काम की कीमत

Truth of Diamond

यह कहानी एक राजा की है, जिनका नाम था राणा उदय सिंह। राजा अपनी प्रजा से बहुत प्यार करते थे और वह उनका ख्याल भी रखते थे। वह अपने गांव के लोगों के बारे में जानने के लिए हमेशा उत्सुक रहते थे। एक दिन राजा अपने कुछ दरबारियों को बुलाकर उनसे कहते हैं ‘जाओ और देखो कि मेरी प्रजा गांव में कैसा जीवन व्यतीत कर रही है और उस इंसान को मेरे पास लेकर आओ जिसे अपने काम की कीमत हो और जो अपना काम पूरी ईमानदारी से करता हो। पर एक शर्त है, कि उन्हें पता नहीं चलना चाहिए कि आप लोगों को मैंने भेजा है।’ दरबारियों को उनके राजा द्वारा कही गई बातें समझ नहीं आई और वे वहां से चले जाते हैं। वे सोचते हैं, कि राजा का दिया हुआ काम वे कैसे करेंगे। सब मिलकर योजना बनाने लगते है और आखरी में सारे दरबारी एक योजना पर सहमत होते हैं। अगले दिन सारे दरबारी आदिवासियों के भेष में बैलगाड़ी में बैठकर गांव पहुंच जाते हैं और वहां घूमते हुए लोगों को ध्यान से देखते हैं। घूमते-घूमते उन्हें एक लकड़हारा दिखता है, जो पेड़ काट रहा होता है।

वे लकड़हारे के पास जाकर उससे पूछते हैं, क्या तुम्हें अपना काम पसंद है? लकड़हारा कहता है नहीं ! मैं यह काम इसीलिए करता हूं , क्योंकि मेरे पूर्वज भी यही करते थे और मेरे माता-पिता ने मुझे यह काम करने के लिए मजबूर किया है। यह सुनकर दरबारी उसे अलविदा कहते हैं और वहां से चले जाते हैं। आगे जाने पर उन्हें एक गुस्सैल धोबी मिलता है और वे जाकर उससे कहते हैं, नमस्ते भाई हम बाहर गांव से आए हैं और इस जगह में नए हैं। हम यहां अपने दोस्त राम से मिलने आए हैं। आप कृपया करके हमें उसका पता दे सकते हैं? धोबी गुस्से में जवाब देता है, क्या तुम सब पागल हो, देख नहीं रहे मैं क्या कर रहा हूं। मैं एक बेवकूफ हूं और बेवकूफी वाला काम कर रहा हूं। दरबारी उससे पूछता है कि क्या तुम्हें अपना काम पसंद नहीं है। धोबी कहता है नहीं ! मैंने बचपन में अच्छे से पढ़ाई नहीं की और उसी वजह से आज धोबी बन गया हूं। मैं यह काम इसीलिए करता हूं, ताकि अपने परिवार को दो वक्त की रोटी खिला सकूं।

दरबारी उसे परेशान करने के लिए उससे माफी मांगते हैं और वहां से चले जाते हैं। वहां से जाते वक्त उन्हें अचानक से एक छोटी कुटिया दिखती है, जहां पर दिए जल रहे होते हैं और कुछ बच्चे पढ़ रहे होते हैं। उन्हें पता चलता है, कि वह एक स्कूल है। वे स्कूल के अंदर जाकर वहां के अध्यापक से वही सवाल पूछते हैं, क्या उसे अपना काम पसंद है। इस पर अध्यापक जवाब देता है मुझे अपने काम से बहुत प्यार है और इन छोटे बच्चों को ज्ञान देकर मुझे खुशी और शांति मिलती है। अध्यापक की बातें सुनकर दरबारी उन्हें राजा के पास ले जाते हैं। राजा उस अध्यापक को सराहना देता है, क्योंकि उसे अपने काम की कद्र थी और वह उससे पूरी शिद्दत के साथ करती थी। वह उसे पुरस्कार देते हैं और गांव में एक नया स्कूल भी बनवाते हैं।

शिक्षा:- आप किसी भी काम को अच्छे से तभी कर सकते हैं, जब आप उस काम से प्यार करते हैं और आपको उस काम की कीमत होती है, क्योंकि काम ही पूजा है।

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