुंडागर्दी की इजाजत | Saint Dr. MSG

पूज्य गुरु जी ने धर्म का सही संदेश बताते हुए कहा है कि कोई भी धर्म, जाति हमें गुंडागर्दी करने की इजाजत नहीं देते। कोई भी धर्म हमें खून बहाने को नहीं कहते। आतकंवाद, उपद्रवी या गुंडा तत्व ऐसा जरूर कर सकते हैं। धर्म जात की आड़ में गुंडागर्दी दुश्मनी या राजनैतिक दुश्मनी निकालने के लिए होती है। कोई भी धर्म जाति ऐसा कर ही नहीं सकते। धर्मों ने इंसान को प्रेम व भाईचारे के साथ का ही संदेश दिया है।

धर्मों में जो लिखा, उसे आज साइंस फॉलो करती है | Saint Dr. MSG

पूज्य गुरु जी फरमाते हैं कि धर्मों में जो लिखा है उसी को आज साइंस फॉलो कर रही है, जैसे अभी हम बात कर रहे थे जीवाणु, कीटाणु की, बैक्टीरिया, वायरस की बात कर लीजिये तो धर्मों में हजारों साल पहले इसके बारे में बता दिया गया। सार्इंस ने शायद बैक्टीरिया 1840 में इसका पता किया और 1890 में वायरस का पता चला तो फिर सार्इंस कहने लगी कि हाँ, बैक्टीरिया, वायरस होते हैं। अब आप बता दीजिये कि धर्म ज्यादा बड़ी सार्इंस हैं या सार्इंस ही सब कुछ है? अगर आप तर्क देते हैं कि इतिहास में यूं लिखा है तो लिखने वाला कौन? आदमी, और हजारों साल पहले का इतिहास आप मानते हैं कि सही है तो धर्म को लिखने वाले हमारे संत हुए, ऋषि-मुनि हुए, तो अब आप ये बताइये कि अगर एक आदमी के लिखे को आप सही मान रहे हैं और हमारे संत-महापुरुष, जिन्होंने सारी जिंदगी जंगलों में बिताई, सारा समय जंगलों में बिताया, किसके लिए ? हमारे लिए, समाज के लिए, वो झूठ क्यों बोलेंगे? तो उनको सच हम क्यों नहीं मानते?

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