Lumpy Skin : फिरोजपुर में 4951 पशु हुए बीमारी का शिकार, 278 पशुओं की हुई मौत

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फिरोजपुर(सच कहूँ/सतपाल थिन्द)। पंजाब में पिछले कई दिनों से पशुओं में एकदम फैलनी शुरू हुई लम्पी स्किन नामक बीमारी ने पशु पालकों को चिंता में डाल दिया है। इस बीमारी की चपेट में आने के कारण लगभग हड्डां रोड़ियां मरे पशुओं से भर गई हैं, जिनसे फैल रही बदबू से लोग काफी परेशान हैं। उधर जिले में लम्पी स्किन बीमारी का कहर देखें तो प्राप्त हुए आंकड़ों के अनुसार जिले में 4951 पशु इस बीमारी की चपेट में आए, जिसका ज्यादातर असर गायों पर दिखाई दिया। जबकि अनेकों की बेसहारा पशु भी इस बीमारी का शिकार हो गए।

उधर इस बीमारी के कारण जिले में 278 पशुओं की मौत अब तक दर्ज की जा चुकी है, जबकि 4500 से अधिक पशुओं का इलाज किया जा चुका है और इसके अलावा इस बीमारी को फैलने से रोकने के लिए रोजाना पशुओं का टीकाकरण किया जा रहा है और अब तक 13257 पशुओं का टीकाकरन किया जा चुका है और पशु पालन विभाग द्वारा दावा किया जा रहा है कि काफी हद तक जिले में इस बीमारी को कंट्रोल कर लिया गया है और अब नए केस काफी कम आ रहे हैं। इस संबंधी डिप्टी डायरैक्टर जसवंत सिंह ने बताया कि विभाग की टीमों द्वारा लगातार बिना छुट्टी किए इस बीमारी को कंट्रोल करने के लिए काम किया जा रहा है और लोगों को इस प्रति जागरूक किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि पशुओं में यह बीमारी मच्छरां, मक्खियों से फैल रही है, जिनसे पशु पालक पशुओं का बचाव करें।

वैटरनरी डॉक्टरों के 61 पदों पर सिर्फ 15 डॉक्टर ही तैनात

पंजाब भर में लम्पी स्किन की बीमारी का पशुओं पर कहर देखन को मिला, इस दौरान कई जिलों में स्टाफ की बड़ी कमी भी सामने आई उसी तरह फिरोजपुर जिले में भी वैटरनरी डॉक्टरों के 61 पद हैं जिनमें सिर्फ 15 डॉक्टर ही तैनात किए गए हैं, बाकी सभी पद रिक्त पड़े हैं, जिसके चलते पशु पालकों को अपने पशुओं को बचाने सरकारी पशु अस्पतालों की बजाय प्राईवेट डॉक्टरों पर निर्भर होना पड़ रहा है, जिसके लिए पशुपालकों को काफी आर्थिक बोझ भी झेलना पड़ रहा है।

एनजीओ या समाज सेवियों की मदद से बेसहारा पशुओं का भी किया जा रहा इलाज

डिप्टी डायरैक्टर जसवंत सिंह ने बताया कि पालतू पशुओं के अलावा काफी बेसहारा पशु भी इस बीमारी की चपेट में आए, जिनके इलाज के लिए एक टीम को अलग रखा गया, जब भी कोई एनजीओ या समाज सेवियों द्वारा किसी पीड़ित पशु संबंधी बताया जाता है तो टीम द्वारा उसका इलाज किया जाता है।

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