पूजनीय बेपरवाह साईं शाह मस्ताना जी महाराज के पावन ईलाही वचन

Shah Mastana Ji Maharaj

मन बंगाल का जादूगर है। यह अपना जादू चलाता है तथा अपना काम निकालता है। तुम्हारा इस पर कोई जोर नहीं। इसके पीछे लगकर क्यों पराया काम कर रहा है। हमारा सतगुरू अंदर बैठा है और वह सदा पुकारता है कि आओ, जन्म-मरण की फाही मुकाओ।

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हमारा मन सरकार से कहना है कि तू हमारे घर से निकल जा ताकि हम परमेश्वर या सतगुरू को रिझा सकें। हमें नाम खजाना मिले और चार पद में राज करें। जिस तरह हमारे देश के लोग अंग्रेज सरकार से कहते थे कि हमारे मुल्क से निकल जाओ, हम अपना राज खुद करेंगे तथा जिस तरह अंगे्रजी सरकार भारतीयों को राज नहीं देना चाहती थी और उस मुल्क को लूटकर ऐशो आराम करना चाहती थी। इसी तरह मन, माया, काम, क्रोध आदि की गवर्मैंट खुद अमृत पीती है और ऐशो-आराम करती है और आत्मा को, जिस का हक है उसे अमृत पीने नहीं देती।

मन रीछ को झुकाना बहादुरी है, भजन है। तुम जो दस-पांच मिनट प्रभु की याद में बैठते हो, वह तुमसे हजम नहीं होता। तुम अपनी मान-बड़ाई के लिए लोगों को बता देते हो तो वह तुम्हारी खुशी कम हो जाती है। भजन का तो किसी को पता ही न चले। भजन में जब मन लग जाए, चाहे दिन हो या रात वो ही समय अच्छा है।

मन को जीतना मुश्किल है। इस वैरी को कोई सूरमा ही जीत सकता है, कोई कहे कि यज्ञ किया तो मान लें, कोई सौ कोस की बात बतावे तो भी मान लें, अगर कोई बोले कि मन को वश में किया तो नहीं मानेंगे। अस्सी हजार साल तपस्या करने वाले लुढ़क गए। कामिल फकीर के ही वश में आता है यह। कामिल फकीर, इन्सान की हर हरकत को जानता है, मन का मुकाबला करना ही भजन है। मौत और मालिक को हर वक्त याद रखो। जो दम गुजरे मौला नाल ओही अच्छा है। इक ना भुलां, भुलां जग सारा।

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