आर्थिक आपातकाल

Economic experts

फिलहाल अभी तक देश में आर्थिक आपातकाल किसी के भी द्वारा लागू नहीं किया गया है लेकिन भारत के संविधान में इसका अच्छे से वर्णन किया गया है और अच्छी तरह से परिभाषित भी किया गया है। अनुच्छेद 360 के तहत राष्ट्रपति द्वारा उस समय आर्थिक आपात की घोषणा की जा सकती है, जब लगे कि देश में कोई ऐसा आर्थिक संकट बना हुआ है, जिसके कारण देश के वित्तीय स्थायित्व या साख को खतरा पंहुच सकता है या खतरा है। जब कभी देश में किसी कारण कोई आर्थिक संकट जैसे विषम हालात पैदा होते हैं जिसके कारण सरकार दिवालिया होने के कगार पर आ जाए या फिर किसी कारण देश की अर्थव्यवस्था पूरी तरह से ध्वस्त या नष्ट होने की स्थिति में आ जाए, तो उस समय आर्थिक आपातकाल के अनुच्छेद 360 का उपयोग किया जा सकता है जिसकी घोषणा राष्ट्रपति द्वारा की जाती है।

लेकिन 1978 के 44वें संविधान संशोधन अधिनियम में के प्रावधान के अनुसार राष्ट्रपति की ‘संतुष्टि’ न्यायिक समीक्षा से परे नहीं है, अर्थात सुप्रीम कोर्ट चाहे तो इस फैसले की समीक्षा कर सकता है। आर्थिक आपातकाल की स्थिति में देश के आम नागरिकों के पैसों और संपत्ति पर देश का अधिकार हो जाता है। भारतीय संविधान में तीन तरह के आपातकाल का उल्लेख किया गया है। अभी तक भारत सरकार ने ऐसी किसी आपातकालीन की घोषणा तक नहीं की है।

 

अन्य अपडेट हासिल करने के लिए हमें Facebook और Twitter पर फॉलो करें।