कुरुक्षेत्र: एजेंसियों ने खरीदा 5 लाख 21 हजार 919 एमटी धान

Purchased-Paddy

 खरीदी गई धान में से 72.06 फीसदी धान का उठान कार्य पूरा

  •  अनाज मंडी में जगह न होने के कारण सड़कों पर पड़ा पीला सोना 

सच कहूँ/देवीलाल बारना कुरुक्षेत्र। मंडियों में धान की आवक काफी मात्रा में आ रही है, इस आवक में से खरीद एजेंसियों द्वारा अब तक 5 लाख 21 हजार 919 मीट्रिक टन धान की खरीद की जा चुकी है। इस खरीद में से एजेंसियों द्वारा 3 लाख 76 हजार 111 मीट्रिक टन धान के उठान कार्य सहित 72.06 फीसदी धान उठान कार्य पूरा कर लिया गया है। उपायुक्त शरणदीप कौर बराड़ ने मंगलवार को बातचीत करते हुए कहा कि जिला कुरुक्षेत्र की मंडियों व खरीद केन्द्रों में 12 अक्टूबर तक 5 लाख 21 हजार 919 मीट्रिक टन धान की खरीद की जा चुकी है। इसमें से 3 लाख 76 हजार 111 मीट्रिक टन धान की लिफ्टिंग का कार्य एजेंसियों द्वारा पूरा किया जा चुका है।

अहम पहलू यह है कि एजेंसियों द्वारा धान उठान कार्य को भी साथ-साथ किया जा रहा है। इसके साथ-साथ डीएफएसी विभाग के अधिकारियों की डयूटी मंडियों में लगाई गई है ताकि मंडियों में धान लेकर आने वाले किसानों को किसी परेशानी का सामना न करना पड़े। उन्होंने कहा कि कुरुक्षेत्र मंडियों व खरीद केन्द्रों से 5 लाख 21 हजार 919 मीट्रिक टन धान खरीदी गई है। इसमें से फूड सप्लाई विभाग ने 2 लाख 74 हजार 403 मीट्रिक टन व हैफेड ने 1 लाख 1 हजार 708 मीट्रिक टन धान उठान कार्य सहित कुल 3 लाख 76 हजार 111 मीट्रिक टन धान का उठान कार्य पूरा हो चुका है।

पोर्टल की दिक्कतें आ रही सामने

मंगलवार को देखा गया कि पार्टल पर अभी भी किसानों को दिक्कतों का सामना करना पड रहा है। देखा गया कि किसानों द्वारा ज्यादा फसल का पंजीकरण करवाया गया है जबकि पोर्टल पर कम धान का गेट पास काटा जा रहा है। किसान जागेराम ने बताया कि उसने साढेÞ पांच एकड़ खेत की धान का पंजीकरण करवाया हुआ है इसलिए 33 क्विंटल प्रति एकड़ के हिसाब से उसका गेट पास 181 क्विंटल का बनना चाहिए जबकि उसे गेट पास सिर्फ 114 क्विंटल का ही मिला है। ऐसे में बाकि का धान वे कहां बेचें। इसके अलावा देखा गया कि कई किसानों का पंजीकरण है जबकि धान खरीद की अप्रुवल नही दी गई है।

सड़कों पर है किसानों का पीला सोना

बेशक सरकारी खरीद की जा रही है लेकिन अभी भी थानेसर अनाज मंडी में धान रखने के लिए जगह नही है। ऐसे में किसानों को मजबूरन 100 फुटा रोड व ब्रह्मसरोवर के आस-पास के क्षेत्रों में धान रखने को मजबूर होना पड रहा है। इन्ही स्थानों पर ही धान में मशीन लगाकर तुलाई का कार्य किया जा रहा है। किसानों का कहना है कि धान रखने की जो दिक्कत सामने आई है यह धान की देरी से खरीद होने के कारण आई है।

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