Same-sex marriage: मौलिक बदलाव ‘विनाशकारी’ होगा: बीसीआई

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नई दिल्ली। बार काउंसिल आॅफ इंडिया (बीसीआई) ने समलैंगिक विवाह () की याचिकाओं पर उच्चतम न्यायालय की संविधान पीठ की सुनवाई को लेकर ‘गंभीर चिंता’ व्यक्त करते हुए रविवार को कहा कि शादी की अवधारणा को मौलिक रूप से बदलना ‘विनाशकारी’ होगा। बीसीआई के साथ सभी राज्य बार काउंसिलों की एक संयुक्त बैठक में एक सर्वसम्मत प्रस्ताव पारित किया गया जिसमें कहा गया कि इस मुद्दे की संवेदनशीलता को देखते हुए विविध सामाजिक-धार्मिक पृष्ठभूमि के हितधारकों के एक व्यापक दायरे को ध्यान में रखते हुए यह सलाह दी जाती है कि इससे (याचिका में उठाए गए मुद्दे से) सक्षम विधायिका द्वारा विभिन्न सामाजिक, धार्मिक समूहों को शामिल करते हुए विस्तृत परामर्श प्रक्रिया अपनाकर बाद में निपटा जाए।

देश की सामाजिक संरचना को अस्थिर कर देगी

बीसीआई ने कहा कि हमारे सामाजिक-सांस्कृतिक और धार्मिक विश्वासों पर दूरगामी प्रभाव वाले मामले को आवश्यक रूप से विधायी प्रक्रिया के माध्यम से ही आना चाहिए। बीसीआई का मानना है कि उच्चतम न्यायालय का किसी प्रकार से इस मामले में शामिल होना आने वाले दिनों में हमारे देश की सामाजिक संरचना को अस्थिर कर देगी। बीसीआई के प्रस्ताव में कहा गया है, ‘इतिहास के अनुसार, मानव सभ्यता और संस्कृति की स्थापना के बाद से विवाह को आमतौर पर स्वीकार किया गया है और प्रजनन एवं मनोरंजन के दोहरे उद्देश्य के लिए जैविक पुरुष और महिला के मिलन के रूप में वगीर्कृत किया गया है। ऐसी पृष्ठभूमि में विवाह की अवैध अवधारणा के मौलिक रूप से कुछ भी व्यापक बदलाव (किसी भी कानून न्यायालय द्वारा) चाहे वह कितना भी नेकनीयत क्यों न हो, विनाशकारी होगा।

99.9 फीसदी से अधिक लोग इसके विरोध में

बीसीआई का मानना है कि ‘शीर्ष अदालत में इस मामले के लंबित होने की जानकारी मिलने के बाद देश का हर जिम्मेदार और समझदार नागरिक अपने बच्चों के भविष्य को लेकर चिंतित है। देश के 99.9 फीसदी से अधिक लोग हमारे देश में समान लिंग विवाह पर ‘विचार’ के विरोध में हैं। ‘ बीसीआई ने ‘विशाल बहुमत का हवाला देते हुए कहा ​​है कि इस मुद्दे पर याचिकाकतार्ओं के पक्ष में शीर्ष अदालत का कोई भी फैसला हमारे देश की संस्कृति और सामाजिक धार्मिक संरचना के खिलाफ मानाई जाएगा। बार अपनी बैठक में इस अति संवेदनशील मुद्दे पर अपनी चिंता व्यक्त कर रहा है। संयुक्त बैठक की स्पष्ट राय है कि यदि सर्वोच्च न्यायालय ने इस मामले में कोई भी लापरवाही दिखाई तो इसका परिणाम आने वाले दिनों में हमारे देश की सामाजिक संरचना को अस्थिर कर देगा।’

बीसीआई के संकल्प में शीर्ष अदालत से इस मुद्दे को विधायी विचार के लिए छोड़ने के लिए कहा गया है। विधायिका व्यापक परामर्श प्रक्रिया के बाद हमारे देश के लोगों के सामाजिक विवेक और जनादेश के अनुसार उचित निर्णय पर पहुंच सकता है। बीसीआई के अध्यक्ष मनन कुमार मिश्रा के अनुसार, बैठक में सर्वसम्मति से यह भी निर्णय लिया गया कि केंद्र सरकार अधिवक्ताओं और उनके परिवारों के जीवन, हितों और विशेषाधिकारों की सुरक्षा के लिए प्रभावी कानून बनाए और किसी भी हमले के मामले में उन्हें मुआवजा प्रदान करे।

समलैंगिक पर पहले ही कर दिए थे वचन

पूज्य गुरु जी ने फरमाया कि ये जो समलैंगिकता की बीमारी चली है जिसे लड़को में गे और लड़कियों में लेस्बियन कहा जाता है। बड़ी ही भयानक बीमारी है। इसके रिजल्ट आने वाले टाइम में भयानक जरूर होंगे। क्योंकि कुदरत के उलट जब-जब भी इन्सान चला है तब-तब ही उसे लेने के देने पड़े ही पड़े हैं। पशुओं से रिलेशन बनाया तो एड्स बीमारी ने आके घेर लिया, काला पीलिया आके चिपट गया। अब यें लेस्बियन या गे जो है जैसे-जैसे ये बीमारी बढ़ती जा रही है यानि आदमी का आदमी से रिश्ता, औरत का औरत से रिश्ता क्योंकि कइयों को अनपढ़ बेचारे पता नहीं होता ये गे या लेस्बियन क्या है। तो ये जो रिश्ता बढ़ता जाए जो कामुकता बढ़ती जा रही है ये भी ऐसी बीमारियां सामने लाएंगी जो बताते हुए शर्म आएगी पर छुपाई नहीं जा पाएगी। एड्स को काई छुपा थोड़ा नहीं पाता है। कितनी भयानक बीमारी है। ऐसी बीमारियों को बुला रहे हैं।

दिखने में भक्त नजर आते हैं। हाव भाव सारे भक्तों वाले है और कर्म सारे राक्षसों वाले हैं। कहां से घर परिवार में बाधा हो, कहां से खुद को भगवान के नूरी स्वरूप तो दूर साधारण स्वरूप के दर्शन कहां से हों। तो ये बीमारी भी हमारे समाज को खोखला कर रही है। कामवासना की आंधी है। इन्सान इतना गिर गया है पशु भी तब विषय विकार में पड़ते हैं जब उन्होंने बच्चा, औलाद लेना होता है। कुदरत के नियम को पूरा करना होता है। आदमी पशु से गिर गया है। इसको कोई लेना देना नहीं इन चीजों से। तो भाई ये एक बीमारी महाबीमारी बनती जा रही है।

कहीं भी देख लो, किधर भी देख लो इस बीमारी से जब हम निगाह घुमाते हैं कोई-कोई बचा नजर आता है। वो भी जिसके अच्छे संस्कार हैं। सतगुरु, अल्लाह मालिक से बेहद प्यार है। वरना तो सतगुरु के वचनों की धज्जियां उड़ाते हुए ऐसे कर्म करते नजर आते हैं और पल-पल उनको भोगना होगा। अगर वो ना चेते, अगर वो ना जागे, तो फिर ऐसे चिल्लाएंगे कि दुनिया जागेगी उनको पता चलेगा कि ये बीमारी के घर हैं।

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