बिना शल्य चिकित्सा के पैर की नस के माध्यम से ऑप्रेशन कर बचाई डेढ़ वर्षीय बच्ची की जान

Girl's Life sachkahoon

पीजीआई में नवजात शिशुओं और बच्चों की हृदय संबंधी बीमारियों का नई तकनीक से इलाज शुरू

  • एट्रियल सैपटोस्मी तकनीक से एक छोटे गुब्बारे ऑप्रेशन से बचाई जा सकती है नवजात की जान

  • एम्स की पूर्व शिशु कार्डियालोजिस्ट डॉ. अनिता सक्सेना एवं कुलपति ने चिकित्सकों से सांझा किए विचार

रोहतक (सच कहूँ न्यूज)। यदि आपके बच्चे का रंग नीला पड़ रहा है, दूध पीते हुए पसीना आता है, दूध पीते-पीते छोड़ देता है, रोता रहता है, चिड़चिड़ा हो गया है, वजन नही बढ़ता, सांस तेज चलती है, बार-बार निमोनिया व इंफैक्शन हो रहा है तो आपको तुरंत सावधान होकर अपने बच्चे (Girl’s Life) को पीजीआईएमएस के हृदय रोग चिकित्सक को दिखाने की जरूरत है, क्योंकि उपरोक्त लक्षण बच्चे के हृदय रोग से पीड़ित होने पर होते हैं। यह कहना है पंडित भगवत दयाल शर्मा स्वास्थ्य विज्ञान विश्वविद्यालय की कुलपति डॉ. अनिता सक्सेना का।

उन्होंने बताया कि उपरोक्त लक्षण नजर आते ही बच्चे को तुरंत पीजीआईएमएस के कार्डियोलोजी विभाग में दिखाना चाहिए। उन्होंने बताया कि हरियाणा में अब पीजीआईएमएस में बिना शल्य चिकित्सा के बच्चों की दिल की बीमारी का ईलाज शुरू हो गया है और पिछले तीन माह में दर्जनों बच्चों के दिल का इलाज हो चुका है।

कार्डियोलोजी विभाग के चिकित्सक डॉ. राजेश नांदल ने बताया कि उनके विभाग में विभागाध्यक्ष डॉ. कुलदीप सिंह लालर के दिशा-निर्देशन में पहले बड़े व्यक्तियों के हृदय संबंधी सभी बीमारियों का इलाज तो किया ही जाता था और कुलपति डॉ. अनिता सक्सेना के संस्थान में आने से पिछले करीब तीन महीने से नवजात शिशुओं और अन्य बच्चों के हृदय संबंधी बीमारियों का भी इलाज शुरू हो गया है और गत दिनों दो गंभीर हालत में पहुंचें बच्चों को नया जीवनदान भी मिला है।

डॉ. राजेश नांदल ने बताया कि गत सप्ताह एक माह का बच्चा उनके विभाग में गंभीर हालत में पहुंचा था, जिसका रंग नीला पड़ चुका था। जब बच्चे की जांच की गई तो पाया गया कि बच्चे को जन्मजात दिल की बीमारी है और उसकी दिल की नसें उल्टी जुड़ी हुई हैं। इस कारण उसे तुरंत ऑप्रेशन की आवश्यकता थी, लेकिन इंफैक्शन ज्यादा होने के चलते उसका ऑप्रेशन नहीं किया जा सकता था।

उन्होंने बताया कि एम्स की पूर्व शिशु कार्डियालोजिस्ट डॉ. अनिता सक्सेना ने बच्चे की जांच की तो पाया कि एट्रियल सैपटोस्मी तकनीक से एक छोटे गुब्बारे से मरीज का ऑप्रेशन किया जाए तो बच्चे की जान बच सकती है। उन्होंने बताया कि तुरंत निश्चेतन विभाग की टीम के साथ डॉ. अनिता सक्सेना ने बच्चे का ऑप्रेशन किया और ऑप्रेशन सफल रहा। डॉ. कुलदीप सिंह लालर ने बताया कि ऐसे ही एक दूसरे केस में एक 13 साल की लड़की, जिसकी एक वॉल्व बचपन से सिकुड़ी हुई थी और दिन प्रतिदिन सिकुड़ती जा रही थी।

ऐसे में गंभीर हालत में उसके परिजन उसे पीजीआईएमएस लेकर पहुंचे तो उन्होंने बताया कि बड़े-बड़े अस्पताल में उन्हें बड़ी सर्जरी करवाने की सलाह दी गई। जब बच्ची की जांच डॉ. अनिता सक्सेना ने की तो पाया कि बिना शल्य चिकित्सा के पैर की नस के माध्यम से ऑप्रेशन किया जा सकता है तो उन्होंने तुरंत ऑप्रेशन करने का फैसला लिया ताकि बच्ची की जान को बचाया जा सके।

डॉ. लालर ने बताया कि बिना शल्य चिकित्सा किए डॉ. अनिता सक्सेना ने पैर की नस से दिल की वॉल्व को खोल दिया और आज बच्ची स्वस्थ है। निदेशक डॉ. एस.एस. लोहचब ने बताया कि अब प्रदेश के बच्चों को अपने दिल की बीमारी के इलाज के लिए बाहर मंहगें प्राईवेट अस्पतालों में जाने की जरूरत नहीं है, पीजीआईएमएस में विश्वविख्यात कुलपति डॉ. अनिता सक्सेना द्वारा भी बच्चों के ऑप्रेशन किए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि यह संस्थान के लिए बड़े ही गर्व का विषय है कि पूरे प्रदेश में पीजीआईएमएस पहला ऐसा सरकारी संस्थान है जहां बच्चों के हृदय के आप्रेशन कर मासूमों को नया जीवनदान दिया जा रहा है।

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