दिवंगत साथी की भांजियों की शादी में सिविल डिफेंस सदस्यों ने भरा भात

Civil defense members sachkahoon

सिविल डिफेंस में कार्यरत थे श्रवण कुमार

  • गत वर्ष कोरोनाकाल में हुआ था देहांत

सच कहूँ/संजय मेहरा, गुरुग्राम। रिश्तों का अहसास अगर जानना है तो गुरुग्राम सिविल डिफेंस के उन वॉलंटियर्स से जानिये, जिन्हें अपने दिवंगत साथी श्रवण कुमार की दो भांजियों की शादी का पता चला तो भात भरने की तैयारी शुरू कर दी। मामा श्रवण कुमार की कमी को तो वे पूरा नहीं कर सके, लेकिन सामाजिक तौर पर भरे जाने वाले भात की रस्म को सभी ने पूरे मान-सम्मान के साथ निभाया।

वर्ष 2020 में कोरोना काल में आमजन को सुविधाएं, सेवाएं देने को सिविल डिफेंस गुरुग्राम की टीम ने सराहनीय कार्य किए थे। इसी टीम में वॉलंटियर के रूप में शामिल थे झज्जर जिले के गांव नगला निवासी श्रवण कुमार। दिनभर सेवा कार्य करने के बाद वे गाड़ी में किसी कार्य से जा रहे थे। इसी दौरान हुई सड़क दुर्घटना में वे काल का ग्रास बन गए। परिवार पर दुखों का पहाड़ टूट गया। पत्नी की मांग से सिंदूर उजड़ा, बच्चे के सिर पर पिता का साया गया तो बहनों का भाई। परिवार भी इतना सक्षम नहीं कि इस महंगाई के दौर में ठीक से गुजारा कर सके। ऊपर से दूसरे रीति-रिवाज निभाने जरूरी।

समाज के समक्ष अनूठा उदाहरण किया पेश

श्रवण कुमार की भिवानी जिले के गांव दिनोद में रहने वाली बहन मंजू एवं जीजा अनिल कुमार की ओर से अपनी दो बेटियों काजल व सोनिया की शादी तय की गई। समाज के रीति-रिवाजों के अनुसार मायके पक्ष को भात भरना होता है। मंजू का भाई श्रवण इस दुनिया में नहीं है तो परिवार को इस बात भी चिंता हुई। इसी बीच शादी के बारे में सिविल डिफेंस गुरुग्राम को पता चला तो परिवार से संपर्क किया।

सिविल डिफेंस के सदस्यों ने आपस में धनराशि एकत्रित करके भात भरने की तैयारी की। मंजू एवं अनिल कुमार की ओर से सामाजिक रूप से सिविल डिफेंस परिवार को शादी के लिए निमंत्रण दिया गया। रीति अनुसार मामा द्वारा भात भरने के लिए श्रवण के बड़े भाई कृष्ण कुमार के साथ सिविल डिफेंस टीम के प्रतिनिधि जेपी राघव, सुकेश सैनी, प्रियंका सैनी, सुखबीर यादव, रोहित मदान, सतपाल चौहान सहयोग राशि के साथ गांव दिनोद जिला भिवानी पहुंचे।

भात के रूप में सामाजिक रस्म पूरी करते हुए एक गहरा सामाजिक संदेश दिया। संदेश यह कि कोरोना महामारी काल हमें एक-दूसरे का सहयोग देने की सीख दे रहा है। इस दौर में बेशक हमने अपने सगे-संबंधियों को खोया है, लेकिन इसी दौर में बहुत से नये रिश्ते भी बने हैं।

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