Nawaz Sharif Returns To Pakistan: रस्सी जल गई पर ऐंठन न गई, शरीफ़ के बदमाशी बोल, चुनाव है ना जनाब

Nawaz Sharif Returns To Pakistan
Nawaz Sharif Returns To Pakistan: रस्सी जल गई पर ऐंठन न गई, शरीफ़ के बदमाशी बोल, चुनाव है ना जनाब

Nawaz Sharif Returns To Pakistan: एक प्रसिद्ध कहावत है-‘रस्सी जल गई पर ऐंठन नहीं जाती’। यह कहावत फिलहाल पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री नवाज़ शरीफ पर सटीक बैठ रही है। नवाज को प्रधानमंत्री पद से हटते ही भ्रष्टाचार के दो मामलों में जहां पाकिस्तान की न्यायपालिका का सामना करना पड़ा था।

वहीं इसी मामले में अपने देश से निकलना पड़ा। इतना ही नहीं उस वक्त नवाज़ पर चुनाव लड़ने के लिए आजीवन अयोग्यता का कानून लागू कर दिया गया था, जिसे बाद में 5 साल के प्रतिबंध में तब्दील किया गया। अब प्रतिबंध की तय सीमा खत्म हो गई। नवाज आपके मुल्क भी लौट आया। देश निकाले से वापिस अपने मुल्क आने पर पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री नवाज़ शरीफ़ ने अपनी पहली ही रैली में बदमाशी भरे बोल बोले। शनिवार को लाहौर एयरपोर्ट से मीनार-ए-पाकिस्तान रैली में पहुंचकर अपने पहले भाषण में उन्होंने जहाँ कश्मीरी राग अलापा। वहीं उन्होंने अपने परमाणु परीक्षण पर भी अमेरिका पर बड़ा आरोप लगाया।

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Nawaz Sharif Returns To Pakistan: रस्सी जल गई पर ऐंठन न गई, शरीफ़ के बदमाशी बोल, चुनाव है ना जनाब

नवाज़ ने अमेरिका पर ये लगाए आरोप | Nawaz Sharif Returns To Pakistan

शरीफ ने कहा कि 1998 में परमाणु परीक्षण रोकने के लिए अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति बिल क्लिंटन ने उनको 5 अरब अमेरिकी डॉलर का ऑफर किया था। लेकिन उन्होंने 8 मई,1998 में परमाणु परीक्षण कर भारत के परमाणु परीक्षण का करारा जवाब दिया था। ध्यान रहे कि पाकिस्तान का यह परमाणु परीक्षण 30 मई तक चला था। तब दोनों देशों के बीच तनातनी बढ़ गई थी। उन्होंने दावा करते हुए कहा कि रिकॉर्ड की जांच की जाए तो यह बात विदेश मंत्रालय की फाइलों में भी मौजूद होगी।

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रंगे सियार की तरह किया माइंड वॉश | Nawaz Sharif Returns To Pakistan

अपनी बेटी मरियम के साथ स्वदेश लौटे पाकिस्तान की पूर्व प्रधानमंत्री नवाज़ शरीफ़ ने परमाणु परीक्षण से संबंधित बात कह कर अपने मुल्क के लोगों का एक रंगे सियार की तरह माइंड वॉश करने की कोशिश की। ऐसा करे भी क्यों ना?आखिर चुनाव नजदीक है पाकिस्तान में। आमजन को बहकाने व अपने पक्ष में लेने के लिए कुछ तो करना पड़ेगा नवाज़ को।

