पंजाब और हिमाचल प्रदेश में पावन भंडारे की नामचर्चाएं कल

Naamcharcha

डेरा सच्चा सौदा स्थापना माह को लेकर साध-संगत में भारी उत्साह

  • सलाबतपुरा और पौंटा साहिब में राम-नाम का गुणगान करेगी साध-संगत
  • साध-संगत की सुविधाओं के मद्देनजर सभी तैयारियां पूर्ण

बठिंडा/पौंटा साहिब (सच कहूँ न्यूज)। पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां पर दृढ़ विश्वास और आस्था से सजी पंजाब और हिमाचल प्रदेश की साध-संगत कल 10 अप्रैल रविवार को डेरा सच्चा सौदा के स्थापना माह की खुशी में पावन भंडारे की नामचर्चाओं का आयोजन करेगी। पंजाब की साध-संगत शाह सतनाम जी रूहानी धाम राजगढ़ सलाबतपुरा (बठिंडा) में नामचर्चा कर पावन भंडारा धूमधाम से मनाएगी। वहीं हिमाचल प्रदेश की साध-संगत पौंटा साहिब में बगरान चौक चुंगी नंबर 6 के नजदीक स्थित पैराडाइज पैलेस में नामचर्चा कर पावन भंडारा मनाएगी।

नामचर्चाओं का समय सुबह 11 बजे से दोपहर एक बजे तक रखा गया है। जिम्मेवारों ने बताया कि पावन भंडारे की नामचर्चा को लेकर साध-संगत में भारी उत्साह देखने को मिल रहा है। उन्होंने बताया कि डेरा सच्चा सौदा का स्थापना माह अप्रैल को साध-संगत हर वर्ष मानवता भलाई के कार्य कर मनाती रही है। उन्होंने बताया कि भंडारे संबंधी सभी तैयारियां मुकम्मल हो गई हैं। विभिन्न समितियों के सेवादारों की ड्यूटियों भी लगाई गई हैं। नामचर्चा में पहुंचने वाली साध-संगत की सुविधा को ध्यान में रखते हुए सेवादारों ने ट्रैफिक, लंगर और शुद्ध पेयजल इत्यादि के बेहतरीन प्रबंध किए गए हैं।

गौरतलब है कि डेरा सच्चा सौदा की पहली पातशाही पूज्य बेपरवाह सार्इं शाह मस्ताना जी महाराज ने 29 अप्रैल सन् 1948 में डेरा सच्चा सौदा की स्थापना की थी। आप जी ने लोगों को गुरुमंत्र देकर मानवता भलाई के कार्यों पर चलने का रास्ता बताया। दूसरी पातशाही पूज्य परम पिता शाह सतनाम सिंह जी महाराज ने हजारों सत्संग किए, जहां लाखों लोगों को गुरमंत्र देकर इंसानियत की राह पर चलाया। मौजूदा गद्दीनशीन पूज्य गुरू संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां ने मानवता भलाई के इस कारवां को गति देते हुए करोड़ों लोगों को गुरुमंत्र देकर उनका जीवन सार्थक किया। आज करोड़ों की संख्या में साध-संगत पूज्य गुरू जी की शिक्षाओं पर चलकर नशे व अन्य कुरीतियों से तौबा कर खुशहाल जीवन व्यतीत कर रहे हैं। पूज्य गुरू जी ने 29 अप्रैल 2007 को रूहानी जाम की शुरूआत कर मर चुकी इंसानियत को जिंदा करने का बीड़ा उठाया।

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