प्रधानमंत्री की सुरक्षा दांव पर तब आम आदमी का कौन

फिरोजपुर में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सुरक्षा में चूक और काफिले का विरोध होने के कारण प्रधानमंत्री को अपना पूरा दौरा रद्द कर वापिस लौटना पड़ा, जो बेहद निंदनीय घटना है। उक्त घटना के बाद सुरक्षा में लापरवाही को लेकर पंजाब की कांग्रेस सरकार पर सवाल उठ रहे हैं। देश में किसी को भी विरोध-प्रदर्शन करने का अधिकार प्राप्त है किंतु प्रधानमंत्री के तय दौरे के काफिले में बाधा उत्पन्न करना पंजाब सरकार की खराब कार्यशैली व कानून व्यवस्था को दर्शाता है। पुलिस संख्या बल होने के बावजूद कुछ किसानों ने पीएम का रास्ता रोका, जो पंजाब पुलिस की लापरवाही के साथ-साथ सरकार और प्रशासन के गैर-जिम्मेवार रवैया का परिणाम है।

जब प्रधानमंत्री का दौरा हो तब सुरक्षा और सुरक्षित रास्ते की जिम्मेदारी केवल जिला के एसएसपी तक सीमित नहीं होती बल्कि डीजीपी को सभी प्रबंधों को देखना होता है। दरअसल प्रधानमंत्री का यह सरकारी दौरा था, वह केवल भाजपा नेता की हैसियत से ही पंजाब में नहीं आ रहे थे। इस घटना ने देश के संवैधानिक पदों की गरिमा को ठेस पहुंचाई है। किसी भी पार्टी का विरोध करना उचित हो सकता है लेकिन सरकारी तंत्र को चलाने वाले पदों को सम्मान व सुरक्षा मुहैया करवाया जाना अनिवार्य होता है। पार्टी कार्यक्रम का विरोध लोकतांत्रिक तरीके से भी हो सकता है, सरकार के कार्यों में बाधा नहीं डालनी चाहिए। ऐसीं विरोध की गतिविधियां अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देश की छवि को धूमिल करती हैं। देश का पद केवल किसी पार्टी तक सीमित नहीं।

वैचारिक मतभेदों के बावजूद पदों की अपनी मर्यादा है। यह सवाल भी अहम है कि यदि देश में प्रधानमंत्री भी सुरक्षित नहीं तो आम आदमी की सुरक्षा की क्या गारंटी है? केंद्र सरकार व भाजपा ने उक्त घटना के लिए पंजाब की कांग्रेस सरकार पर जमकर शाब्दिक हमले किए, यहां तक कि एक वरिष्ठ कांग्रेसी नेता ने पंजाब सरकार को इस बुरी घटना के लिए जिम्मेदार करार दिया है। घटना के बाद प्रधानमंत्री के बयान ‘अपने मुख्यमंत्री का धन्यवाद करना कि मैं सही सलामत बठिंडा एयरपोर्ट वापस आ गया’ पंजाब सरकार की नाकामी को दर्शाता है व प्रधानमंत्री का यह तंज है। राजनीति के लिए संवैधानिक पद और देश की सुरक्षा को दांव पर नहीं लगाना चाहिए। इस घटना से यदि किसी पार्टी को चुनाव में कोई लाभ होता है या नुक्सान यह सवाल बहुत छोटा है जबकि सुरक्षा प्रबंधों में खामियां और राजनीतिक गुटबाजी ने देश की शान को ठेस पहुंचाई है।

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