आमजन की सहानुभूति के लिए कश्मीर राग अलापा

जनता की यही सहानुभूति व कश्मीर का राग ही उनकी सत्ता वापसी करवा सकता है। पर अभी उनकी किस्मत का फैसला पाकिस्तान की न्यायपालिका ही करेगी कि शरीफ अभी जेल में रहेगा या बाहर रहकर सियासत का खेल खेलेगा। शनिवार को नवाज शरीफ इस्लामाबाद इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर पहुंचते ही लाहौर पहुंचे और रैली को संबोधित किया। उससे पहले यह माना जा रहा था की नवाज शरीफ जैसे ही पाकिस्तान लौटेंगे उन्हें गिरफ्तार कर लिया जाएगा। पर पाकिस्तान मुस्लिम लीग (नवाज़) की तरफ से इस्लामाबाद हाईकोर्ट में वीरवार को एक याचिका दायर की गई थी। इस पर सुनवाई करते हुए महज 7 मिनट की सुनवाई में नवाज शरीफ की गिरफ्तारी पर 24 अक्टूबर की रोक लगा दी गई, लेकिन यह सिर्फ अंतरिम राहत है।

24 के बाद तय होगा जेल में रहेंगे या राजनीति में | Nawaz Sharif Returns To Pakistan

अब नवाज शरीफ जो एक बार फिर पाकिस्तान का प्रधानमंत्री बनना चाहता है। उसे भ्रष्टाचार के दो मामलों एवनफील्ड व अल अजीजिया केस में 24 अक्टूबर को हाईकोर्ट में पेश होना होगा। इस सुनवाई के बाद उनका भविष्य तय होगा कि वह जेल में रहेंगे या राजनीति के दंगल को संभालेंगे। दुनिया को यह भी याद होगा की नवाज शरीफ को जब भ्रष्टाचार के इन मामलों में सजा हुई थी। तब पाकिस्तान सरकार ने उन पर चुनाव लड़ने के लिए आजीवन प्रतिबंध लगा दिया गया था। लेकिन जब शाहाबाज़ सत्ता में थे तो उनकी सरकार ने आजीवन अयोग्यता कानून में बदलाव करते हुए इसे 5 साल की अयोग्यता में तब्दील कर दिया था। इसी कानून का नवाज़ शरीफ़ को अब फायदा मिलने जा रहा है।

वर्तमान में क्या है पाकिस्तान की सियासत?

फिलहाल पाकिस्तान की सियासत नवाज शरीफ के पक्ष में दिखाई दे रही है, क्योंकि पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ पार्टी के नेता एवं पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान इस वक्त जेल में है। वहीं दूसरा शरीफ़ को पाकिस्तान की फौज का भी साथ मिल रहा है। यह दो बातें व पाकिस्तान लौटते ही उनके सहानुभूति के बोल शरीफ को एक बार फिर पाकिस्तान के शीर्ष पद पर पहुंच सकते हैं।

दाल में काला या फिर पूरी ही दाल काली!

पर पाकिस्तान का आवाम यह बात क्यों नहीं समझ पा रहा है कि न्यूक्लियर टेस्टिंग की बात नवाज़ शरीफ़ ने जो अपनी रैली में अब बताई है। इसका जिक्र उन्होंने आज से पहले क्यों नहीं किया? सच में ही उन्हें अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति बिल क्लिंटन की तरफ से न्यूक्लियर टेस्टिंग न करने की बात पर 5 अरब अमेरिकी डॉलर देने का ऑफर किया था तो उसे दुनिया के सामने तब क्यों नहीं बताया। पर इसी का नाम तो राजनीति है। इस बात में दाल में काला जरूर नजर आ रहा है या फिर पूरी ही दाल काली हो सकती है…। सच कभी ना कभी सामने जरूर आता है।

कहा,पब्लिक के दबाव में किया परमाणु परीक्षण

इसी रैली में नवाज़ शरीफ़ ने खुद पुष्टि करते हुए कहा कि पाकिस्तान ने भारत के परमाणु परीक्षण के जवाब में अपना पहला परमाणु परीक्षण किया था। उन्होंने कहा अगर भारत परमाणु परीक्षण न करता तो हम भी ना करते। भारत के परमाणु परीक्षण करते ही हम पर पब्लिक का काफी दबाव पड़ा। इसके चलते हमने भी पहला परमाणु परीक्षण किया। इससे पहले तत्कालीन नवाज शरीफ की सरकार इस बात को नकारती आई है कि उनका परमाणु परीक्षण भारत के जवाब में किया गया था। उन्होंने अपने परमाणु परीक्षण को रूटीन का परीक्षण बताया था।

क्या पाकिस्तान लौटने से पहले ही लिखी गई स्क्रिप्ट?

