मेरी माता लम्बे समय से बीमार थी। उसके शरीर में खून नहीं बनता था। उसे तिल्ली की बीमारी थी। बहुत इलाज करवाया लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। जब वह ज्यादा बीमार हो गई तो उसे फरीदकोट के अस्पताल में दाखिल करवा दिया। डॉक्टरों ने उसकी स्वास्थ्य जांच की और बताया कि इसे खून की सख्त जरूरत है, यदि समय पर खून नहीं मिला तो इसका बचना मुश्किल है। उस समय अपनी माता जी के पास मैं अकेला ही था और मेरी आयु 14 वर्ष थी। मैंने डॉक्टर से कहा कि मेरा खून ले लो, लेकिन मेरी कम उम्र होने के कारण खून लेने से इन्कार कर दिया। मुझे कोई रास्ता नजर नहीं आ रहा था। मेरे अंदर तरह-तरह के विचार उठने लगे। मैंने मन ही मन पूजनीय परम पिता शाह सतनाम जी महाराज से अर्ज की,‘‘पिता जी, आप जी तो सर्व सामर्थ हो, आप जी के लिए कोई कार्य असंभव नहीं है। आप जी मेरी माता के लिए खून ही व्यवस्था करो, जिससे मेरी माता जी के प्राण बच जाएं।’’ मैं अभी पूजनीय परम पिता जी से प्रार्थना कर ही रहा था कि एक नौजवान अपने वृद्ध बाप को लेकर वहां आया
। मुझे रोते हुए देखकर पूछने लगा, ‘‘क्या बात है, तू क्यों रो रहा है?’’ तब मैंने रोते हुए सारी घटना सुनाई। उसने मुझे धैर्य बंधाते हुए कहा, ‘‘अब मैं आ गया हूूँ, तुझे फिक्र करने की कोई जरूरत नहीं है। अब तेरी मां को कुछ नहीं होगा।’’ मेरा धैर्य बंधाकर उसने डॉक्टर से खून की पड़ताल शुरू की लेकिन मेरी माता के गु्रप का खून नहीं मिला। तब उस नौजवान ने कहा कि मेरा खून चैक करो। पूजनीय परम पिता जी रहमत से उसके खून का ग्रुप मेरी माता के खून के गु्रप के साथ मिल गया। तब डॉक्टरों ने उसका खून लेकर माता जी को चढ़ा दिया। कुछ समय बाद ही मेरी माता जी के स्वास्थ्य में सुधार होने लगा। अब मुझे पूरा विश्वास हो गया था कि मेरी माता जी की जान को कोई खतरा नहीं है। पूजनीय परम पिता जी ने मेरी प्रार्थना को स्वीकार कर लिया। मैंने अपने सतगुरू का लाख-लाख धन्यवाद किया। कुछ समय बाद ही वह व्यक्ति अपने वृद्ध बाप को लेकर वापिस जाने लगा और उसने बताया कि उसके पिता की रिपोर्ट बिल्कुल सही है तथा वह बिल्कुल स्वस्थ हैं।
श्री सुखदेव सिंह, गांव धन्न सिंह खाना (पंजाब)
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