कांगों में संयुक्त राष्ट्र शांति मिशन पर हमला, बीएसएफ के दो जवानों की मौत

नई दिल्ली (सच कहूँ न्यूज)। अफ्रीकी देश कांगों गणराज्य में संयुक्त राष्ट्र शांति मिशन पर तैनात भारत के सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के दो जवान वहां मंगलवार को हिंसा पर उतारू प्रदर्शनकारियों के एक हमले में मारे गए। कांगों में अंतराष्ट्रीय मिशन का विरोध कर रहे प्रदर्शनकारियों के हमले में पांच व्यक्ति मारे गए। इनमें बीएसएफ के हेड कांस्टेबल शिशुपाल सिंह और हेड कांस्टेबल सनवाला राम विश्नोई है। शांति रक्षकों पर यह हमला युगांडा की सीमा के पास एक कस्बे में विरोध प्रदर्शन के दौरान हुआ हुई।

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने बुधवार को ट्विटर पर एक वक्तव्य में इस घटना में भारत के सुरक्षा बल के जवानों के मारे जाने पर गहरा दु:ख जताया। जयशंकर ने कहा, ‘लोकतांत्रिक गणराज्य कांगों में बीएसएफ के दो बहादुर शांतिरक्षकों के निधन पर गहरा दुख है। वे मोनुस्को (कांगो में संयुक्त राष्ट्र संगठन के मिशन) में शामिल थे। इस क्रूर हमले में शामिल व्यक्तियों को पकड़ा जाना चाहिए और उन्हें कानून के अनुसार सजा मिलनी चाहिए। मैं इन बहादुर जवानों के शोक संतप्त परिवार के प्रति संवेदना प्रकट करता हूं।

कैसे हुआ हमला

बीएसफ ने एक ट्वीट में कहा, ‘बीएसएफ महानिदेशक और बल के जवान और अधिकारी लोकतांत्रिक गणराज्य कांगों में संयुक्तराष्ट्र शांतिरक्षा टुकड़ी एट मोनुस्को) में तैनात स्टेबल शिशुपाल सिंह और हेड कांस्टेबल सनवाला राम विश्नोई के निधन पर दु:ख जताते हैं। विपत्ति की इस घड़ी में प्रहरी परिवार उनके परिजनों के साथ खड़ा है। बीएसएफ के एक प्रवक्ता ने मंगलवार रात को कहा, ‘गोमा में स्थिति हिंसक हो गई और लूटपाट और संयुक्त राष्ट्र की संपत्ति में आग लगा दी गई। बेनी और बुटेम्बो (जहां दो जून, 2022 से बीएसएफ की दो प्लाटून तैनात हैं) दोनों पूरी चौकसी पर थे। कल का दिन शांति से गुजर गया था लेकिन बुटेम्बो में आज स्थिति हिंसक हो गई है।

क्या है मामला

गोमा कस्बा बेनी से लगभग 350 किमी दक्षिण में है और मोनुस्को का एक बड़ा शिविर है। बीएसएफ के अनुसार बुटेम्बो में कुछ लोगों ने मोनुस्को के विरोध में एक सप्ताह के विरोध प्रदर्शन की घोषणा कर रखी थी। मंगलवार का प्रदर्शन उसका हिस्सा था। बीएसएफ के अनुसार बीएसफ की एक प्लाटून वहां मोरक्को के एक त्वरित कार्रवाई बल के शिविर में तैनात थी। शिविर को करीब 500 प्रदर्शनकारियों ने घेर लिया था और उन्हें कांगों की पुलिस और सेना के जवान नियंत्रण में नहीं रख पाये।

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