शरीफ की ऐसी बातें सुनकर ऐसा लग रहा है,जैसे पाकिस्तान लौटने से पहले ही शरीफ के बोलने की स्क्रिप्ट लिखी जा चुकी थी। तभी उन्होंने आते ही भारत व अमेरिका दोनों पर आग उगली। इस दौरान नवाज़ शरीफ़ ने एक तरफ जहां अपने पड़ोसी देशों से बेहतर संबंध बनाने की बात कही तो दूसरी तरफ कश्मीर का मसला हल करने की भी बात कही। उन्होंने कहा हमें फैसला करना होगा कि किस तरह हमें अपना खोया मुकाम हासिल करना है? किस तरह हमें एक आजाद विदेश नीति बनानी होगी? अब कश्मीर या भारत को लेकर शरीफ के मन में क्या चल रहा है, यह तो वही जानते हैं।

भारत हमेशा चाहता है बेहतर संबंध

पर जहां तक पड़ोसी मुल्कों से संबंध की बात है, भारत-अपने पड़ोसी देश पाकिस्तान के साथ बेहतर संबंध बनाने की लगातार कोशिश कर चुका है व कर रहा है। हमें याद है कि जब भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र दामोदरदास मोदी ने पहली बार सत्ता संभाली थी। तब उनके शपथ ग्रहण समारोह में भी नवाज़ शरीफ़ को बुलाया गया था। तब वह आए भी थे। उसके बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शरीफ के जन्मदिन पर अचानक उन्हें सरप्राइज देते हुए पाकिस्तान में उनके घर पहुँच गए थे। इससे बड़ा बेहतर संबंध बनाने का उदाहरण और नहीं हो सकता। वर्तमान भारत सरकार से पहले की सरकारों ने भी पाकिस्तान के साथ हमेशा कंधे से कंधा मिलाकर काम किया है। पर हमेशा पाकिस्तान ने ही भारत की पीठ में छुरा घोंपने का काम किया,जिसका समयानुसार उसे नतीजा भी मिला।

सिर्फ आतंकवाद खत्म होना चाहिए

पाकिस्तान के साथ संबंध हमेशा के लिए और भी बेहतर हो सकते हैं,यदि पाकिस्तान की जमीन पर पनपने वाले आतंकवाद का सफाया करने में पाकिस्तान मदद करे तो। पर पाकिस्तान ऐसा कभी नहि करेगा। ये भी सबको याद होगा कि आईएसआईएस के सुप्रीमों कितने वर्षों तक पाकिस्तान में छिपा रहा था। क्या इस संबंध में पाकिस्तान की इंटेलिजेंस एजेंसी को पता नहीं था? जवाब होगा सब पता होते हुए भी पाकिस्तान ने ओसामा बिन लादेन को अपनी धरती पर पनाह प्रदान की। आखिर अमेरिका की सुरक्षा एजेंसी ने लादेन की ट्रेकिंग कर उसे पाकिस्तान की धरती पर ही नेस्तनामुद था। यह बात भी नहीं है कि पाकिस्तान खुद के देश मे आतंकवाद से खुश हो। खुद पाकिस्तान में भी यही आतंकवादी हमला कर चुके है। पेशावर के स्कूल पर मासूमों की हत्या का मामला पूरे विश्व को आज भी याद है। अब आतंकवाद के खिलाफ भी पाकिस्तान में मुहिम चलाने की जरूरत है। नहीं तो यही आतंकवाद एक दिन पाकिस्तान पर प्रश्नचिह्न लगा देगा?

डॉ संदीप सिंहमार।
वरिष्ठ लेखक,व्यंग्य लेखक एवं स्वतंत्र टिप्पणीकार।